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चक्रीय अर्थव्यवस्था में भारत का नेतृत्व

(सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3; संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।)

संदर्भ 

हाल ही में 12वां एशिया और प्रशांत क्षेत्र में उच्च स्तरीय क्षेत्रीय 3R और चक्रीय अर्थव्यवस्था मंच का जयपुर, राजस्थान में शुभारंभ किया गया। 

फोरम के बारे में 

  • यह टिकाऊ अपशिष्ट प्रबंधन और चक्रीय अर्थव्यवस्था संबंधी पहलों के लिए क्षेत्रीय सहयोग हेतु एक महत्त्वपूर्ण मंच है। 
  • विषय : एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सतत विकास लक्ष्य और कार्बन तटस्थता प्राप्त करने की दिशा में सर्कुलर सोसायटी का निर्माण।
  • आयोजक : आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (भारत), संयुक्त राष्ट्र क्षेत्रीय विकास केंद्र, और वैश्विक पर्यावरण रणनीति संस्थान।
  • समर्थन : एशिया और प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग, जापान का पर्यावरण मंत्रालय तथा विभिन्न अन्य अंतर्राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय संगठन।
  • इससे पूर्व वर्ष 2023 में इस फोरम की मेजबानी कंबोडिया ने की थी। 
    • भारत ने इससे पहले वर्ष 2018 में इंदौर में फोरम की मेजबानी की थी।
  • एशिया और प्रशांत क्षेत्र में उच्च स्तरीय क्षेत्रीय 3R और चक्रीय अर्थव्यवस्था मंच की शुरुआत वर्ष 2009 में इस क्षेत्र में सतत अपशिष्ट प्रबंधन, संसाधन दक्षता और चक्रीय अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। 
  • यह फोरम नीति निर्माताओं, उद्योग जगत के दिग्गजों, अनुसंधानकर्ताओं और विकास के भागीदारों को अपशिष्ट प्रबंधन तथा संसाधन दक्षता के लिए टिकाऊ समाधानों पर चर्चा करने व उन्हें लागू करने के लिए एक महत्त्वपूर्ण मंच प्रदान करता है। 
  • यह प्रो-प्लैनेट पीपुल (3P) दृष्टिकोण का अनुसरण करते हुए सतत शहरी विकास तथा संसाधन दक्षता सुनिश्चित करने के लिए 3R (Recycle,Reduce Reuse) और चक्रीय अर्थव्यवस्था सिद्धांतों को बढ़ावा देता है।
  • इस फोरम का उद्देश्य टिकाऊ उत्पादन और उपभोग पैटर्न के लिए रोडमैप तैयार करना है। 

फ़ोरम का महत्त्व 

  • यह फोरम व्यावहारिक चर्चाओं, नीतिगत सिफारिशों तथा सहयोगी साझेदारियों के माध्यम से, संसाधन दक्षता, जलवायु अनुकूलन एवं पर्यावरणीय स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करते हुए वैश्विक और क्षेत्रीय प्रतिबद्धताओं को मजबूत करने में मदद करेगा।
  • तीव्र आर्थिक विकास, संसाधनों की कमी और बढ़ते अपशिष्ट उत्पादन से उत्पन्न पर्यावरणीय चुनौतियों की पहचान करते हुए, फोरम ने नीति संवाद और क्षमता निर्माण के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में कार्य किया है। 
  • इस फोरम की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हनोई 3R घोषणा (2013-2023) को अपनाना था, जिसमें चक्रीय अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के लिए 33 स्वैच्छिक लक्ष्यों को चिन्हित किया गया था। 
  • पिछले कुछ वर्षों में, फोरम ने संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (SDG), पेरिस समझौते और इको-सिस्टम के निर्माण पर संयुक्त राष्ट्र दशक (2021-2030) सहित वैश्विक स्थिरता प्रतिबद्धताओं के साथ क्षेत्रीय प्रयासों के बीच तालमेल बिठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • हालिया 3R और चक्रीय अर्थव्यवथा घोषणापत्र (2025-2034) का उद्देश्य संसाधन और अपशिष्ट प्रबंधन में परिवर्तनकारी बदलावों को उत्प्रेरित करना है। 
  • फोरम विशेष रूप से वैश्विक प्लास्टिक संधि के लिए वार्ता जैसी पहलों के माध्यम से प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने में बहु-हितधारक सहयोग का समर्थन करना जारी रखता है। 
  • यह कार्बन तटस्थता, पर्यावरणीय स्थिरता और आर्थिक सशक्त्ता हासिल करने में एशिया-प्रशांत क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर बल देता है।

भारत द्वारा प्रारंभ की गई पहलें 

सिटीज कोलिशन फ़ॉर सर्कुलरिटी 

  • इस दौरान भारत ने सिटीज कोलिशन फ़ॉर सर्कुलरिटी (C-3) लांच किया है। 
  • सी-3 टिकाऊ शहरी विकास के लिए शहर-दर-शहर सहयोग, ज्ञान-साझाकरण और निजी क्षेत्र की साझेदारी के लिए एक बहु-राष्ट्रीय गठबंधन है।

सिटीज 2.0

  • इस दौरान शहरी स्थिरता पहलों के लिए महत्वपूर्ण सिटीज 2.0 के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। 
  • सिटीज 2.0 एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन और जलवायु संबंधी कार्यवाइयों को आगे बढ़ाने वाली एक प्रमुख पहल है। 

भारत द्वारा चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा 

भारत सतत विकास और चक्रीय अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों को बढ़ावा देने में अग्रणी रहा है। देश ने अपशिष्ट प्रबंधन चुनौतियों से निपटने के उद्देश्य से कई प्रमुख नीतियों और पहलों को लागू किया है । इनमें से कुछ प्रमुख पहल इस प्रकार हैं:

स्वच्छ भारत मिशन 

  • इसका उद्देश्य 3R सिद्धांतों के साथ शहरी अपशिष्ट प्रबंधन को मजबूत करना है। इस मिशन के तहत भारत ने घरेलू शौचालय निर्माण में 108.62 % सफलता हासिल की है।
  •  इसके तहत भारत में 80.29% ठोस अपशिष्ट का सफलतापूर्वक प्रसंस्करण किया जा रहा है।

गोबर-धन योजना 

  • इसका उद्देश्य बायोगैस और जैविक अपशिष्ट प्रसंस्करण के माध्यम से वेस्ट टू वेल्थ पहल को बढ़ावा देना है। 
  • यह योजना वर्तमान में भारत के कुल जिलों के 67.8 % को कवर करती है, जिसमें 27 फरवरी, 2025 तक 1008 बायोगैस संयंत्र पूरी तरह से चालू हो जाएंगे।

ई-कचरा प्रबंधन नियम, 2022

  • इलेक्ट्रॉनिक कचरे के निपटान में चक्रीय आर्थव्यवस्था से संबंधित प्रणाली को मजबूत करना। 
  • वित्त वर्ष 2024-25 के लिए, संग्रहित और पुनर्चक्रित ई-कचरे की मात्रा क्रमशः 5,82,769 मीट्रिक टन और 5,18,240 मीट्रिक टन थी। 

प्लास्टिक के लिए विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व 

इसका उद्देश्य उद्योगों को प्लास्टिक कचरे के लिए जवाबदेह बनाना था। भारत ने 1 जुलाई, 2022 को एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया ।

अन्य

  • मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली)
  • COP-26  में पंचामृत लक्ष्य तथा वर्ष 2070  तक भारत को शून्य उत्सर्जन के लिए प्रतिबद्ध करना

आगे की राह 

  • एशिया और प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाएं बढ़ती पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए स्थायी समाधान तलाश रही हैं। ऐसे में 3R तथा चक्रीय अर्थव्यवस्था इस क्षेत्र के सतत विकास के लिए एक अवसर प्रदान करती है। 
  • क्रॉस-सेक्टरल सहयोग को बढ़ावा देने, नवीन नीति से जुड़े दृष्टिकोणों पर सहयोग और 3R सिद्धांतों को बढ़ावा देकर इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। 
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