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गहरे समुद्री अनुसंधान में भारत के बढ़ते कदम

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता)

संदर्भ

हाल ही में, भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS) द्वारा ‘अंतर्राष्ट्रीय हिंद महासागर सम्मेलन’ (IIOC) का आयोजन किया गया।

अंतर्राष्ट्रीय हिंद महासागर सम्मेलन (IIOC)

  • इस सम्मेलन को अंतर्राष्ट्रीय हिंद महासागर अभियान (IIOE) के दूसरे चरण में हुई प्रगति और प्राप्त वैज्ञानिक जानकारियों के आकलन हेतु आयोजित किया गया, जिसमें 20 देशों के प्रतिभागियों ने भाग लिया। विदित है कि अंतर्राष्ट्रीय हिंद महासागर अभियान वर्ष 2015 में प्रारंभ किया गया था।
  • इस सम्मेलन को आई.एन.सी.ओ.आई.एस. (INCOIS) के साथ राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (NIO) और गोवा विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान केंद्र (NCPOR) द्वारा सह-आयोजित किया गया।

गहरे समुद्र के अध्ययन से संबंधित मिशन

deep-ocean

  • भारत ने वर्तमान में 'डीप ओशन मिशन' के तहत 24 स्थानों पर 6,000 मीटर की गहराई में लगभग 48 गहरे ‘अर्गो फ्लोट्स’ तथा अन्य 150 ‘तरंग ड्रिफ्टर्स’ स्थापित किये हैं।
  • भविष्य में भारत की योजना आठ गहरे समुद्री ग्लाइडर प्रस्तुत करने की है, जो कि 6 से 12 महीने तक जल में रहने की क्षमता से युक्त होंगे तथा 3,000 किमी. से 4,500 किमी. की दूरी तय करने में सक्षम होंगे।
  • आगामी तीन वर्षों में एक मानवयुक्त सबमर्सिबल वाहन (एक बहु-विषयक अनुसंधान पोत) को समुद्र के गहन अवलोकन एवं वैज्ञानिक परिभ्रमण के लिये छोड़ा जाना है। यह 6,000 मीटर की गहराई तक भ्रमण करने में सक्षम होगा।
  • साथ ही, समुद्री अनुसंधान से जुड़े ‘ओशनसैट-3’ को भी आगामी समय में लॉन्च किया जाना अपेक्षित है।

गहरे समुद्र के अध्ययन विषयक रणनीति

  • समुद्र तटीय आबादी तथा उनकी आजीविका को सुरक्षित करने के लिये महासागरीय जलवायु को समझना महत्त्वपूर्ण है।
  • भारत सरकार 'नीली अर्थव्यवस्था' पर एक मसौदा नीति तैयार कर रही है, जो कि 'डीप ओशन मिशन' का एक अभिन्न अंग है, इसके लिये पांच वर्ष की अवधि में 4,077 करोड़ रूपए स्वीकृत किये गए हैं।
  • यह नीति गहरे समुद्री और तटीय संसाधनों के खनन तथा अपतटीय ऊर्जा एवं जलवायु सेवाओं की प्राप्ति को सुनिश्चित कर सतत् महासागरीय विकास के लिये भविष्य की रूपरेखा निर्धारित करेगी।
  • साथ ही यह नीति समुद्री स्टेशन, अंडरवाटर रोबोटिक्स, जैव विविधता का अध्ययन, जैव-संक्षारण, सूक्ष्मजीव आदि से जुड़ी उन्नत प्रौद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहित करेगी।
  • विदित है कि भारत समुद्र के तापमान, धाराओं, लवणता आदि के ‘इन सीटू और सैटेलाइट डाटा’ की मदद से विभिन्न जलवायु परिस्थितियों और मानसून की यथासंभव सटीक भविष्यवाणी करने में सक्षम है।

समुद्री अध्ययन विषयक तकनीकी का विकास

  • भारत का उद्देश्य अधिकाधिक प्लेटफार्मों के साथ गहरे समुद्र अन्वेषण को सुदृढ़ करना है तथा भविष्य की सेवाओं के लिये एक मॉडल रूपरेखा तैयार करना है ताकि चक्रवात एवं तूफान की अधिक सटीकता से भविष्यवाणी की जा सके। साथ ही, वैश्विक तापन, हानिकारक शैवाल प्रस्फुटन, तटीय आकृति विज्ञान एवं कटाव आदि में तीव्रता का अध्ययन किया जा सके।
  • इस संदर्भ में, सांख्यिकीय एवं गतिशील मॉडलिंग तथा अन्वेषण नेटवर्क के माध्यम से भविष्य में चक्रवात व समुद्री पारितंत्र के सटीक मूल्यांकन और भविष्यवाणियों के लिये आगामी शोध के साथ-साथ विद्युत् उत्पन्न करने के लिये महासागरीय तापीय ऊर्जा के रूपांतरण से जुड़ी एक इंजीनियरिंग डिजाइन की पहचान भी की गई है।
  • यूनेस्को के अंतर-सरकारी समुद्र विज्ञान आयोग (IOC) के अनुसार, अन्य महासागरों की अपेक्षा सबसे कम अध्ययन हिंद महासागर का किया गया है अतः राष्ट्रों को सतत् महासागर योजना तथा उसके विकास को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
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