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आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर भारत

संदर्भ

कोविड-19 संकट ने भारत के समक्ष संरचनात्मक कमज़ोरियों की एक अहम् चुनौती प्रस्तुत की है, जिसने यह स्पष्ट किया कि यदि निर्णायक सुधार लागू नहीं किये गए तो भारत को एक दशक तक बढ़ती बेरोज़गारी और आर्थिक ठहराव जैसे संकटों का सामना करना पड़ेगा। इसी पक्ष को ध्यान में रखते हुए और तीव्र विकास को प्रोत्साहन देते हुए केंद्रीय बजट 2022-23 में अमृतकाल के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत की दिशा निर्धारित की गई है।

आत्मनिर्भर भारत की ओर

  • केंद्रीय बजट 2022-23 में नवोदित (सनराइज) क्षेत्रों जैसे- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस); भू-स्थानिक प्रणाली एवं ड्रोन; सेमीकंडक्टर; अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था; जिनोमिक्स एवं फार्मास्युटिकल्स; हरित ऊर्जा और स्वच्छ आवागमन प्रणाली पर जोर दिया गया हैं।
  • अमृत काल का सबसे अहम लक्ष्य व्यापक आर्थिक विकास के पूरक के तौर पर सूक्ष्म-आर्थिक स्तर पर सर्व-समेकित कल्याण करना है। प्रौद्योगिकी-आधारित दृष्टिकोण के माध्यम से परिकल्पित परिवर्तन भी जन-केंद्रित होना चाहिये।
  • आधुनिक नीति साधनों का उपयोग भावी व्यापार और नियामक परिवेश में क्रांति ला सकता है। प्रौद्योगिकी विकास ने निम्न विकल्प तैयार किये हैं :
    • लाइट-टच विनियमन : यह सरल, डिजिटल, स्व-घोषित प्रक्रियाएँ हैं जो राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिये प्रौद्योगिकी साधनों का लाभ उठाती हैं;
    • सुविधाजनक सक्रिय कार्यवाही : सरकार को बाज़ार में होने वाले बदलावों से केवल निपटना नहीं चाहिये बल्कि बाज़ार का नेतृत्व भी करना चाहिये और उसे वांछित अवस्था में लाने के लिये निर्देशित करना चाहिये;
    • खुला चैनल परामर्श : विभिन्न नीतिगत मामलों पर सभी हितधारकों के बीच संचार का एक खुला चैनल स्थापित करना चाहिये;
    • डाटा चालित साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण : डाटा संग्रह और विश्लेषण के आधार पर एक व्यवस्थित दृष्टिकोण लाना जो नीति निर्माण के लिये वैज्ञानिक मानसिकता पर आधारित हो। ऐसे निजी साधनों का उपयोग भारत को भविष्य में नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
  • ऋण तक बेहतर पहुँच 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करने के भारत के प्रयासों में तेज़ी लाने में मदद कर सकती है।

पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान

  • पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान से निर्बाध मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी और रसद दक्षता में सुधार हेतु 7 क्षेत्रों की पहचान की गई है। इससे उत्पादकता में वृद्धि के साथ-साथ आर्थिक प्रगति और विकास में भी तेज़ी आएगी।
  • सार्वजनिक शहरी परिवहन के अंतर्गत मेट्रो प्रणाली के निर्माण के लिये वित्तपोषण और तीव्र कार्यान्वयन को प्रोत्साहित किया जाएगा। बड़े पैमाने पर शहरी परिवहन और रेलवे स्टेशनों के बीच मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी को प्राथमिकता के आधार पर सुगम बनाया जाएगा। मेट्रो प्रणालियों के डिज़ाइन को भारतीय परिस्थितियों और ज़रूरतों के लिये पुनःनिर्मित और मानकीकृत किया जाएगा।
  • बजट 2022-23 के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क का 25,000 किमी. तक विस्तार किया जाएगा।
  • इसके अतिरिक्त इस मास्टर प्लान में शामिल पाँच अन्य क्षेत्र हैं- (i) विनिर्माण, रियल एस्टेट, कृषि, स्वास्थ्य देखभाल और खुदरा क्षेत्र में उत्पादकता में सुधार के लिये क्षेत्र-विशिष्ट नीतियां; (ii) भूमि की लागत को 20 से 25% तक कम करने के लिये भूमि बाज़ारों में आपूर्ति को खोलना; (iii) श्रमिकों के लिये बेहतर लाभ और सुरक्षा जाल के साथ उद्योग के लिये लचीले श्रम बाज़ार कोविकसित करना; (iv) वाणिज्यिक और औद्योगिक शुल्कों को 20 से 25% तक कम करने के लिये बिजली के कुशल वितरण को सक्षम करना; (v) अपनी उत्पादकता को संभावित रूप से दोगुना करने के लिये 30 या उससे अधिक सबसे बड़े राज्य के स्वामित्त्व वाले उद्यमों का निजीकरण करना।

अर्थव्यवस्था में सुधार के लिये अन्य उपाय

  • वित्तीय क्षेत्र में सुधार और राजकोषीय संसाधनों को सुव्यवस्थित करने सेअतिरिक्त2.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश हो सकता है जबकि उद्यमों के लिये पूंजी की लागत को लगभग 3.5% अंक कम करके उद्यमिता को बढ़ावा दिया जा सकता है।
  • उच्च विकास परिदृश्य में निवेश के सकल घरेलू उत्पाद के कम से कम 37% तक बढ़ने की आवश्यकता होगी जो संकट-पूर्व काल में सकल घरेलू उत्पाद का 33% था।
  • गैर-निष्पादित ऋणों के लिये ‘बैड बैंक’ जैसे उपाय और निर्देशित बैंक उधार व्यवस्था में सुधार पूंजीगत लागत को कम कर सकते हैं।
  • सरकार को सतत् विकास परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिये हरित बांड को अपनाने को बढ़ावा देना चाहिये।
  • हालाँकि, केंद्र सरकार का विकास समर्थक एजेंडा महत्त्वपूर्ण है फिर भी लगभग 60% सुधारों का नेतृत्व राज्यों द्वारा किया जा सकता है और सभी को व्यावसायिक क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता होगी। कृषि, बिजली और आवास सहित अन्य प्रमुख सुधारों को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकारें अग्रणी व्यवसायों का चयन कर सकती हैं और प्रदर्शन क्लस्टरस्थापित कर सकती है।
  • व्यवसायों को उत्पादकता में वृद्धि के लिये प्रतिबद्धता दिखानी होगी, दीर्घकालिक मूल्य निर्माण मानसिकता विकसित करनी होगी और नवाचार, डिजिटल एवं स्वचालन, विलय एवं अधिग्रहण साझेदारी तथा कारोबारी प्रशासन में क्षमताओं का विकास करना होगा।

आगे की राह

  • उपरोक्त सभी सुधारों के अलावा तीन प्रमुख विषय पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी। सबसे पहले फर्मों को सूचना प्रौद्योगिकीक्षेत्रों के आधार पर व्यावसायिक विचारों के माध्यम से आकांक्षाओं को पूरा करने और उत्पादकता वृद्धि के लिये प्रतिबद्ध होने की आवश्यकता होगी।
  • दूसरा, व्यवसायों को एक मज़बूत कार्य प्रदर्शन-उन्मुख संस्कृति के साथ एक दीर्घकालिक मूल्य निर्माण मानसिकता विकसित करने की आवश्यकता है अर्थात् निवेश के लिये एक दूरदर्शी दृष्टिकोण को अपनाना, एक ऐसी संगठनात्मक संस्कृति का निर्माण करना जो दीर्घकालिक मूल्य निर्माण पर केंद्रित हो और सभी हितधारकों के प्रति जवाबदेही के साथ एक साझा परिकल्पना और उद्देश्य व्यक्त करती हो।
  • तीसरा, फर्मों को उच्च-विकास और विश्व-स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी व्यवसायों के रूप में उभरने के लिये सामर्थ्य हासिल करने की क्षमताओं की आवश्यकता होगी, इसके लिये ग्राहक केंद्रित नवाचार; परिचालन उत्कृष्टता और मापनीय प्लेटफार्म; परिपाटियों से आगे रहने और अनिरंतरता में जीतने की क्षमता; बखूबी निष्पादित विलय, अधिग्रहण और भागीदारियाँ प्रमुख हैं।
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