(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 : द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह तथा भारत को प्रभावित करने वाले करार; महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, उनकी संरचना व अधिदेश)
संदर्भ
- हाल ही में, भारत तथा पाकिस्तान के ‘सैन्य संचालन महानिदेशकों’ (Director Generals of Military Operations) द्वारा जारी किये गये बयान में कहा गया कि दोनों देशों के बीच सभी समझौतों का सख्ती से पालन किया जाएगा। कुछ ऐसा ही बयान पाकिस्तानी प्रधानमंत्री द्वारा उनकी श्रीलंका यात्रा के दौरान कश्मीर के संबंध में भी दिया गया था।
- उल्लेखनीय है कि भारतीय संसद ने वर्ष 2019 में ‘जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम’ पारित किया था, जिसके तहत जम्मू कश्मीर को एक केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था। इसके उपरांत पाकिस्तान विभिन्न मंचों से भारत के इस कदम की आलोचना करता रहा है।
दक्षिण एशिया में आर्थिक एकीकरण
- भारत-पाकिस्तान के बीच शांति स्थापना केवल दोनों देशों के लिये लाभदायक ना होते हुए पूरे ‘दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन’ (South Asian Association for Regional Cooperation – SAARC) के देशों के लिये लाभदायक होगी।
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन – दक्षेस
(South Asian Association for Regional Cooperation – SAARC)
- स्थापना– 8 दिसंबर 1985
- मुख्यालय– काठमांडू, नेपाल
- आधिकारिक भाषा– अंग्रेजी
- प्रथम सम्मेलन– ढाका, बांग्लादेश (1985)
- 8 सदस्य देश– भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव, भूटान तथा अफगानिस्तान
- 9 पर्यवेक्षक देश– संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, ईरान, चीन, म्याँमार, मॉरीशस, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया तथा यूरोपियन यूनियन
- उल्लेखनीय है कि भारत में अभी तक सार्क 3 सम्मेलन (वर्ष 1986, 1997 तथा 2007) हुए हैं, जिनमें से वर्ष 2007 में नई दिल्ली में संपन्न हुए 14वें शिखर सम्मेलन के दौरान ‘अफगानिस्तान’ को इस संगठन का आठवाँ सदस्य बनाया गया।
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- विश्व बैंक द्वारा जारी की गई 'ए ग्लास हाफ फुल' नामक रिपोर्ट में तथा यूरोपीय संघ तथा एशियाई विकास बैंक के हवाले से बताया गया कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र को आर्थिक एकीकरण के माध्यम से ही आगे बढ़ाया जा सकता है।
- सार्क देशों के मध्य सहयोग की सुविधा सीमित है, लेकिन भारत तथा पाकिस्तान के खराब रिश्तों के कारण यह और भी बाधित होता है। भारतीय विदेश मंत्री ने भी कहा कि भारत को अन्य दक्षिण एशियाई देशों के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाना होगा। जिससे भारत इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभुत्व को संतुलित कर सके।
- दक्षिण एशियाई क्षेत्र जल्द ही चीन की ‘वन बेल्ट वन रोड परियोजना’ का एवं ‘क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी’ (RCEP) का हिस्सा बन सकता है। आर.सी.ई.पी. 15 देशों का समूह है तथा इसकी विश्व के सकल घरेलू उत्पाद में 30% हिस्सेदारी है।
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी
(Regional Comprehensive Economic Partnership - RCEP)
- गठन– अगस्त 2012
- 15 सदस्य– आसियान देश (वियतनाम, इंडोनेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, कंबोडिया, मलेशिया, ब्रूनेई, फिलीपींस, म्याँमार, लाओस) तथा 5 एफ.टी.ए. सदस्य देश (आस्ट्रेलिया, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, न्यूज़ीलैंड)
- नवंबर 2019 में बैंकाक में आयोजित हुए तीसरे शिखर सम्मेलन में भारत ने अपने भविष्य के आर्थिक खतरे को देखते हुए इसमें शामिल होने से मना कर दिया था।
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- दिवंगत श्रीलंकाई अर्थशास्त्री समन केलगामा के अनुसार, भारत का दक्षिण एशिया में भारी असंतुलन है, जिसे भारत की जनसंख्या, कुल भूमि क्षेत्र तथा उसकी दक्षिण एशियाई देशों के मध्य जी.डी.पी. के आलोक में देखा जा सकता है।
- दक्षिण एशियाई देशों की कुल जनसंख्या 1.9 बिलियन तथा इन देशों की जी.डी.पी. 12 ट्रिलियन डॉलर है, जो आसियान देशों से कहीं अधिक है।
निष्कर्ष
- दक्षिण एशियाई देशों को उन मुद्दों को सुलझाने पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिये, जो पूरे उपमहाद्वीप में गरीबी, कुपोषण और युवाओं के भविष्य की उपेक्षा करते हैं। यह महसूस किया गया है कि भारत-पाकिस्तान के खराब संबंध दक्षिण एशियाई क्षेत्र के विकास को बाधित करते हैं।
- भारत को अपने बड़े आकार का उपयोग दक्षिण एशियाई देशों में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिये करना चाहिये। इस हेतु भारत को पकिस्तान के साथ अपने द्विपक्षीय रिश्तों में सुधार करने की ओर बढ़ना चाहिये।