(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामायिक घटनाओं से सबंधित प्रश्न )
(मुख्या परीक्षा प्रश्नपत्र- 3 ; आपदा एवं आपदा प्रबंधन से सबंधित विषय )
संदर्भ
बीते कई वर्षों से बाढ़ का सामना कर रहे बिहार के कुछ ज़िलों ने इस वर्ष बाढ़ तथा कोविड-19 महामारी की दोहरी चुनौतियों का सामना किया। ऐसे में भारत की वर्तमान संघीय व्यवस्था के तहत भारत- नेपाल बाढ़ प्रबंधन के कुछ प्रमुख पहलुओं पर चर्चा करने का यह सही समय है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- नेपाल की सबसे बड़ी नदी प्रणालियाँ हिमालय के ग्लेशियरों से उद्गमित होकर बिहार के कुछ क्षेत्रों को आच्छादित करते हुए भारत में प्रवाहित होती हैं। मानसून के दौरान ये नदियाँ बिहार में बाढ़ का कारण बनती हैं।
- नेपाल के तराई व उत्तरी बिहार में बाढ़ से निपटने के लिये केंद्र व बिहार सरकार के बीच ‘प्रक्रिया संचालित समन्वय (Process Driven Coordination)’ की आवश्यकता है।
उठाए गए प्रमुख कदम
- बिहार में बड़े पैमाने पर तथा बाढ़ की बारंबारता की समस्या के समाधान हेतु दीर्घकालिक उपायों को अपनाते हुए वर्ष 2004 में विराटनगर (नेपाल) में ‘संयुक्त परियोजना कार्यालय (Joint Project Office)’ की स्थापना की गई।
- इसका कार्य नेपाल में ( कोसी, कमला व बागमती नदियों पर) एक उच्च बाँध के निर्माण हेतु विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करना था।
- 10 फरवरी, 2020 को नई दिल्ली में केंद्रीय जल आयोग (Central Water Commission- CWC) तथा जल-शक्ति मंत्रालय (भारत सरकार) ने विस्तृत परियोजना रिपोर्ट की स्थिति का पता लगाने के लिए विशेषज्ञों की संयुक्त टीम की विशेष बैठक बुलाई।
- केंद्रीय जल आयोग द्वारा गठित अधिकारियों के समूह को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के विभिन्न पहलुओं पर कार्य करते हुए, परियोजना को जल्दी पूरा करने हेतु एक कार्य योजना का प्रस्ताव तैयार करना था।
- जल संसाधन विभाग (बिहार सरकार) ने विस्तृत परियोजना रिपोर्ट में तेज़ी लाने के लिये बार-बार जल-शक्ति मंत्रालय से अनुरोध किया परन्तु उसके तमाम प्रयासों के बावजूद 17 वर्ष बाद भी यह परियोजना अधूरी पड़ी है।
बाढ़ सुरक्षा पर भारत- नेपाल साँझा प्रबंध
- जल संसाधनों पर मौजूदा भारत- नेपाल समझौते के अनुसार, बिहार सरकार भारत- नेपाल सीमा के साथ नेपाल राज्य- क्षेत्र के भीतर महत्त्वपूर्ण हिस्सों तक बाढ़-सुरक्षा कार्यों को निष्पादित करने हेतु अधिकृत है।
- कोविड-19 महामारी के दौरान भी बिहार सरकार बाढ़-सुरक्षा के कार्यों को संपन्न करने हेतु दो स्तरों; स्थानीय नेपाली अधिकारियों तथा अपील के माध्यम से केंद्र सरकार के साथ बातचीत में संलग्न थी।
- केंद्र व राज्य के मध्य निरंतर समन्वय तथा भारत द्वारा त्वरित हस्तक्षेप के पश्चात काठमांडू ने कोसी नदी बेसिन क्षेत्र में निर्माण कार्य संचालन की सशर्त अनुमति दी, साथ ही गंडक व कमला नदी क्षेत्र में भी बाढ़-नियंत्रण सामग्री की आवाजाही की सुविधा प्रदान की गई।
- जल संसाधन विभाग,बिहार सरकार ने वर्ष 2020 की बाढ़ से पूर्व गंडक बैराज में बाढ़ सुरक्षा कार्यों हेतु भारत सरकार से अनुरोध किया था तथा नेपाल से सशर्त अनुमति के बाद प्रस्तावित कार्यों को पूरा किया गया।
चुनौतियाँ
- हाल के वर्षों में ऐसे सभी बाढ़-सुरक्षा कार्यों को स्थानीय प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है।
- लालबेकिया नदी के सीमांत बाँध पर प्रस्तावित कार्य के दौरान नेपाली प्रशासन ने दावा किया कि उक्त बाँध ‘नो मेंस लैंड’ क्षेत्र में है, जबकि 30 वर्ष पूर्व भारत द्वारा इस तटबंध का निर्माण किया गया था।
- नेपाल के साथ जल बंटवारे के महत्त्वपूर्ण मामले को भारत ने आधिकारिक तौर पर हरी झंडी दिखाई है परन्तु नेपाल की तरफ से त्वरित प्रक्रिया की कमी है।
आगे की राह
- भारत-नेपाल द्विपक्षीय सहयोग जल बंटवारे तथा जल प्रबंधन का आधार है अत: एक स्थायी समाधान सुनिश्चित करने में नेपाल को अपनी भूमिका स्पष्ट करनी चाहिये।
- बाढ़ जैसी आपदा को समाप्त करने के लिये यह आवश्यक है कि नेपाल- भारत के साथ दीर्घकालिक समाधान सुनिश्चित करने हेतु आवशयक इच्छाशक्ति दिखाए।
- दोस्ती की सर्वोत्तम भावना के साथ नेपाल- भारत जल-वार्ता पुन: शुरू कर दोनों पक्षों के प्रभावित लोगों के हितों की सुरक्षा हेतु नीतियाँ बनाई जानी चाहिये।
- जल सहयोग को अगले स्तर पर ले जाकर भारत- नेपाल संवाद को आगे बढ़ाना चाहिये तथा विकास व पर्यावरण के संरक्षण हेतु इस आपदा को अवसर में बदलने का प्रयास किया जाना चाहिये।
निष्कर्ष
भारत- नेपाल बाढ़ के स्थायी समाधान हेतु स्थानीय प्रतिनिधित्त्व को शामिल करते हुए एक अंतर-सरकारी पैनल का गठन किया जाना चाहिये। जल संसाधन अमूल्य संपत्ति है, बाढ़ को नियंत्रित कर इसका उपयोग जलविद्युत, सिंचाई तथा जलमार्ग जैसे विकासात्मक कार्यों में करते हुए भारत- नेपाल सबंधों को और मजबूत बनाया जा सकता है।