(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
संदर्भ
मालदीव सरकार एक ऐसा विधेयक पेश करने पर सहमत हुई है, जो देश के राजनयिक संबंधों में व्यवधान उत्पन्न करने को अपराध घोषित करता है।
नए विधेयक के निहितार्थ
- यह घटनाक्रम मालदीव द्वारा 'भारत प्रथम नीति को बनाए रखने और 'इंडिया आउट' अभियान को सीमित करने के लिये सरकार की प्राथमिकता पर प्रकाश डालता है। हालाँकि, इस विधेयक के कानून बनने से कुछ अप्रत्याशित चुनौतियाँ भी पैदा हो सकती है, क्योंकि इससे मालदीव की विदेश नीति सरकार के पसंद और विकल्प पर आधारित हो जाएगी।
- यह विधेयक मित्र देशों के साथ मालदीव के राजनयिक संबंधों को प्रभावित करने वाले विरोध या कार्यों को अपराध की श्रेणी में रखता है। इस विधेयक के वर्तमान स्वरूप से भारत के साथ-साथ मालदीव के लिये भी निम्नवत चुनौतियाँ पैदा हो सकती हैं-
- यह विधेयक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाता है। इस प्रकार, यह विधेयक सरकार को विपक्षी दलों और सरकार की आलोचना करने वाले नागरिक समूहों एवं मतदाताओं के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है।
- मालदीव में विपक्ष पहले से ही देश की संप्रभुता से समझौता करने और भारत की आर्थिक सहायता एवं परियोजनाओं का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाता रहा है। ऐसे में भारत द्वारा मालदीव को अधिक अनुदान देना विवाद का विषय बन सकता है।
- यह विधेयक किसी भी तरह की असहमति या वैध आलोचना को भी प्रतिबंधित करता है। यदि आगामी चुनावों में मालदीव में चीन समर्थक सरकार का गठन या नीति का निर्माण होता है, तो भारत द्वारा वर्तमान में चलाई जा रही योजनाओं (जैसे- ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना) पर संकट आ सकता है।
भारत के साथ संबंधों का उदय
- भारत और मालदीव पुराने समय से सौहार्द्रपूर्ण जातीय, भाषाई, सांस्कृतिक एवं धार्मिक संबंधों के साथ-साथ वाणिज्यिक और बहुआयामी संबंधों को साझा करते हैं।
- भारत, वर्ष 1965 में मालदीव की स्वतंत्रता के बाद उसको मान्यता देने और उसके साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले प्रारंभिक देशों में से एक था।
- वर्ष 2008 में मालदीव के राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद नशीद ने भारत के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखने तथा भारत की तरफ से प्राप्त होने वाली सहायता और सुरक्षा को अपनी विदेश नीति में प्रमुखता से स्थान दिया।
- भारत ने गश्त कार्यों और मानवीय उद्देश्यों के लिये वर्ष 2010 में मालदीव को पहला हेलीकॉप्टर प्रदान किया। साथ ही, मालदीव ने आर्थिक मोर्चे पर भारत से अत्यधिक निवेश आकर्षित करने और अर्थव्यवस्था के निजीकरण का सफल प्रयास किया।
- हालाँकि, भष्ट्राचार के आरोपों और देश में भारत विरोधी भावनाओं के चलते राष्ट्रपति नशीद को त्यागपत्र देना पड़ा।
चीन का बढ़ता प्रभुत्त्व
- वर्ष 2013 में भारत के मुखर विरोधी रहे अब्दुल्ला यामीन मालदीव के राष्ट्रपति बने। भारत ने मालदीव के सुरक्षा प्रदाता के रूप में संबंधों को आगे बढ़ाने का संकेत दिया और उपहारस्वरूप दूसरा हेलीकॉप्टर प्रदान किया। हालाँकि, मालदीव ने चीन के साथ संबंधों को प्रथमिकता दी, जिसने उनकी आर्थिक नीतियों और घरेलू राजनीति पर भी प्रभाव डाला।
- मालदीव सरकार ने चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौता किया और बुनियादी ढाँचे के विकास में चीन की फर्मों को प्रथमिकता दी गई। साथ ही, फेयधू फिनोल्हु (Feydhoo Finolhu) द्वीपों को 50 वर्षों के लिये एक चीनी फर्म को पट्टे पर दे दिया गया।
'इंडिया आउट' अभियान का प्रादुर्भाव
- वर्ष 2018 तक मालदीव-चीन भागीदारी मज़बूत हुई और इसके सामानांतर मालदीव-भारत संबंधों में गिरावट देखी गई।
- वर्तमान में ‘इंडिया आउट’ (#India out) अभियान का नेतृत्व मुख्यतः मालदीव सरकार के आलोचकों द्वारा किया जा रहा है। उनका आरोप है कि सरकार में ‘भारत का हस्तक्षेप बढ़ रहा है’ एवं राष्ट्र की ‘संप्रभुता के साथ समझौता’ किया जा रहा है। साथ ही, मालदीव में भारतीय सेना की उपस्थिति का भी विरोध किया जा रहा है।
- मालदीव ने भारत के साथ ‘मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल तटरक्षक बंदरगाह- उथुरु थिला फल्हू (UTF) बंदरगाह विकास’ समझौता किया है, जिसे आलोचकों द्वारा मालदीव में भारतीय सैन्य उपस्थिति के रूप में देखा जा रहा है। इसके कारण अभियान ने फरवरी 2021 में ज़ोर पकड़ा था।
- इसी तरह का प्रतिरोध जून में दक्षिणी एडु एटॉल में भारत द्वारा वाणिज्य दूतावास खोलने की घोषणा के दौरान हुआ।
इंडिया फर्स्ट बनाम इंडिया आउट
- चीनी ऋण जाल के दबाव और नई सरकार के गठन के बाद मालदीव ने वर्ष 2018 में 'भारत प्रथम नीति को बढ़ावा दिया। साथ ही, चीन के साथ मुक्त व्यापर समझौते पर पुनर्विचार करते हुए भारत की सकरात्मक भूमिका को स्वीकार किया गया।
- मालदीव ने भारत को एक प्रमुख सुरक्षा प्रदाता मानते हुए चीन द्वारा महासागर में वेधशाला स्थापित करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। हाँलाकि, मालदीव सरकार ने कुछ विशिष्ट परियोजनों आदि के लिये चीन के साथ जुड़ाव जारी रखा।
- भारत ने चीनी के ऋण को चुकाने के लिये वित्तीय सहायता की पेशकश की है। साथ ही, भारत ने वर्ष 2022 में मालदीव के लिये अपने बजटीय अनुदान को बढ़ाकर 360 करोड़ रूपए कर दिया है, जो वर्ष 2020 में मात्र 160 करोड़ रुपए था। वर्ष 2021 में भारत ने 45 से अधिक सामाजिक-आर्थिक विकास परियोजनाओं में निवेश किया।
- मालदीव ने भारत के साथ ‘मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल तटरक्षक बंदरगाह- उथुरु थिला फल्हू (UTF) बंदरगाह विकास’ समझौता किया है।
- हालाँकि, वर्ष 2023 में मालदीव में चुनाव के मद्देनज़र पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के नेतृत्व में विपक्ष ने 'इंडिया आउट' अभियान के साथ सामाजिक-आर्थिक और सुरक्षा परियोजनाओं का राजनीतिकरण शुरू कर दिया है।
निष्कर्ष
मालदीव सरकार ने 'इंडिया आउट' अभियान को खारिज कर दिया है और ‘भारत के प्रति नफरत फैलाने और निराधार जानकारी’ के प्रसार पर चिंता व्यक्त की है। मालदीव में आगामी राष्ट्रपति चुनाव वर्ष 2023 में होने हैं, ऐसे में यामीन राजनीतिक वापसी करने के लिये सत्ता विरोधी लहर और भारत विरोधी भावनाओं का प्रसार कर रहे हैं। हालाँकि, भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया, मालदीव में विकास की संभावनाओं को ही बाधित करेगा।