(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3: सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ एवं उनका प्रबंधन- संगठित अपराध व आतंकवाद के बीच संबंध) |
संदर्भ
सरकारी अधिकारियों एवं संसदीय पैनल की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगले दस वर्षों में म्यांमार के साथ 1643 किमी. लंबी सीमा को पूरी तरह से बाड़ (Fence) से घेर दिया जाएगा।
भारत-म्यांमार साझा सीमा एवं मुक्त आवागमन व्यवस्था (FMR)
- भारत-म्यांमार सीमा अरुणाचल प्रदेश (520 किमी.), नागालैंड (215 किमी.), मणिपुर (398 किमी.) और मिजोरम (510 किमी.) राज्यों से होकर गुजरती है।
- भारत एवं म्यांमार सीमा पर बाड़ नहीं है और इन दो देशों के बीच एक अनूठी व्यवस्था है जिसे फ्री मूवमेंट रिजीम (FMR) कहा जाता है।
- एफ.एम.आर. पहल का उद्देश्य पूर्वोत्तर में आदिवासी समुदायों के लिए नौकरशाही बाधाओं को कम करना है जिससे वे आसानी से सीमा पार अपने संबंधियों से मिल सकें।
मुक्त आवागमन व्यवस्था (Free Movement Regime)
- यह व्यवस्था बिना वीजा या पासपोर्ट के सीमा के दोनों ओर 10 किमी. की सीमा में रहने वाले परिवारों को मिलने की अनुमति देता है।
- एफ.एम.आर. वर्ष 1968 में अस्तित्व में आया था जब लोगों की मुक्त आवागमन का क्षेत्रीय विस्तार सीमा के दोनों ओर 40 किमी. तक था।
- वर्ष 2004 में इसे घटाकर 16 किमी. कर दिया गया और वर्ष 2016 में अतिरिक्त नियम लागू किए गए जिसे बाद में घटाकर 10 किमी. कर दिया गया था। फरवरी 2024 से एफ.एम.आर. को पूरी तरह से निलंबित कर दिया गया है।
|
आतंरिक सुरक्षा संबंधी चुनौतियाँ
- भारत-म्यांमार सीमा खुली होने की स्थिति शांति, स्थिरता एवं आर्थिक विकास के लिए चिंता का विषय रही है।
- इस क्षेत्र को म्यांमार से मादक पदार्थों की तस्करी, विद्रोहियों की आमद व हथियारों के अवैध व्यापार जैसे कई मुद्दों का सामना करना पड़ता है जो पूर्वोत्तर भारत में आंतरिक सुरक्षा को चुनौती देते हैं।
- एफ.एम.आर. को अवैध प्रवासियों की आवाजाही और हथियारों तथा ड्रग्स के प्रवाह को सुविधाजनक बनाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
- इसी क्रम में भारत सरकार ने एफ.एम.आर. को समाप्त करने की घोषणा की है।
भारत-म्यांमार सीमा प्रबंधन
- म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने की परियोजना की घोषणा गृह मंत्री अमित शाह ने फरवरी 2024 में की थी।
- 1 अप्रैल से 31 दिसंबर, 2024 तक बाड़ लगाने और असम राइफल्स के लिए कंपनी ऑपरेशन बेस के निर्माण पर ₹114.09 करोड़ की राशि खर्च की गई है।
- केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) के रूप में असम राइफल्स म्यांमार सीमा की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है।
- असम राइफल्स के अनुसार, स्वदेशी रूप से विकसित स्मार्ट बाड़ में एंटी-कट और एंटी-क्लाइम्ब विशेषताएँ हैं जो अवैध घुसपैठ को रोककर सीमा को सुरक्षित करेंगी।
- संसदीय पैनल की रिपोर्ट के अनुसार सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (CCS) ने मार्च 2024 में भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने और असम राइफल्स के कंपनी संचालन पोस्ट को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करने के उद्देश्य से सड़कों के निर्माण के लिए ₹31,000 करोड़ के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
- इस प्रस्ताव का नगा एवं कुकी-जो निकायों ने कड़ा विरोध करते हुए तर्क दिया कि इससे सीमा के दोनों ओर रहने वाले लोगों के जातीय व पारिवारिक संबंध बाधित होंगे।
चेक पॉइंट्स की स्थापना
- पिछले वर्ष तक मणिपुर में मोरेह के पास सीमा के केवल 10 किमी. हिस्से पर बाड़ लगाई गई थी।
- गृहमंत्री ने असम राइफल्स को संशोधित फ्री मूवमेंट रिजीम (FMR) के तहत प्रत्येक क्रॉसिंग पॉइंट के दोनों ओर 10 किमी. की बाड़ लगाने का निर्देश दिया था।
- संशोधित एफ.एम.आर. के तहत म्यांमार सीमा पर 43 क्रॉसिंग पॉइंट में से 22 का संचालन शुरू कर दिया गया है। इनमें से ग्यारह मणिपुर में हैं।
सीमा पर बाड़ लगाने में चुनौतियाँ
अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर बाड़ लगाने के लिए अनुकूल भौगोलिक स्थिति, स्थानीय आबादी का समर्थन और पर्याप्त धन की आवश्यकता होती है।
जटिल भौगोलिक स्थिति
- हिमालय पर्वत शृंखला का ऊबड़-खाबड़ क्षेत्र भारत-म्यांमार सीमा के साथ दक्षिण की ओर विस्तृत है।
- इसमें पटकाई बूम, नागा हिल्स, मणिपुर हिल्स, बरेल हिल्स एवं मिज़ो हिल्स नामक पर्वत की खंडित शृंखलाएँ शामिल है। इन पर्वत श्रृंखलाओं की औसत ऊँचाई 6,100 मीटर से अधिक है।
- ऊँचे पहाड़, गहरी नदी धाराएँ एवं घाटियाँ इस सीमा क्षेत्र की विशेषताएँ हैं।
- इस तरह के चुनौतीपूर्ण भूभाग परिवहन एवं संचार अवसंरचना के विकास में बाधक होते हैं जिससे सीमा क्षेत्र विरल आबादी वाला एवं आर्थिक रूप से अविकसित रह जाता है।
- कमज़ोर संचार नेटवर्क और आवश्यक सीमा अवसंरचना की कमी सीमा पर सुरक्षा बलों की तीव्र एवं कुशल आवाजाही में बाधक होती है।
घने जंगल
- आर्द्र उपोष्णकटिबंधीय जलवायु के कारण पूर्वोत्तर क्षेत्र में सघन जंगल होते हैं जो बाड़ निर्माण में चुनौती बन जाते हैं। सघन वनस्पति से निरंतर एवं अत्यधिक रखरखाव की भी आवश्यकता होती है।
- वर्ष भर लगातार वर्षा से कार्य के लिए अनुकूल समय बहुत कम होता है जिससे निर्माण कार्य में देरी हो सकती है।
आदिवासी संस्कृति
- भारत-म्यांमार सीमा पर आदिवासी समुदायों का सांस्कृतिक एवं सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य बहुत व्यापक है।
- इन सीमावर्ती राज्यों में मुख्यत: आदिवासी एवं जातीय समूह रहते हैं, जैसे- नागालैंड में नागा जनजातियाँ, मणिपुर में कुकी जनजातियाँ और मिज़ोरम में मिज़ो एवं चिन जनजातियाँ।
- कोन्याक, तांगखुल, खियामनियुंगन आदि जनजातियाँ सीमा के दोनों ओर निवास करती हैं।
- ये जनजातियाँ अपनी परंपरा, संस्कृति एवं संसाधनों को सीमा के दोनों ओर रहने वाले अपने रिश्तेदारों के साथ साझा करते हैं।
- इसलिए, सीमावर्ती क्षेत्रों के आदिवासी समूह सीमा पर बाड़ लगाने में सरकार के लिए प्रतिरोध उत्पन्न करते हैं।
क्षेत्रीय राजनीति
- राज्य स्तर पर सत्तारूढ़ राजनीतिक दल और स्थानीय आबादी का समर्थन सीमा पर सफलतापूर्वक बाड़ लगाने में महत्वपूर्ण है।
- भूमि से संबंधित मुद्दे राज्य सूची में शामिल हैं, इसलिए राज्य सरकार का विरोध भूमि अधिग्रहण में चुनौतियाँ उत्पन्न करता है।
- वर्तमान में नागालैंड एवं मिजोरम सरकार एफ.एम.आर. को रद्द करने के साथ-साथ सीमा पर बाड़ लगाने के पक्ष में नहीं हैं।
- राज्य सरकार के समर्थन के बिना भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने की पहल पर प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है।
- हालाँकि, पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों, जैसे- असम, अरुणाचल प्रदेश एवं मणिपुर ने केंद्र सरकार के फैसले का समर्थन किया है।
आगे की राह
सीमा पर प्रभावी निगरानी
- भारत-म्यांमार सीमा भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती प्रस्तुत करती है जिससे पूर्वोत्तर क्षेत्र की सुरक्षा एवं स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सीमा पर बाड़ लगाना आवश्यक हो जाता है।
- भारत-म्यांमार सीमा की प्रकृति प्रभावी सीमा प्रबंधन के लिए कई चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है।
- चूँकि, कुछ क्षेत्रों में बाड़ लगाने के लिए भौगोलिक परिस्थितियाँ एक चुनौती है, इसलिए ऐसे क्षेत्रों में सीमा परिधि की प्रभावी निगरानी के लिए वीडियो कैमरा, रडार सेंसर, फाइबर ऑप्टिक सेंसर एवं थर्मल इमेजिंग जैसी कई प्रकार की निगरानी तकनीकों का उपयोग करके हाइब्रिड निगरानी प्रणाली को नियोजित किया जा सकता है।
आदिवासी एवं स्थानीय समुदायों की भागीदारी
- सीमा पर कठोर नियंत्रण लागू करने से आदिवासी समुदायों के सामाजिक व आर्थिक ताने-बाने में बाधा उत्पन्न होने से तनाव व प्रतिरोध हो सकता है।
- इसलिए, परामर्श के माध्यम से स्थानीय नागरिकों का विश्वास तथा समर्थन प्राप्त करना और उनके दृष्टिकोण को शामिल करना भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने के दौरान आदिवासी समूहों से संभावित प्रतिरोध को कम कर सकता है।
- इस तरह के सहयोगात्मक उपाय बाड़ लगाने के प्रयासों को कई गुना बढ़ा सकते हैं।
सीमावर्ती राज्यों के साथ समन्वय
प्रत्येक सीमावर्ती राज्य की सहमति से एक व्यापक व समन्वित दृष्टिकोण सुनिश्चित करना एक स्थिर व शांतिपूर्ण पूर्वोत्तर क्षेत्र की स्थापना के लिए महत्त्वपूर्ण है। यह क्षेत्र विविध चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऐसे में बाड़ लगाकर सीमा प्रबंधन के मुद्दे का कुशल एवं प्रभावी नियोजन व कार्यान्वयन आवश्यक है।