New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 26 Feb, 11:00 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 15 Feb, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124 GS Foundation (P+M) - Delhi: 26 Feb, 11:00 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 15 Feb, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: बुनियादी ढाँचा- ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि)

संदर्भ 

  • प्रधानमंत्री की हालिया फ़्रांस यात्रा के दौरान भारत और फ्रांस ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (India-Middle East-Europe Corridor : IMEC) परियोजना पर संयुक्त रूप से कार्य जारी रखने की घोषणा की है।
  • IMEC फ्रांस के मार्सिले से होकर गुजरता है जो वैश्विक शिपिंग मार्गों के चौराहे पर स्थित होने के साथ ही दक्षिणी यूरोप के लिए प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है।

क्या है IMEC

  • IMEC की घोषणा सितंबर 2023 में नई दिल्ली में G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सऊदी अरब, इटली, फ्रांस, जर्मनी एवं यूरोपीय आयोग के नेताओं के बीच हुई बैठक के बाद की गई थी। 

  • यह भारत, मध्य पूर्व एवं यूरोप को जोड़ने वाला एक व्यापक परिवहन नेटवर्क है जिसमें रेल, सड़क तथा समुद्री मार्ग शामिल हैं।
  • IMEC का लक्ष्य भागीदार देशों में बुनियादी ढाँचे की कमी को दूर करने के लिए वर्ष 2027 तक 600 बिलियन डॉलर जुटाना है।

IMEC का उद्देश्य

  • संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन, इज़राइल एवं यूरोपीय संघ के माध्यम से भारत, यूरोप व मध्य-पूर्व को एकीकृत करना 
  • कनेक्टिविटी एवं दक्षता बढ़ाना
  • क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित करना
  • व्यापार पहुंच को बढ़ाव देने के साथ ही रोजगार सृजित करना 
  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना 
  • IMEC में दो अलग-अलग गलियारे प्रस्तावित हैं : 
    • पूर्वी गलियारा : भारत को खाड़ी देशों से जोड़ेगा 
    • उत्तरी गलियारा :  खाड़ी देशों तथा यूरोप के मध्य

IMEC की वर्तमान स्थिति 

  • प्रस्तावित गलियारे में इज़रायल का बंदरगाह हाइफ़ा भी शामिल है। हालाँकि, इज़रायल-हमास संघर्ष के कारण यह महत्वाकांक्षी परियोजना अस्थायी रूप से स्थगित हो गई थी।
    • अस्थायी रुकावट के परिणामस्वरूप, दो प्रमुख हितधारक सऊदी अरब एवं  जॉर्डन परियोजना पर कोई प्रगति नहीं कर पाए हैं।
  • इज़रायल-हमास के मध्य बंधकों की रिहाई से संबंधित समझौते के बाद इसमें पुन: तेजी आने की संभावना है। 
  • संयुक्त अरब अमीरात और भारतीय बंदरगाहों को जोड़ने वाले गलियारे के पूर्वी हिस्से में प्रगति तीव्र गति से आगे बढ़ रही हैं। 

IMEC से भारत एवं अन्य देशों को लाभ

  • प्रस्तावित IMEC गलियारे से स्वेज नहर के माध्यम से परिवहन की तुलना में इसके पूर्वी और पश्चिमी नोड्स के बीच पारगमन समय में 40% एवं लागत में 30% की कमी आने की संभावना है।
  • भारत से निर्यातित वस्तुओं को IMEC के माध्यम से कम लागत में यूरोप तक ले जाया जाएगा जिससे भारत के वैश्विक निर्यात हिस्से में सुधार होगा।
  • पूरी तरह से कार्यात्मक IMEC भारत की समुद्री सुरक्षा में सुधार करेगा। 
  • IMEC को यूरेशियाई क्षेत्र में चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के प्रतिकार के रूप में देखा जाता है।
    • यह चीन के बढ़ते आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव को संतुलित करने का कार्य कर सकता है।
  • यह गलियारा स्थायी कनेक्टिविटी स्थापित करके अरब प्रायद्वीप के साथ भारत की रणनीतिक भागीदारी को मज़बूत करने के साथ ही अरब प्रायद्वीप में राजनीतिक तनाव को कम करने में सहायता कर सकता है।
  • ट्रांस-अफ्रीकी कॉरिडोर विकसित करने की अमेरिका एवं यूरोपीय संघ की योजना के अनुरूप इस गलियारे के मॉडल को अफ्रीका तक बढ़ाया जा सकता है।
  • यह गलियारा वस्तुओं के निर्बाध परिवहन के लिये एक कुशल परिवहन नेटवर्क तैयार करेगा जिसके परिणामस्वरूप औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि कंपनियों को कच्चे माल और तैयार उत्पादों के परिवहन में आसानी होगी।
  • यह गलियारा विशेष रूप से मध्य पूर्व देशों से सुरक्षित ऊर्जा और संसाधन आपूर्ति की सुविधा प्रदान कर सकता है।

IMEC के समक्ष चुनौतियाँ 

  • इस अंतर-महाद्वीपीय मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर विकसित करने के लिए हितधारकों के बीच लॉजिस्टिक योजना एवं समन्वय का अभाव है।
  • सबसे व्यवहार्य एवं लागत प्रभावी मार्गों का चयन, रेल व सड़क कनेक्टिविटी की व्यवहार्यता का आकलन तथा इष्टतम कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना प्रमुख चुनौती है।
  • मध्य पूर्वी देशों में रेल मार्गों की अनुपलब्धता है, इसलिए  रेल नेटवर्क का विस्तार करने के लिये पर्याप्त अवसंरचना निर्माण के लिए निवेश की आवश्यकता है।
  • इस गलियारे के शुरू होने से मिस्र की स्वेज़ नहर के माध्यम से होने वाले यातायात और राजस्व में गिरावट देखी जा सकती है, जिससे कई चुनौतियाँ एवं राजनयिक बाधाएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

आगे की राह  

  • IMEC का इष्टतम लाभ उठाने के लिए विभिन्न हितधारक देश अपने बंदरगाहों को तैयार करने के साथ ही कनेक्टिविटी नोड्स के साथ विशिष्ट आर्थिक क्षेत्रों को विकसित कर IMEC के साथ सहज एकीकरण के लिए अपने घरेलू लॉजिस्टिक में सुधार कर सकते हैं। 
  • हितधारक देश अपनी विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाकर IMEC के माध्यम से स्वयं को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक विकल्प के रूप में स्थापित कर सकते हैं।
  • IMEC का समर्थन करके, अमेरिका और भारत चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के लिए एक आकर्षक विकल्प स्थापित कर सकते हैं, जिससे एक ज़्यादा संतुलित वैश्विक आर्थिक संरचना का निर्माण हो सकता है।
  • वर्तमान में IMEC के लिए एक  सचिवालय की स्थापना की आवश्यकता है, जो IMEC की संरचना और कामकाज को और अधिक संगठित बना सकता है। 
  • इस अंतर-महाद्वीपीय गलियारे के निर्माण के लिए विविध हितों, कानूनी प्रणालियों और प्रशासनिक प्रक्रियाओं वाले कई देशों के बीच नीतियों तथा विनियमों के समन्वय की आवश्यकता है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X