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भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC)

प्रारंभिक परीक्षा – भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC)
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-3

संदर्भ 

  • लाल सागर संकट चार महीने के बाद भी बना हुआ है जिसके कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं बाधित हुई हैं एवं माल ढुलाई के कमी , विलंबित जहाज कार्यक्रम और उत्पाद की कमी का सामना कर रहा हैं।
  • इसने एक बार फिर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की कमजोरियों को सामने ला दिया है।  इससे वैश्विक व्यापार के लिए वैकल्पिक मार्ग भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) पर विचार किया जा रहा है।

IMEC

लाल सागर मार्ग का महत्त्व: 

  • वैश्विक व्यापार के लिए लाल सागर का रणनीतिक महत्व बाब अल-मंदब जलडमरूमध्य के कारण है जो यमन और जिबूती के बीच स्थित है।
  • यह दुनिया के सबसे व्यस्त कार्गो और तेल पारगमन बिंदुओं में से एक है, जहां से लगभग 12% अंतरराष्ट्रीय माल व्यापार गुजरता है।
  • लाल सागर संघर्ष का एक तात्कालिक परिणाम यह हुआ है कि प्रमुख कंटेनर और तेल वाहकों को केप ऑफ गुड होप के माध्यम से जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
  • इसके  कारण समुद्री मालभाड़ा बढ़ गया है, बीमा लागत बढ़ गई है और लंबी यात्रा समय के कारण देरी और उत्पादों की कमी हो गई है।

लाल सागर मार्ग का भारत पर प्रभाव:

  • यूरोपीय और उत्तरी अफ्रीकी देशों के साथ भारत का व्यापार लाल सागर मार्ग से होता है। इसमें निर्यात का लगभग 24% और आयात का 14% हिस्सा शामिल है।
  • वर्ष 2022-23 में यूरोप और उत्तरी अफ्रीका के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार क्रमशः 189 बिलियन डॉलर और 15 बिलियन डॉलर रहा।
  • इस व्यापार में लाल सागर में बढ़े तनाव के कारण में गिरावट देखी जा रही है।
  • फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) के अनुसार बढ़ते खतरों ने भारतीय निर्यातकों को लाल सागर के माध्यम से  होने वाले लगभग 25% मालवाहक जहाजों को रोकने पर मजबूर होना पड़ा है।
  • इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं विलंबित शिपमेंट और बढ़ती लागत से भी  जूझ रही हैं।

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC)

  • 9-10 सितंबर,2023  को नई दिल्ली में 18वें G20 शिखर सम्मेलन में भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान हस्ताक्षरित भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) एक मल्टी-मॉडल आर्थिक गलियारा है।
  • यह परियोजना वैश्विक अवसंरचना और निवेश साझेदारी (PGII) का हिस्सा है।
    • PGII निम्न और मध्यम आय वाले देशों की विशाल बुनियादी ढाँचे की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये एक मूल्य-संचालित, उच्च-प्रभावी तथा पारदर्शी बुनियादी ढाँचा साझेदारी है।
  • इसमें रेलमार्ग, शिप-टू-रेल नेटवर्क और सड़क परिवहन मार्ग शामिल  है जो दो गलियारों तक फैले हैं 
  • पूर्वी गलियारा - भारत को अरब की खाड़ी से जोड़ता है
  • उत्तरी गलियारा - खाड़ी को यूरोप से जोड़ता है।

हस्ताक्षरकर्त्ता देश:

  • भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, यूरोपीय संघ, इटली, फ्राँस और जर्मनी।

जोड़े जाने वाले प्रमुख  बंदरगाह:

  • भारत: मुंद्रा (गुजरात), कांडला (गुजरात), और जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (नवी मुंबई)।
  • मध्य पूर्व: संयुक्त अरब अमीरात में फुज़ैरा, ज़ेबेल अली और अबू धाबी के साथ-साथ सऊदी अरब में दम्मम तथा रास अल खैर बंदरगाह।
  • रेलवे लाइन फुज़ैरा बंदरगाह (UAE) को सऊदी अरब (घुवाईफात और हराद) तथा जॉर्डन के माध्यम से हाइफा बंदरगाह (इज़राइल) से जोड़ेगी।
  • इज़राइल: हाइफा बंदरगाह।
  • यूरोप: ग्रीस में पीरियस बंदरगाह, दक्षिण इटली में मेसिना और फ्राँस में मार्सिले।

उद्देश्य:

  • भारत, मध्य पूर्व और यूरोप को जोड़ने वाला एक व्यापक परिवहन नेटवर्क है, जिसमें रेल, सड़क तथा समुद्री मार्ग शामिल हैं।
  • इसके माध्यम से परिवहन दक्षता बढ़ाने, लागत कम करने, आर्थिक एकीकरण , रोज़गार सृजन और ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन को कम करना।
  • इससे व्यापार और कनेक्टिविटी के लिए एशिया, यूरोप तथा मध्य पूर्व को एकीकृत करना है।

महत्त्व:

  • IMEC को यूरेशियाई क्षेत्र में चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के प्रतिकार के रूप में देखा जाता है।
  • यह चीन के बढ़ते आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव को संतुलित करने का कार्य कर सकता है।
  • यह परियोजना महाद्वीपों और सभ्यताओं के बीच संबंधों एवं एकीकरण को मज़बूत कर सकती है।
  • यह गलियारा स्थायी कनेक्टिविटी स्थापित करके  अरब प्रायद्वीप के साथ भारत की रणनीतिक भागीदारी को मज़बूत करता है।
  • यह अरब प्रायद्वीप में राजनीतिक तनाव को कम करने में सहायता कर सकता है।
  • ट्रांस-अफ्रीकी कॉरिडोर विकसित करने की अमेरिका और यूरोपीय संघ की योजना के अनुरूप इस गलियारे के मॉडल को अफ्रीका तक बढ़ाया जा सकता है।
  • इससे परिवहन में लगने वाले समय को बहुत हद तक कम  किया जा सकता है, जिससे स्वेज़ नहर समुद्री मार्ग की तुलना में यूरोप के साथ व्यापार 40% तेज़ हो जाएगा।
  • इस गलियारे से भारत से यूरोप की यात्रा का समय 40% कम हो जाएगा और पारगमन लागत 30% कम हो जाएगी।
  • यह गलियारा वस्तुओं के निर्बाध परिवहन के लिये एक कुशल परिवहन नेटवर्क तैयार करेगा।
  • इससे औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि कंपनियों को कच्चे माल और तैयार उत्पादों के परिवहन में आसानी होगी।
  • यह गलियारा विशेष रूप से मध्य पूर्व देशों से सुरक्षित ऊर्जा और संसाधन आपूर्ति की सुविधा प्रदान कर सकता है।
  • इस गलियारे के मार्ग में SEZ (विशेष आर्थिक क्षेत्र) विकसित करके रणनीतिक लाभ उठाया जा सकता है।
  • SEZ विदेशी निवेश को आकर्षित कर सकते हैं, विनिर्माण को बढ़ावा दे सकते हैं और निर्दिष्ट क्षेत्रों में आर्थिक विकास को गति दे सकते हैं।

चुनौतियाँ:

  • कई देशों तक विस्तृत रेल, सड़क और समुद्री मार्गों को शामिल करते हुए एक मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर विकसित करने के लिए हितधारकों के बीच लॉजिस्टिक योजना एवं समन्वय की आवश्यकता होगी।
  • सबसे व्यवहार्य और लागत प्रभावी मार्गों का चयन, रेल व सड़क कनेक्टिविटी की व्यवहार्यता का आकलन  तथा इष्टतम कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना प्रमुख चुनौती है।
  • मध्य पूर्वी देशों में रेल मार्गों की अनुपलब्धता है, इसलिए  रेल नेटवर्क का विस्तार करने के लिये पर्याप्त अवसंरचना निर्माण निवेश की आवश्यकता है।
  • इस अंतर-महाद्वीपीय गलियारे के निर्माण के लिए विविध हितों, कानूनी प्रणालियों और प्रशासनिक प्रक्रियाओं वाले कई देशों के बीच नीतियों तथा विनियमों का समन्वय एक चुनौती है।
  • इस कॉरिडोर के शुरू होने से मिस्र की स्वेज़ नहर के माध्यम से होने वाले यातायात में कमी और राजस्व में गिरावट देखी जा सकती है, जिससे कई चुनौतियाँ एवं राजनयिक बाधाएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • इस गलियारे के निर्माण, संचालन एवं रखरखाव के लिए  पर्याप्त वित्त का अनुमान लगाना और सुरक्षित करना एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है।
    • इनके निर्माण में 3 बिलियन अमरीकी डॉलर से 8 बिलियन अमरीकी डॉलर के बीच लागत आ सकती है।

प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. 9-10 सितंबर,2023  को नई दिल्ली में 18वें G20 शिखर सम्मेलन में भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान हस्ताक्षरित भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) एक मल्टी-मॉडल आर्थिक गलियारा है।
  2. भारत, मध्य पूर्व और यूरोप को जोड़ने वाला एक व्यापक परिवहन नेटवर्क है, जिसमें रेल, सड़क तथा समुद्री मार्ग शामिल हैं।
  3. इसके हस्ताक्षरकर्त्ता देश  भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, यूरोपीय संघ, इटली, फ्राँस और जर्मनी हैं।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं ?

(a) केवल एक 

(b) केवल दो 

 (c) सभी तीनों 

(d)  कोई भी नहीं 

उत्तर: (c)

मुख्य परीक्षा प्रश्न : भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) क्या है? इसके प्रमुख विशेषताओं को रेखांकित कीजिए।

 स्रोत:इंडियन एक्सप्रेस

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