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भारत का पहला डार्क स्काई रिजर्व 

(प्रारंभिक परीक्षा के लिए - डार्क स्काई रिजर्व, चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य, हिमालयन चंद्र टेलीस्कोप (HCT),  हाई एनर्जी गामा रे टेलीस्कोप (HAGR),  मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरिमेंट टेलीस्कोप (MACE)
( मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र 3 - अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी)

सन्दर्भ 

  • हाल ही में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने लद्दाख के हानले में भारत का पहला डार्क स्काई रिजर्व स्थापित करने की घोषणा की है।
  • यह लद्दाख में चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य के हिस्से के रूप में स्थित होगा।

हानले 

  • यह लद्दाख में समुद्र तल से लगभग 4,500 मीटर की ऊंचाई पर है।
  • यह खगोलीय अवलोकन के लिए दुनिया के सबसे इष्टतम स्थलों में से एक माना जाता है।
  • यहाँ वर्ष के अधिकांश महीनों के लिए शुष्क मौसम रहता है। 
  • बादल रहित आकाश और कम वायुमंडलीय जल वाष्प इसे ऑप्टिकल, इन्फ्रारेड, सब-मिलीमीटर और मिलीमीटर तरंग दैर्ध्य के अवलोकन लिए दुनिया के सर्वश्रेष्ठ स्थलों में से एक बनाता है।
  • हिमालयन चंद्र टेलीस्कोप (HCT), हाई एनर्जी गामा रे टेलीस्कोप (HAGR), मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरिमेंट टेलीस्कोप (MACE) और ग्रोथ-इंडिया हानले वेधशाला में स्थित प्रमुख टेलीस्कोप हैं।

डार्क स्काई रिजर्व

  •  डार्क स्काई रिजर्व एक ऐसे स्थान को दिया गया पदनाम है, जहाँ यह सुनिश्चित करने के लिए नीतियां हों, कि उस क्षेत्र में न्यूनतम कृत्रिम प्रकाश हस्तक्षेप हो।
  • इंटरनेशनल डार्क स्काई एसोसिएशन एक अमेरिका-आधारित गैर-लाभकारी संगठन है, जो अंतर्राष्ट्रीय डार्क स्काई स्थानों, पार्कों, अभयारण्यों और भंडारों के रूप में स्थानों को निर्दिष्ट करता है।
  • डार्क स्काई रिजर्व के निर्माण का उद्देश्य खगोल विज्ञान को प्रोत्साहित करना है।

लद्दाख में डार्क रिजर्व की मुख्य विशेषताएं 

  • इसमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से स्थानीय पर्यटन और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद करने वाली गतिविधियां होंगी।
  • एस्ट्रो-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए, हानले के आसपास के गांवों को टेलीस्कोप से लैस होमस्टे को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिसका उपयोग पर्यटक रात में आकाश को देखने के लिए कर सकते हैं। 
  • हानले पहले से ही एक वन्यजीव अभयारण्य में है, और इसे इस तरह के रिजर्व के रूप में विकसित करना एक नए प्रकार के पर्यटन को प्रोत्साहित करेगा। 
  • ग्रामीणों और निवासियों को खगोलीय अवलोकन में पर्यटकों की मदद करने के लिए भी प्रशिक्षित किया जाएगा।
  • यहाँ ना केवल खगोल विज्ञान के बारे में बल्कि आसपास के चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य में वन्यजीवों और पौधों के जीवन के बारे में लोगों को सूचित करने के लिए एक पर्यटक केंद्र भी स्थापित किया जाएगा।

चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य - 

  • चांगथांग अभयारण्य लेह जिले के लद्दाखी पठार के 1600 वर्ग किमी इलाके में फैला हुआ।
  • यहां सबसे ऊंची झील त्सो मोरीरी है। 
  • इस अभयारण्य में दुनिया का सबसे ऊँचा अधिक ऊँचाई पर स्थित कोरजोक गाँव भी है। इस गाँव में स्थित कोरजोक मठ पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है।   
  • चांगथांग अभयारण्य में दुर्लभ हिम तेंदुए भी पाये जाते हैं।
  • इसके अलावा जंगली गधा, काले रंग की गर्दन वाले सारस को भी यहाँ देखा जा सकता है। 
  • तिब्बती भेड़िया, जंगली भैंसा, भूरे भालू  भी यहाँ जगह-जगह दिखाई दे जाते हैं। 
  • इसमें कई प्रकार के एविफुना पक्षी भी हैं, और लगभग 44 प्रकार के पानी में रहने वाले पक्षियों के साथ प्रवासी पक्षियों की मौसमी प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं।
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