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भारत-पाकिस्तान व्यापार : चुनौतियाँ और संभावनाएँ

संदर्भ

हाल ही में, पाकिस्तान ने भारत से होने वाले चीनी एवं कपास के आयात पर लगभग पिछले 19 माह से लगे प्रतिबंध को हटाने का निर्णय लिया था। रमजान माह से पूर्व चीनी की कीमतों में हो रही वृद्धि को रोकने तथा वस्त्र उद्योग के लिये कच्चे माल की कमी को दूर करने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया था। हालाँकि अगले ही दिन पाकिस्तान सरकार ने यह निर्णय वापस ले लिया।

पृष्ठभूमि

  • भारत ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 में संशोधन किया था। इसके विरोध में पाकिस्तान ने भारत से अपने सभी व्यापारिक संबंध समाप्त कर लिये थे। तत्पश्चात् सितंबर 2019 में, कुछ भारतीय फर्मास्यूटिकल उत्पादों एवं अन्य महत्त्वपूर्ण वस्तुओं के व्यापार के लिये आंशिक छूट प्रदान की गई थी।
  • गौरतलब है कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को दिये मोस्ट फेवर्ड नेशन (Most Favoured Nation) के दर्जे को समाप्त कर दिया था तथा वहाँ से होने वाले आयात पर 200 प्रतिशत का शुल्क लगा दिया था। परिणामस्वरूप दोनों देशों के मध्य व्यापार में गिरावट आई। 

भारत-पाक व्यापार से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • पाकिस्तान के साथ व्यापार अधिशेष की स्थिति में रहता है। वित्त वर्ष 2018-19 में ‘पाकिस्तान’ भारत के शीर्ष 50 व्यापार-भागीदारों में से एक था, परंतु वित्त वर्ष 2019-20 में संबंधों में आए परिवर्तन एवं विभिन्न प्रतिबंधों के कारण व्यापार में गिरावट आई और पकिस्तान शीर्ष 50 व्यापार-भागीदारों की सूची से बाहर हो गया है।
  • भारत से पाकिस्तान को निर्यात की जाने वाली प्रमुख वस्तुओं में कपास, चीनी, टायर, फार्मास्यूटिकल व पेट्रोलियम उत्पाद इत्यादि प्रमुख हैं जबकि भारत सूखे मेवे, फल, तैयार चमड़ा, खनिज उत्पाद इत्यादि वस्तुओं का पाकिस्तान से आयात करता है।
  • वित्त वर्ष 2018-19 में भारत ने पाकिस्तान को 2.07 बिलियन डॉलर का निर्यात किया था। यह भारत के कुल निर्यात के एक प्रतिशत से भी कम है, जबकि इसी अवधि के दौरान भारत ने पाकिस्तान से 494.87 मिलियन डॉलर का आयात किया था। यह भारत द्वारा इस अवधि में किये गए कुल आयात के आधे प्रतिशत से भी कम था।
  • ‘कपास’ पाकिस्तान द्वारा भारत से आयात की जाने वाली प्रमुख वस्तु रही है। वित्त वर्ष 2018-19 में पाकिस्तान ने भारत से 550.3 मिलियन डॉलर कीमत का कपास आयात किया था। यह भारत द्वारा उस वित्त वर्ष में पाकिस्तान को निर्यात की गई कुल वस्तुओं में सबसे अधिक (लगभग 27 प्रतिशत) था।

 

भारत- पाकिस्तान व्यापार की चुनौतियाँ

  • भारत एवं पाकिस्तान के संबंध आरंभ से ही तनावपूर्ण रहे हैं। अभी तक दोनों देशों के मध्य तीन बार युद्ध हो चुका है। इनके मध्य विवाद के प्रमुख मुद्दों में कश्मीर मुद्दा, सिंधु नदी जल विवाद, सियाचिन हिमनद विवाद, सर क्रीक विवाद इत्यादि प्रमुख हैं। इन मुद्दों का नकारात्मक प्रभाव दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों पर भी पड़ा है।
  • पाकिस्तान और चीन के संबंध प्रगाढ़ हो रहे हैं, जो भारत के लिये चिंता का विषय है। पाकिस्तान द्वारा चीन की नीतियों, जैसे- स्ट्रिंग ऑफ़ पर्ल्स, वन बेल्ट वन रोड (OBOR) पहल, समुद्री रेशम मार्ग परियोजना इत्यादि में भागीदारी से भारत एवं पाकिस्तान के मध्य व्यापारिक संबंध प्रभावित हो रहे हैं।
  • द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिये भारत ने तो पाकिस्तान को ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्जा प्रदान किया था, लेकिन पाकिस्तान ने भारत को यह दर्जा नहीं दिया था। इसके कारण भी दोनों देशों के मध्य होने वाले व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। उल्लेखनीय है कि पकिस्तान ने चीन को ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ के रूप में सूचीबद्ध किया है। 

भारत एवं पाकिस्तान व्यापार में संभावनाएँ

  • पाकिस्तान ने भारत के साथ व्यापार के लिये वाघा-अटारी बॉर्डर से सीमित वस्तुओं के व्यापार को अनुमति प्रदान की गई है। अतः इस मार्ग से व्यापार के लिये अन्य वस्तुओं को भी अनुमति प्रदान की जानी चाहिये। इससे दोनों देशों के मध्य व्यापार में वृद्धि होगी।
  • दोनों देशों के मध्य सीमित व्यापार का प्रमुख कारण व्यापार की संवेदनशील सूची एवं नकारात्मक सूची का होना है। भारत ने पाकिस्तान की लगभग 600 वस्तुओं को तथा पाकिस्तान ने भारत की लगभग 900 वस्तुओं को संवेदनशील वस्तुओं की सूची में शामिल किया है, वहीं पाकिस्तान ने भारत की लगभग 1200 वस्तुओं को नकारात्मक सूची में रखा है। इससे दोनों देशों के व्यापारिक संबंध नकारात्मक रूप से प्रभावित होते हैं। अतः दोनों देशों द्वारा इन सूचियों पर पुनर्विचार किये जाने की आवश्यकता है।
  • दोनों देशों के मध्य व्यापारिक संबंधों को सुदृढ़ करने के लिये आवश्यक है कि इनके द्वारा एक-दूसरे को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा प्रदान किया जाए।

निष्कर्ष

  • दोनों देशों के मध्य व्यापारिक संबंध शुरू से ही राजनीतिक एवं सामरिक संबंधों से प्रभावित होते रहे हैं। वर्तमान में भी दोनों देशों के मध्य व्यापार में होने वाली गिरावट इसी का परिणाम है। अतः दोनों देशों द्वारा आपसी संबंधों को सौहार्दपूर्ण बनाए जाने का प्रयास किया जाना चाहिये।
  • हाल ही में, दोनों देशों के मध्य किया गया संघर्ष-विराम समझौता इस दिशा में एक अच्छा प्रयास है। साथ ही, राजनीतिक लाभ एवं आंतरिक विरोध से ऊपर उठकर दोनों देशों को संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में कार्य करना चाहिये। इससे दोनों देशों के मध्य व्यापारिक संबंधों को सुदृढ़ किया जा सकेगा।
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