(प्रारंभिक परीक्षा : रिपोर्ट एवं सूचकांक) |
चर्चा में क्यों
टाटा ट्रस्ट ने इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (India Justice Report : IJR), 2025 जारी की है।
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (IJR), 2025 के बारे में
- परिचय : यह रिपोर्ट भारत की चार प्रमुख न्यायिक संस्थाओं- पुलिस, न्यायपालिका, जेल एवं विधिक सहायता की स्थिति का मूल्यांकन करती है जोकि न्याय की पहुँच व गुणवत्ता को मापने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
- जारीकर्ता : टाटा ट्रस्ट द्वारा विभिन्न नागरिक समाज संगठनों एवं डाटा भागीदारों के सहयोग से
- संस्करण : चौथा
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
- महिलाओं की भागीदारी में गिरावट
- पूरे देश में पुलिस बल में कुल 20.3 लाख कर्मियों में से वरिष्ठ पदों पर 1,000 से भी कम महिलाएँ हैं।
- कोई भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश महिलाओं के लिए निर्धारित आरक्षण को पूरी तरह लागू नहीं कर पाया है।
- न्यायालयों एवं जेलों की स्थिति
- उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक भीड़भाड़ वाली जेलें हैं और उच्च न्यायालयों में आधे से अधिक जजों के पद रिक्त हैं।
- दिल्ली की जेलों में 91% कैदी विचाराधीन हैं जो न्यायिक प्रक्रियाओं की धीमी गति को दर्शाता है।
- पुलिसिंग अवसंरचना की खामियाँ
- देश के 17% पुलिस थानों में CCTV नहीं हैं।
- 30% पुलिस थानों में महिला हेल्प डेस्क नहीं है।
- प्रति 831 नागरिकों पर मात्र एक सिविल पुलिसकर्मी उपलब्ध है।
- वित्तीय व्यय की स्थिति
- विधिक सहायता पर राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति व्यय : ₹6 प्रतिवर्ष
- जेलों पर व्यय : ₹57 प्रति व्यक्ति; आंध्र प्रदेश में प्रति कैदी व्यय ₹2,67,673
- न्यायपालिका पर व्यय : ₹182 प्रति व्यक्ति; कोई भी राज्य न्यायपालिका पर 1% से अधिक वार्षिक बजट व्यय नहीं करता।
- पुलिस पर राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति व्यय : ₹1,275 — चारों स्तंभों में सबसे अधिक।
सभी स्तंभों में विभिन्न राज्यों की स्थिति
बड़े और मध्यम आकार के राज्य
- श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य
- कर्नाटक
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- केरल
- तमिलनाडु
- निचले पायदान पर रहे राज्य
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- उत्तराखंड
- झारखंड
- राजस्थान
- छोटे राज्यों में शीर्ष प्रदर्शनकर्ता
- सिक्किम
- हिमाचल प्रदेश
- अरुणाचल प्रदेश
- त्रिपुरा
- मेघालय
- अन्य प्रमुख बिंदु
- कर्नाटक एकमात्र राज्य जिसने पुलिस और न्यायपालिका दोनों में आरक्षण लक्ष्य प्राप्त किए।
- बिहार राज्य पुलिस में महिलाओं की सबसे अधिक भागीदारी, लेकिन निचली अदालतों में 71% मामलों की सुनवाई तीन साल से अधिक समय से लंबित है।
- गुजरात उच्च न्यायालयों में सबसे अधिक जज और स्टाफ की रिक्तियां।
- सिक्किम छोटे राज्यों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया जबकि गोवा सबसे कमजोर