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भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग

मुख्य परीक्षा

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3 : द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार, बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि)

संदर्भ 

  • भारत सरकार पूर्वी राज्यों सहित पूर्वोत्तर राज्यों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। बजट 2024-25 में पूर्वी राज्यों के लिए पूर्वोदय योजना की घोषण की गयी है। इसके अतिरिक्त पूर्वोत्‍तर के लिए ‘पीएम-डिवाइन’ और ‘पूर्वोत्‍तर विशेष बुनियादी ढांचा विकास योजना (सड़क)’ जैसी योजनाएँ संचालित हैं।
  • भारत का उद्देश्य अपने भू-आबद्ध पूर्वोत्तर राज्यों को दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ संपर्क केंद्र में बदलना है जो इसकी ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का दृष्टिकोण है।
  • व्यापार में वृद्धि करने, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने, क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान देने और दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत के रणनीतिक तथा भू-आर्थिक प्रभाव को मजबूत करने के लिए मेगा कनेक्टिविटी परियोजनाओं एवं आर्थिक गलियारों की स्थापना महत्वपूर्ण है।

भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग

  • लगभग 1360 किमी. तक विस्तृत भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग (IMT-TH) का उद्देश्य भारत, बांग्लादेश, म्यांमार एवं थाईलैंड के बीच एक निर्बाध सड़क संपर्क स्थापित करना है।
  • यह राजमार्ग भारत के मणिपुर के मोरेह से शुरू होकर म्यांमार में तामू एवं मांडले से होते हुए थाईलैंड के माई सोत में समाप्त होता है।
  • यह संपर्क परियोजना व्यापार मार्गों को सुव्यवस्थित कर और विदेशी निवेश को बढ़ावा देकर पर्याप्त आर्थिक लाभ का वादा करती है।
  • आई.एम.टी.-टी.एच. अधिक कुशल एवं लागत प्रभावी परिवहन मार्ग प्रदान करके तीनों देशों के बीच व्यापार, शिक्षा, पर्यटन व स्वास्थ्य संबंधों को सुगम बनाता है।
    • आसियान को भारत का निर्यात वर्ष 2021-22 के 42.32 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 44 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। 
    • आयात पिछले वर्ष के 68 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में वर्ष 2022-23 में 87.57 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया। 

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भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग से लाभ 

  • आर्थिक दृष्टिकोण : इस राजमार्ग को दक्षिण एशिया को दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ने वाला गलियारा बनाकर आर्थिक संभावनाओं को बढ़ावा दिया जा सकता है। 
    • इस राजमार्ग परियोजना में बांग्लादेश को शामिल करने से यह एक व्यापक क्षेत्रीय नेटवर्क में बदल जाएगा।
  • एकीकरण में वृद्धि : इससे बहु-क्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (बिम्सटेक) की अर्थव्यवस्थाओं का और अधिक एकीकरण होगा। 
    • इससे नेपाल, भूटान एवं अन्य क्षेत्रों के बाजारों तक पहुँच में वृद्धि होगी।  
  • रणनीतिक लाभ : आई.एम.टी.-टी.एच. परियोजनाएँ भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। 
    • यह भारत के गहन क्षेत्रीय एकीकरण और दक्षिण-पूर्व एशियाई भू-राजनीति में स्वयं को एक महत्वपूर्ण हितधारक के रूप में स्थापित करने के दृष्टिकोण को दर्शाता है।
  • विदेश नीति के अनुरूप : भारत की एक्ट ईस्ट नीति के अनुरूप यह राजमार्ग दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ जुड़ाव बढ़ाएगा और एशियाई राजमार्ग नेटवर्क एवं बिम्सटेक परिवहन मास्टर प्लान सहित विभिन्न अन्य पहलों में योगदान देकर सहयोग को बढ़ावा देगा।
  • समुद्री संपर्क के माध्यम से सहयोग : राजमार्ग को समुद्री संपर्क प्रयासों द्वारा समर्थित किया जाएगा जिसमें थाईलैंड में रानोंग बंदरगाह और भारत के विशाखापत्तनम, चेन्नई व कोलकाता बंदरगाहों के बीच पहले से ही समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं।
  • अन्य लाभ : इसके पूर्ण होने से परिवहन लागत एवं समय में उल्लेखनीय कमी आएगी। यह भौगोलिक विभाजन को पाटने और स्थानीय समुदाय की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी महत्वपूर्ण होगा।

त्रिपक्षीय राजमार्ग के समक्ष चुनौतियाँ 

परियोजना पूर्ण करने में देरी 

  • प्रारंभ में इसे वर्ष 2015 से चालू करने का लक्ष्य रखा गया था। बाद में इस समय सीमा को वर्ष 2019 तक बढ़ा दिया गया। 
  • वर्तमान में नई समय सीमा वर्ष 2027 निर्धारित की गई है।
  • इस देरी का मुख्य कारण म्यांमार में राजनीतिक अस्थिरता, वित्तीय मुद्दें एवं अन्य क्षेत्रीय बाधाएँ हैं। 

म्यांमार में सैन्य तख्ता पलट

  • म्यांमार में वर्ष 2021 के सैन्य तख्तापलट और जुंटा सरकार के उदय ने इस परियोजना को पंगु बना दिया है, जिससे पहले से मौजूद अस्थिरता और बढ़ गई है।
  • सत्ता पर सेना की पकड़ से हिंसा एवं व्यापक अशांति बढ़ी है, जिससे निर्माण श्रमिकों व यात्रियों की सुरक्षा गंभीर रूप से प्रभावित हुई है। संघर्ष ने एक अस्थिर माहौल को बढ़ावा दिया है, जिससे परियोजना की समयसीमा में बाधा आई है और जोखिम बढ़ गया है।
  • म्यांमार के चिन राज्य और सागाइंग क्षेत्र में वर्तमान में भी जुंटा एवं जातीय सशस्त्र समूहों के बीच संघर्ष जारी है।

पूर्वोत्तर भारत में जातीय संघर्ष 

  • भारत के पूर्वोत्तर में जातीय संघर्ष भी महत्वपूर्ण बाधा है। राजमार्ग के आस-पास कई जातीय समूहों के आवास हैं जिनके बीच लंबे समय से विवाद जारी है। इससे राजमार्ग के निर्माण एवं रखरखाव में जटिलताएँ आ रही हैं। 
  • मणिपुर में कुकी व मैतेई समुदायों के बीच हुए हालिया सांप्रदायिक संघर्षों ने परियोजना की प्रगति को और भी बाधित कर दिया है। 
    • उदाहरण के लिए, इन बाधाओं में तामू-कायगोन-कलेवा सड़क के किनारे 69 पुलों के नवीनीकरण का विलंबित होना है। 

मोटर वाहन समझौते के क्रियान्वयन में विलंब 

भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय मोटर वाहन समझौते (IMT-TMVA) को तैयार करना और लागू करना भी एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है। इसका कारण अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा, नौकरशाही बाधाएँ एवं सुरक्षा चिंताएँ हैं।

चीन की बुनियादी ढाँचा परियोजना से प्रतिस्पर्धा 

चीन की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के साथ प्रतिस्पर्धा क्षेत्रीय सहयोग एवं परियोजना कार्यान्वयन को जटिल बनाती है। 

अन्य कारक

  • म्यांमार में सड़क नेटवर्क का अभाव वाहनों की सुचारू आवाजाही में बाधा डालते हैं। 
  • तीनों देशों में नौकरशाही संबंधी जटिलताएँ आवश्यक परमिट एवं मंज़ूरी प्राप्त करने में अत्यधिक समय लेने वाली हैं।
  • म्यांमार के संघर्ष-ग्रस्त क्षेत्रों में सुरक्षा संबंधी चिंताएँ, वाहनों एवं सामानों की सुरक्षित आवाजाही के लिए जोखिम उत्पन्न करती हैं। 

परियोजना को पूर्ण करने के लिए सुझाव 

  • राजमार्ग और उसके उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करना और सभी हितधारकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना 
    • इसके लिए राजनयिक जुड़ाव बढ़ाने से लाभ हो सकता है।
  • परियोजनाओं के लिए स्थानीय समुदायों से उनका समर्थन प्राप्त करना 
  • क्षमता निर्माण एवं बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सहयोगात्मक प्रयास करना 
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