(प्रारंभिक परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि) |
संदर्भ
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (India-Middle East-Europe Corridor: IMEC) समझौता नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लिए बहुपक्षीय साझेदारी को मजबूत करने तथा अमेरिका व भारत दोनों के सामरिक हितों को आगे बढ़ाने का एक महत्त्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है। आई.एम.ई.सी. को प्राथमिकता देना अमेरिका के सर्वोत्तम हित में है।
क्या है IMEC
- IMEC की घोषणा सितंबर 2023 में नई दिल्ली में G 20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सऊदी अरब, इटली, फ्रांस, जर्मनी एवं यूरोपीय आयोग के नेताओं के बीच हुई बैठक के बाद की गई थी।
- यह भारत, मध्य पूर्व एवं यूरोप को जोड़ने वाला एक व्यापक परिवहन नेटवर्क है जिसमें रेल, सड़क तथा समुद्री मार्ग शामिल हैं।
- IMEC में दो अलग-अलग गलियारे प्रस्तावित हैं :
- पूर्वी गलियारा : भारत को खाड़ी देशों से जोड़ेगा
- उत्तरी गलियारा : खाड़ी देशों तथा यूरोप के मध्य
वर्तमान स्थिति
- प्रस्तावित गलियारे में इज़रायल का बंदरगाह हाइफ़ा भी शामिल है, हालाँकि इज़रायल-हमास संघर्ष के कारण यह महत्वाकांक्षी परियोजना अस्थायी रूप से स्थगित है।
- इसके कारण दो प्रमुख हितधारक सऊदी अरब एवं जॉर्डन इस परियोजना पर कोई प्रगति नहीं कर पाए हैं।
- इज़रायल-हमास के मध्य समझौते के बाद इस परियोजना में पुन: तेजी आने की संभावना है।
- संयुक्त अरब अमीरात और भारतीय बंदरगाहों को जोड़ने वाले इस गलियारे के पूर्वी हिस्से में तीव्र गति से प्रगति हो रही है।
भारत एवं अन्य देशों को लाभ
- प्रस्तावित IMEC गलियारे से स्वेज नहर के माध्यम से परिवहन की तुलना में इसके पूर्वी एवं पश्चिमी नोड्स के बीच पारगमन समय में 40% और लागत में 30% की कमी आने की संभावना है।
- भारत से निर्यात की जाने वाली वस्तुओं को IMEC के माध्यम से निम्न लागत में यूरोप तक ले जाया जाएगा जिससे भारत के वैश्विक निर्यात हिस्से में सुधार होगा।
- IMEC को यूरेशियाई क्षेत्र में चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के प्रतिकार के रूप में देखा जाता है।
- यह चीन के बढ़ते आर्थिक एवं राजनीतिक प्रभाव को संतुलित करने का कार्य कर सकता है।
- यह गलियारा स्थायी कनेक्टिविटी स्थापित करके अरब प्रायद्वीप के साथ भारत की रणनीतिक भागीदारी को मज़बूत करने के साथ ही अरब प्रायद्वीप में राजनीतिक तनाव को कम करने में सहायता कर सकता है।
- ट्रांस-अफ्रीकी कॉरिडोर विकसित करने की अमेरिका व यूरोपीय संघ की योजना के अनुरूप इस गलियारे के मॉडल को अफ्रीका तक बढ़ाया जा सकता है।
- यह गलियारा वस्तुओं के निर्बाध परिवहन के लिये एक कुशल परिवहन नेटवर्क तैयार करेगा जिसके परिणामस्वरूप औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि कंपनियों को कच्चे माल एवं तैयार उत्पादों के परिवहन में आसानी होगी।
- यह गलियारा विशेष रूप से मध्य पूर्व देशों से सुरक्षित ऊर्जा और संसाधन आपूर्ति की सुविधा प्रदान कर सकता है।
IMEC गलियारे के समक्ष चुनौतियाँ
- इस अंतर-महाद्वीपीय मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर विकसित करने के लिए हितधारकों के बीच लॉजिस्टिक योजना एवं समन्वय का अभाव है।
- सबसे व्यवहार्य एवं लागत प्रभावी मार्गों का चयन, रेल व सड़क कनेक्टिविटी की व्यवहार्यता का आकलन तथा इष्टतम कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना प्रमुख चुनौती है।
- मध्य पूर्वी देशों में रेल मार्गों की अनुपलब्धता है, इसलिए रेल नेटवर्क का विस्तार करने के लिये पर्याप्त अवसंरचना निर्माण निवेश की आवश्यकता है।
- इस गलियारे के शुरू होने से मिस्र की स्वेज़ नहर के माध्यम से होने वाले यातायात एवं राजस्व में गिरावट देखी जा सकती है, जिससे कई चुनौतियाँ एवं राजनयिक बाधाएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
आगे की राह
- IMEC का इष्टतम लाभ उठाने के लिए विभिन्न हितधारक देश अपने बंदरगाहों को तैयार करने के साथ ही कनेक्टिविटी नोड्स के साथ विशिष्ट आर्थिक क्षेत्रों को विकसित कर IMEC के साथ सहज एकीकरण के लिए अपने घरेलू लॉजिस्टिक में सुधार कर सकते हैं।
- हितधारक देश अपनी विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाकर IMEC के माध्यम से स्वयं को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक विकल्प के रूप में स्थापित कर सकते हैं।
- अमेरिका एवं भारत IMEC का समर्थन करके चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का एक आकर्षक विकल्प प्रस्तुत कर सकते हैं, जिससे अधिक संतुलित वैश्विक आर्थिक संरचना का निर्माण हो सकता है।
- वर्तमान में IMEC के लिए एक सचिवालय की स्थापना की आवश्यकता है जो IMEC की संरचना एवं कामकाज को अधिक संगठित बना सकता है।
- इस अंतर-महाद्वीपीय गलियारे के निर्माण के लिए विविध हितों, कानूनी प्रणालियों व प्रशासनिक प्रक्रियाओं वाले कई देशों के बीच नीतियों तथा विनियमों के समन्वय की आवश्यकता है।