(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : भारत एवं इसके पड़ोसी संबंध) |
संदर्भ
विगत सप्ताह नेपाल की कैबिनेट ने अपने 100 रुपए के नोट पर एक नया मानचित्र लगाने का फैसला किया जिसमें भारत द्वारा प्रशासित कुछ क्षेत्रों को नेपाल के हिस्से के रूप में दिखाया गया।
हालिया विवाद
- भारत-नेपाल के मध्य क्षेत्रीय विवाद 372 वर्ग किमी. क्षेत्र को लेकर है जिसमें उत्तराखंड के पिथौरागढ जिले में भारत-नेपाल-चीन सीमा पर स्थित लिम्पियाधुरा, लिपुलेख एवं कालापानी शामिल हैं।
- नेपाल लंबे समय से इन क्षेत्रों पर दावा करता रहा है। इस मानचित्र को चार वर्ष पूर्व नेपाल की संसद ने सर्वसम्मति से अपनाया था।

- नेपाल पाँच भारतीय राज्यों- सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के साथ 1,850 किमी. से अधिक लंबी सीमा साझा करता है।
- भारत एवं नेपाल के प्रधानमंत्रियों ने सीमा मुद्दे के परीक्षण व राजनयिक चैनलों के माध्यम से समाधान पर सहमति व्यक्त की है।
- भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी दोनों देशों के मध्य सीमा मामलों के समाधान के लिए स्थापित मंच के माध्यम से संवाद पर बल दिया है।
भारत-नेपाल सीमा विवाद की उत्पत्ति
सुगौली की संधि
- 1814-16 ई. के आंग्ला-नेपाली युद्ध के बाद हुई सुगौली की संधि के परिणामस्वरूप नेपाल को अपना एक बड़ा क्षेत्र ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंपना पड़ा।
- इस संधि के अनुच्छेद 5 के अनुसार काली नदी के पूर्व स्थित भूमि पर ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकार को मान्यता दी गई।
ब्रिटिश सर्वेयर द्वारा जारी मानचित्र
- वर्ष 1819, 1821, 1827 एवं 1856 में भारत के ब्रिटिश सर्वेयर जनरल द्वारा जारी किए गए मानचित्रों में काली नदी का उद्गम लिम्पियाधुरा में दिखाया गया था।
- वर्ष 1947 में भारत छोड़ने से पहले अंग्रेजों द्वारा जारी किए गए अंतिम मानचित्र में भी काली नदी का उद्गम लिम्पियाधुरा में ही प्रदर्शित किया गया था।
भारत-चीन युद्ध के बाद स्थिति में परिवर्तन
- लिम्पियाधुरा क्षेत्र के गाँव गुंजी, नाभी, कुटी एवं कालापानी (जिन्हें तुलसी, न्युरांग व नाभीदांग के नाम से भी जाना जाता है) वर्ष 1962 तक नेपाल सरकार की जनगणना के अंतर्गत आते थे।
- यहाँ के निवासियों द्वारा नेपाल सरकार को भूमि राजस्व का भुगतान भी किया जाता था।
- हालाँकि, वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद स्थिति बदल गई।
भारत को उपहार के रूप में प्रदत्त क्षेत्र
- नेपाल के पूर्व गृह मंत्री बिश्वबंधु थापा के अनुसार, भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने नेपाल के राजा महेंद्र से रणनीतिक रूप से भारत-चीन-नेपाल के ट्राइजंक्शन पर स्थित कालापानी का भारतीय सेना के लिए एक आधार के रूप में उपयोग करने की अनुमति मांगी थी।
- बाद में भारतीय अधिकारियों ने द्विपक्षीय वार्ता में दावा किया कि राजा महेंद्र ने यह क्षेत्र भारत को उपहार में दिया था लेकिन यह मुद्दा कभी हल नहीं हुआ।
- वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेपाल यात्रा के दौरान दोनों पक्ष कालापानी एवं सुस्ता क्षेत्र में विद्यमान सीमा मुद्दे के शीघ्र समाधान के लिए एक सीमा कार्य समूह स्थापित करने पर सहमत हुए।
द्विपक्षीय संबंधों में तनाव
नेपाल के नए संविधान का निर्माण
- वर्ष 2015 में नेपाल के नए संविधान के निर्माण के दौरान भारत का सुझाव था कि इस संविधान में तराई क्षेत्रीय दलों की चिंताओं एवं उनके समाधान के लिए भी प्रावधान किए जाने चाहिए।
- इसे नेपाल की तत्कालीन सरकार ने खारिज कर दिया था।
मधेशी आंदोलन
- नेपाल के नए संविधान से असंतुष्ट मधेशी समूह ने अपनी सरकार के विरुद्ध आंदोलन प्रारंभ कर दिया।
- नेपाल की तत्कालीन सरकार ने इसके लिए मुख्य रूप से भारत को उत्तरदायी ठहराया।
- इस आंदोलन के चलते सितंबर 2015 में नेपाल की 134-दिवसीय नाकाबंदी ने भारत के विरुद्ध अविश्वास पैदा कर दिया।
- इसी बीच नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए वैकल्पिक स्रोत के रूप में चीन के साथ व्यापार एवं पारगमन समझौते पर हस्ताक्षर किए।
नए मानचित्र का अनावरण
- नेपाल के नए संविधान के निर्माण के बाद हुए पहले चुनाव में नेपाली की कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी) के अध्यक्ष के.पी. शर्मा ओली प्रधानमंत्री निर्वाचित हुए।
- वर्ष 2020 में प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने नेपाल के नए मानचित्र के लिए संसद में आम सहमति हासिल की जिसमें औपचारिक रूप से उत्तराखंड में 372 वर्ग किमी. का क्षेत्र शामिल था।
- उन्होंने इस क्षेत्र की पुनर्प्राप्ति पर बल दिया।
आगे की राह
भारत एवं नेपाल के मध्य वर्तमान मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए। यदि भारत इस क्षेत्र में स्वयं को एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करना चाहता है तो इसे नेपाल के प्रति पड़ोसी पहले की नीति को अपनाने के साथ ही उसकी संप्रभुता से कोई भी समझौता किए बिना निरंतर संवाद के माध्यम से सीमा विवाद को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए।