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IAS Foundation New Batch, Starting from 27th Aug 2024, 06:30 PM | Optional Subject History / Geography | Call: 9555124124

भारत के नए रामसर स्थल

(प्रारंभिक परीक्षा-पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ

  • केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार, वर्तमान में भारत में रामसर स्थलों की कुल संख्या बढ़कर 75 हो गई है। यह संख्या स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप हैं। 26 जुलाई, 2022 को भारत के पांच स्थलों को रामसर अभिसमय सूची के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्र भूमि के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। इसके बाद 3 अगस्त, 2022 को 10 अन्य आर्द्रभूमियों को रामसर स्थल की सूची में शामिल किया गया है। साथ ही, 13 अगस्त, 2022 को भारत के 11 नए रामसर स्थलों की घोषणा की गई।
  • रामसर अभिसमय को ईरान के रामसर में वर्ष 1971 में हस्ताक्षरित किया गया था। भारत ने 1 फरवरी, 1982 को इस पर हस्ताक्षर किये। वर्ष 1982 से 2013 के दौरान रामसर स्‍थलों की सूची में देश के कुल 26 स्‍थलों को जोड़ा गया, जबकि वर्ष 2014 से 2022 तक देश ने रामसर स्थलों की सूची में 49 नई आर्द्रभूमि जोड़ी हैं। इन स्थलों को नामित करने से आर्द्रभूमियों के संरक्षण और प्रबंधन तथा इनके संसाधनों के कौशलपूर्ण उपयोग में सहायता मिलेगी।

नए रामसर स्थल

  • 26 जुलाई को रामसर सूची में तमिलनाडु से तीन, मिजोरम से एक तथा मध्य प्रदेश से एक स्थल को शामिल किया गया था। इसके बाद रामसर स्थलों की संख्या 54 हो गई थी।
  • 3 अगस्त को इस सूची में शामिल की गई 10 अन्य आर्द्रभूमियों में तमिलनाडु की 6 तथा गोवा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और ओडिशा की 1-1 आर्द्रभूमि है, जिससे इनकी संख्या 64 हो गई थी।
  • 13 अगस्त को शामिल किये गए 11 नए रामसर स्थलों की सूची में तमिलनाडु के 4, ओडिशा के 3, जम्मू एवं कश्मीर के 2 तथा एक-एक स्थल मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में स्थित है।
  • इन घोषणाओं के पश्चात भारत में रामसर स्थलों का कुल क्षेत्रफल 13,26,677 हेक्टयर हो गया है। साथ ही, अब भारत में सर्वाधिक रामसर स्थलों वाला राज्य तमिलनाडु (14) हो गया है। इस सूची में दूसरा स्थान उत्तर प्रदेश (10) का है।
  • किसी अन्य दक्षिण एशियाई देश में इतने रामसर स्थल मौजूद नहीं हैं। यह भारत की भौगोलिक चौड़ाई और उष्णकटिबंधीय विविधता को प्रदर्शित करता है।
  • भारत से छोटे देशों- यूनाइटेड किंगडम (175) और मेक्सिको (142) में अधिकतम रामसर स्थल हैं।

पहले चरण में शामिल किये गए स्थल : संबंधित तथ्य 

  • पहले चरण में शामिल किये गए रामसर स्थल इस प्रकार हैं-

क्रमांक

रामसर स्थल

राज्य

1.

करिकीली पक्षी अभयारण्य

तमिलनाडु

2.

पल्लीकरनई दलदली आरक्षित वन

तमिलनाडु

3.

पिचावरम मैंग्रोव वन

तमिलनाडु

4.

पाला आर्द्रभूमि

मिजोरम

5.

साख्य सागर झील

मध्य प्रदेश

करिकीली पक्षी अभयारण्य

  • करिकीली पक्षी अभयारण्य तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले में स्थित हैं। इसमे दो सिंचाई टैंक है जो वर्षा द्वारा पोषित होते हैं। यह अभयारण्य विभिन्न प्रवासी पक्षियों के आवास के लिये विख्यात है।
  • इस अभयारण्य में पक्षियों की लगभग 115 प्रजातियां निवास करती हैं, जिनमें जलकाग (Cormorants), सफ़ेद बगुला (Egrets), स्लेटी बगुला (Grey Heron), पनडुब्बी पक्षी (Grebes), स्लेटी हवासील (Grey Pelican), चम्मच सदृश्य चोंच वाले सारस (Spoon Billed Stork), डार्टर (Darter), नाइट-हेरॉन (Knight-Heron) और व्हाइट आइबिस (White Ibis) इत्यादि प्रमुख हैं।

पल्लीकरनई दलदली आरक्षित वन 

  • पल्लीकरनई दलदली आरक्षित वन चेन्नई के अंतिम शेष प्राकृतिक आर्द्रभूमियों में से एक है। इसे स्थानीय तमिल भाषा में ‘काज़ुवेली’ कहते हैं, जिसका अर्थ बाढ़ का मैदान होता हैं।
  • यह वृहद् बंगाल की खाड़ी के विशाल समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का एक हिस्सा है।
  • यह क्षेत्र विभिन्न पक्षियों एवं जीव जंतुओं के प्राकृतिक निवास के रूप में जाना जाता है तथा यहाँ पाए जाने वाले जीवों में कुछ लुप्तप्राय सरीसृप (जैसे- रसेल वाइपर) और पक्षियां (जैसे- ग्लॉसी आइबिस, तीतर के समान पूंछ वाले जैकाना आदि) प्रमुख हैं।
  • इस क्षेत्र के लिये जल का मुख्य स्त्रोत अड्यार नदी हैं जो तमिलनाडु की प्रमुख नदियों में से एक है।

पिचावरम मैंग्रोव वन

  • पिचावरम मैंग्रोव वन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मैंग्रोव वन है, जो लगभग 1100 हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तृत है। 
  • विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन सुन्दरबन रिज़र्व है।
  • यह कुड्डालोर जिले में चिदंबरम शहर के निकट उत्तर में वेल्लार एस्चुरी और दक्षिण में कोलेरून एस्चुरी के बीच स्थित है।
  • मान्यताओं के अनुसार, इन मैंग्रोव वनों का मूल नाम थिलाई वन था। यह पक्षियों की लगभग 200 प्रजातियों के साथ-साथ समुद्री शैवाल, झींगे, केकड़े, मछली, कस्तूरी, कछुए और ऊदबिलाव का निवास स्थान है।

पाला आर्द्रभूमि

  • यह मिजोरम के सियाहा (Siaha) जिले में मारा स्वायत्त जिला परिषद क्षेत्र में अवस्थित है, जो मिजोरम का सबसे बड़ा प्राकृतिक आर्द्रभूमि क्षेत्र है।
  • इस आर्द्रभूमि का इतिहास स्थानीय ‘मारा समुदाय’ से गहराई से जुड़ा हुआ है। यहाँ वनस्पतियों की 227 प्रजातियों सहित स्तनधारियों की 7 प्रजातियां, पक्षियों की 222 प्रजातियां, सरीसृपों की 21 प्रजातियां, उभयचरों की 11 प्रजातियां और मछलियों की तीन प्रजातियाँ पाई जाती हैं ।
  • यह कई वैश्विक लुप्तप्राय प्रजातियों, जैसे- सांभर हिरण, एशियाई काला भालू, स्लो लोरिस (दक्षिण एशिया का एक बंदर) तथा हूलॉक गिब्बन का संरक्षण क्षेत्र है और आई.यू.सी.एन. की लाल सूची में शामिल कई जीवों, जैसे- पीले कछुआ, दक्षिण-पूर्व एशियाई विशालकाय कछुआ, ब्लैक सॉफ़्टशेल कछुआ इत्यादि को संरक्षण प्रदान करता है।

साख्य सागर झील 

साख्य सागर झील मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के माधव राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा है। यह क्षेत्र मॉनिटर लिजार्ड (गोह), अजगर तथा दलदली मगरमच्छ का निवास स्थल है।

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दूसरे चरण में शामिल किये गए स्थल : संबंधित तथ्य 

  • दूसरे चरण में शामिल किये गए रामसर स्थल इस प्रकार हैं- 

क्रमांक

रामसर स्थल

राज्य

1.

कूनथनकुलम पक्षी अभयारण्य

तमिलनाडु

2.

मन्नार की खाड़ी समुद्री बायोस्फीयर रिजर्व

तमिलनाडु

3.

वेम्बन्नूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स 

तमिलनाडु

4.

वेलोड पक्षी अभयारण्य

तमिलनाडु

5.

वेदान्थंगल पक्षी अभयारण्य

तमिलनाडु

6.

उदयमार्थंदपुरम पक्षी अभयारण्य

तमिलनाडु

7.

सतकोसिया गॉर्ज

ओडिशा 

8.

रंगनाथितु बी एस

कर्नाटक

9.

नंदा झील

गोवा

10.

सिरपुर वेटलैंड

मध्य प्रदेश 

कूनथनकुलम पक्षी अभयारण्य 

  • यह एक महत्वपूर्ण मानव निर्मित आर्द्रभूमि है, जो तमिलनाडु के तिरुनेलवेली ज़िले के नंगुनेरी तालुक में स्थित है।
  • यह दक्षिण भारत में निवासी और प्रवासी जल पक्षियों के प्रजनन के लिये सबसे बड़ा संरक्षित क्षेत्र है। यहाँ फ्लेमिंगो (Flamingo), बार हेडेड गूस (Bar Haded Goose) और पेंटेड स्टॉर्क (Painted Stork) पाए जाते हैं। 
  • यह मध्य एशियाई उड़ानमार्ग (फ्लाईवे) का हिस्सा बनने वाला एक महत्वपूर्ण पक्षी एवं जैव विविधता क्षेत्र भी है। इससे करीब 190 एकड़ धान की सिंचाई होती है।

मन्नार की खाड़ी समुद्री बायोस्फीयर रिजर्व 

  • यह समुद्री बायोस्फीयर रिजर्व भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित है और समुद्री जैव विविधता से समृद्ध एक अद्वितीय पारितंत्र है। यह दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में पहला समुद्री बायोस्फीयर रिजर्व है।
  • यह भारत में सर्वाधिक जैव विविधता वाले क्षेत्रों में से एक है, जहाँ मूंगों की 117 प्रजातियाँ, मछलियों की 450 से अधिक, समुद्री कछुओं की 4, केकड़ों की 38, झींगा मछलियों की 2, समुद्री घास की 12, समुद्री शैवाल की 147, पक्षियों की 160, क्रस्टेशियंस (Crustaceans) की 641, स्पंज (Sponges) की 108, मोलस्क (Molluscs) की 731, ईचिनोडर्म (Echinoderms) की 99, समुद्री घोड़ों की 4, समुद्री सांपों की 12 तथा मैंग्रोव की 11 प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
  • यह रिजर्व वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण और अत्यधिक खतरे वाली कई प्रजातियों, जैसे- डुगोंग, व्हेल शार्क, समुद्री घोड़े, बालनोग्लोसस (Balanoglossus), हरे समुद्री कछुए, हॉक्सबिल कछुए (Hawksbill), डॉल्फ़िन आदि का भी वासस्थल है।

वेम्बन्नूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स 

  • तमिलनाडु में स्थित वेम्बन्नूर वेटलैंड एक मानव निर्मित अंतर्देशीय जलाशय है, जो प्रायद्वीपीय भारत का सबसे दक्षिणी छोर है।
  • यह आर्द्रभूमि ‘बर्ड लाइफ इंटरनेशनल डाटा जोन’ का हिस्सा है। यहाँ पक्षियों की लगभग 250 प्रजातियाँ दर्ज की गई हैं। यहाँ इंटरमीडिएट एग्रेट ((Intermediate Egret), इंडियन पोंड हेरॉन (Indian Pond Heron), लेसर व्हिसलिंग डक (Lesser Whistling Duck) आदि पाए जाते हैं। 
  • यह स्थल गार्गनी (Garganey : एक प्रकार की छोटी बत्तख) की कुल गैर-प्रजनन आबादी के लगभग 12% को आश्रय प्रदान करता है। यहाँ लगभग 5 दुर्लभ, स्थानिक और संकटग्रस्त वनस्पतियाँ मौजूद हैं।
  • ऐसा माना जाता है कि इस जलाशय का निर्माण पांड्य राजा वीरनारायण के शासन काल में हुआ था। 
  • पझयार और वेम्बन्नूर आर्द्रभूमि इस घाटी के पूरे जल निकासी को एकत्रित करती है और नंचिलवाडु के एक बड़े हिस्से को सिंचित करती है।

वेलोड पक्षी अभयारण्य

  • वेलोड पक्षी अभयारण्य तमिलनाडु के इरोड ज़िले में पेरुंदुरई तालुक में स्थित है। यह तमिलनाडु में 141 प्राथमिकता वाली आर्द्रभूमियों में से एक है। इसे प्रांतीय रूप से पेरियाकुलम येरी के नाम से जाना जाता है। 
  • यह स्थल मध्य एशियाई उड़ानमार्ग का हिस्सा है। यह स्थल 9 रामसर मानदंडों में से 3 मानदंड को पूरा करती है।

वेदान्थंगल पक्षी अभयारण्य 

  • वेदान्थंगल आर्द्रभूमि तमिलनाडु के चेंगलपट्टू ज़िले के मदुरंतगाम तालुक में स्थित सबसे पुराने पक्षी संरक्षित क्षेत्रों में से एक है। यह कोरोमंडल तट जैविक प्रांत के अंतर्गत आता है।
  • मीठे पानी की यह आर्द्रभूमि लोगों द्वारा संरक्षित एक जल पक्षी क्षेत्र है। यहाँ स्थानीय लोग बगुले का संरक्षण करते रहे हैं, जिसके बदले में झील से उनको खाद युक्त जल प्राप्त होता है, जो ‘तरल गुआनो प्रभाव’ (मछली और पक्षी मल से निर्मित खाद) के चलते कृषि उपज को कई गुना बढ़ा देती है।
  • इस स्थल को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण पक्षी एवं जैव विविधता क्षेत्र (IBA) के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।

उदयमार्थंदपुरम पक्षी अभयारण्य

  • उदयमार्थंदपुरम पक्षी अभयारण्य तमिलनाडु के तिरुवरूर ज़िले के तिरुथुराईपुंडी तालुक में स्थित है। 
  • यह जलपक्षियों की कई प्रजातियों के लिये एक महत्वपूर्ण प्रजनन स्थल है। यहाँ पाई जाने वाली उल्लेखनीय प्रजातियाँ ओरिएंटल डार्टर, ग्लॉसी आइबिस, ग्रे हेरॉन और यूरेशियन स्पूनबिल हैं। यह डार्टर और यूरेशियन स्पूनबिल के लिये प्रमुख प्रजनन स्थलों में से एक है।
  • उदयमार्थंदपुरम मानसून के अतिप्रवाह के दौरान बाढ़ के जल को संग्रहीत करता है और शुष्क अवधि के दौरान सतही जल प्रवाह को बनाए रखता है।

सतकोसिया गॉर्ज

  • यह ओडिशा में महानदी पर एक घाटी (गॉर्ज) के रूप में विस्तृत है। वर्ष 1976 में एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में स्थापित सतकोसिया एक समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करता है, जो पुष्प और जीव प्रजातियों की विविध आबादी का प्रतिनिधित्व करता है।
  • यह भारत के दो जैव-भौगोलिक क्षेत्रों दक्कन प्रायद्वीप और पूर्वी घाट का मिलन बिंदु है; जो विशाल जैव विविधता में योगदान करते हैं।
  • सतकोसिया गॉर्ज आर्द्रभूमि दलदल और सदाबहार वनों से परिपूर्ण है। इन जलग्रहण क्षेत्रों के वन गॉर्ज में गाद की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • यह लुप्तप्राय घड़ियाल आबादी तथा व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण कार्प प्रजातियों के प्रजनन के लिये जल की विशिष्ट उपयुक्त गहराई प्रदान करता है।

नंदा झील 

  • गोवा में स्थित नंदा झील को पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं तथा जैव विविधता मूल्यों के लिये महत्वपूर्ण माना जाता है।
  • इसका अधिकांश क्षेत्र आंतरायिक मीठे पानी का दलदल है जो जुआरी नदी के प्रमुख उपशाखाओं में से एक के निकट स्थित है। इससे स्थानीय लोग ऑफ-मानसून सीजन के दौरान इसमें जल संग्रहण करने में सक्षम होते हैं। संग्रहीत जल का उपयोग धान की खेती और मछली पकड़ने के लिये भी किया जाता है। 
  • यह झील कई उल्लेखनीय जीव प्रजातियों को आश्रय प्रदान करता है जिसमें ब्लैक-हेडेड आईबिस, कॉमन किंगफिशर, वायर-टेल्ड स्वॉलो, कांस्य-पंख वाले जैकाना, हलीस्टुर इंडस (ब्राह्मिणीकाइट), इंटरमीडिएट एग्रेट, रेड-वॉटल्ड लैपविंग, लिटिल कॉर्मोरेंट और लेसर व्हिसलिंग शामिल हैं।

रंगनाथिट्टू पक्षी अभयारण्य 

  • रंगनथिट्टू पक्षी अभयारण्य भारत के कर्नाटक राज्य के मांड्या ज़िले में स्थित है। बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी द्वारा इसे कर्नाटक और भारत के महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्रों (आई.बी.ए.) में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
  • यह भारत की पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण नदी तटीय आर्द्रभूमि है, जिसमें पौधों की 188 प्रजातियाँ, पक्षियों की 225 से अधिक प्रजातियाँ, मछलियों की 69 प्रजातियाँ, मेंढकों की 13 प्रजातियाँ और तितलियों की 30 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। 
  • इसके अलावा, यह लगभग 98 औषधीय पौधों की प्रजातियों का भी समर्थन करता है।
  • यह आर्द्रभूमि मग्गर मगरमच्छ (Crocodylus Palustris), चिकने-लेपित ऊदबिलाव (Lutrogale Perspicillata) और लुप्तप्राय कूबड़ वाले माशीर (Tor Remadevii) की आबादी का समर्थन प्रदान करती है।

सिरपुर आर्द्रभूमि

  • सिरपुर आर्द्रभूमि इंदौर, मध्य प्रदेश में स्थित एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक आर्द्रभूमि है।
  • यह न केवल अपने सौंदर्य के लिये महत्वपूर्ण है बल्कि यह जल का एक महत्वपूर्ण स्रोत होने और डाउनस्ट्रीम क्षेत्रों में भूजल पुनर्भरण में मदद करने जैसी अत्यधिक पारिस्थितिक सेवाएँ प्रदान करती है।
  • यह आर्द्रभूमि शहर के स्थानीय समुदायों के लिये सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है तथा स्थलीय व जलीय प्रवासी और स्थानीय पक्षियों के लिये महत्वपूर्ण निवास स्थल है।
  • इस क्षेत्र में विविध वनस्पति और जीव सर्दियों के मौसम में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों के लिये भोजन और आश्रय के रूप में आदर्श आवास प्रदान करते हैं।
  • वर्तमान में, आर्द्रभूमि को पक्षी अभयारण्य और पारिस्थितिक शिक्षा केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।

रामसर अभिसमय

  • यह वैश्विक आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है। 2 फरवरी, 1971 को कैस्पियन सागर के तट पर स्थित रामसर, ईरान में हुए एक सम्मलेन में आर्द्रभूमियों के संबंध में एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था।
  • जल से समृद्ध भूभाग को आर्द्रभूमि की संज्ञा प्रदान की जाती है। रामसर अभिसमय के अनुसार कोई भी महत्वपूर्ण क्षेत्र जहाँ वर्ष में लगभग आठ माह जल भराव की स्थिति होती है वह क्षेत्र आर्द्रभूमि कहलाता है।
  • ये क्षेत्र जैव-विविधता से संपन्न होते हैं। इसे भारत में मैंग्रोव, दलदल, नदियाँ, झीलें, डेल्टा, बाढ़ के मैदान और बाढ़ के जंगल सहित 19 वर्गों में विभाजित किया गया हैं।
  • प्रत्येक वर्ष 2 फरवरी का दिन ‘विश्व आर्द्रभूमि दिवस’ मनाया जाता है। वर्ष 2022 के लिये इसका विषय- ‘लोगों और प्रकृति के लिये आर्द्रभूमि कार्रवाई’ (Wetlands Action for People and Nature) था।
  • रामसर साइट होने के लिये रामसर कन्वेंशन द्वारा परिभाषित नौ मानदंडों में से कम से कम एक को पूरा करना होता है। भारत में 19 प्रकार की आर्द्रभूमि हैं।

लाभ 

  • पर्यटन की संभावनाओं और अंतर्राष्ट्रीय उपस्थिति में वृद्धि 
  • राज्य एवं केंद्र द्वारा इन क्षेत्रों का संरक्षण  
  • प्रवासी पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण स्थल
  • जैव-विविधता के लिये महत्त्वपूर्ण 
  • आर्द्रभूमियों में अत्यधिक मृदा-कार्बन घनत्व होने के कारण ये कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को बफर करने में एक प्रमुख भूमिका।

तीसरे चरण में शामिल किये गए स्थल : संबंधित तथ्य 

  • तीसरे चरण में शामिल किये गए रामसर स्थल इस प्रकार हैं- 

क्रमांक

रामसर स्थल

राज्य

1.

चित्रांगुडी पक्षी अभयारण्य

तमिलनाडु

2.

सुचिन्द्रम थेरूर आर्द्रभूमि कॉम्प्लेक्स

तमिलनाडु

3.

वडुवूर पक्षी अभयारण्य 

तमिलनाडु

4. 

कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य 

तमिलनाडु

5. 

तंपारा झील

ओडिशा

6.

हीराकुंड जलाशय

ओडिशा

7.

अंशुपा झील

ओडिशा

8.

हाइगम आर्द्रभूमि संरक्षण रिज़र्व

जम्मू एवं कश्मीर

9.

शालबुग आर्द्रभूमि संरक्षण रिज़र्व

जम्मू एवं कश्मीर

10.

ठाणे क्रीक

महाराष्ट्र

11.

यशवंत सागर

मध्य प्रदेश

चित्रांगुडी पक्षी अभयारण्य

  • तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित इस पक्षी अभयारण्य को ‘चित्रांगुडी कनमोली’ के नाम से भी जाना जाता है।
  • वर्ष 1989 से संरक्षित यह क्षेत्र शीतकालीन प्रवासी पक्षियों के लिये एक आदर्श आवास प्रदान करता है।
  • यहाँ 47 जलपक्षियों के अतिरिक्त मात्र 3 स्थानीय पक्षी पाए जाते हैं। यहाँ पाए जाने वाले जलपक्षियों की सूची में चित्तीदार बड़ी बत्तख (Spot-Billed Pelican), छोटा सफ़ेद बगुला (Little Egret), स्लेटी सारस (Grey Heron), बड़ा सफ़ेद बगुला (Large Egret), ओपन बिल्ड स्टॉर्क (Open Billed Stork) इत्यादि प्रमुख हैं।

सुचिन्द्रम थेरूर आर्द्रभूमि कॉम्प्लेक्स

  • यह कॉम्प्लेक्स सुचिन्द्रम थेरूर मनाकुडी संरक्षण रिज़र्व का हिस्सा है। यह एक मानव निर्मित, अंतर्देशीय और बारहमासी जलाशय है। 9वीं शताब्दी के तांबे की प्लेट के शिलालेखों में पसुमकुलम, वेंचिकुलम, नेदुमर्थुकुलम, पेरुमकुलम, एलेमचिकुलम और कोनाडुनकुलम का उल्लेख है।
  • मध्य एशियाई उड़ानमार्ग के दक्षिणी सिरे पर स्थित होने के कारण इसे एक महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र घोषित किया गया है। यह क्षेत्र प्रत्येक वर्ष हजारों पक्षियों को प्रवास के लिये आकर्षित करता है ।
  • इस क्षेत्र में पक्षियों की लगभग 250 प्रजातियां दर्ज की गई हैं, जिनमें से 53 प्रवासी, 12 स्थानिक और 4 विलुप्‍त होने की कगार पर हैं। 

वडुवूर पक्षी अभयारण्य

  • यह एक बड़ा मानव निर्मित सिंचाई जलाशय और प्रवासी पक्षियों के लिये आश्रय स्थल है। यहाँ भारतीय जलाशय बगुला अर्देओला ग्रेई (Indian Pond Heron Ardeola Grayii) प्रमुखता से पाया जाता है।
  • शीतकाल में इस क्षेत्र में अनेकों जलपक्षी निवास करते है जिनमें यूरेशियन विजोन (Eurasian Wigeon), अनस पेनेलोप (Anas Penelope), नॉर्दर्न पिंटेल अनस एक्यूटा (Northern Pintail Anas Acuta), गार्गनी अनस  क्वेरक्वेडुला (Garganey Anas Querquedula) इत्यादि प्रमुख हैं।

कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य

  • तमिलनाडु के मुदुकुलथुर रामनाथपुरम जिले के पास अवस्थित कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य 1989 में घोषित एक संरक्षित क्षेत्र है।
  • यहां बगुले बबूल के पेड़ों पर प्रवास करते हैं। प्रवासी जलपक्षियों की प्रजनन आबादी अक्टूबर से फरवरी माह के बीच यहां आती है और इसमें चित्रित सारस, सफेद आइबिस, ब्लैक आइबिस, लिटिल एग्रेट, ग्रेट एग्रेट शामिल हैं।
  • यह स्‍थल आई.बी.ए. के रूप में जाना जाता है क्योंकि यहां स्पॉट बिल पेलिकन, पेलेकैनस फिलिपेन्सिस नस्लों की उपस्थिति दर्ज की गई है। यह आर्द्रभूमि आई.यू.सी.एन. की लाल सूची में विलुप्‍त होने की कगार पर एवियन प्रजातियों, जैसे- स्टर्ना ऑरेंटिया (रिवर टर्न) को आश्रय देती है।
  • स्पॉट बिल पेलिकन, ओरिएंटल डार्टर, ओरिएंटल व्हाइट आईबिस और पेंटेड स्टॉर्क जैसी कई विश्व स्तर पर निकट-खतरे वाली प्रजातियां यहाँ पाई जाती हैं। साथ ही, किनारे और पानी के भीतर रहने वाली पक्षी, जैसे- ग्रीनशंक, प्लोवर, स्टिल्ट के अतिरिक्त मधुमक्खी खाने वाली बुलबुल, कोयल, स्टारलिंग, बारबेट्स जैसे वन पक्षी भी यहाँ पाई जाती हैं। 

तंपारा झील

  • यह उड़ीसा के गंजाम जिले में स्थित प्रमुख मीठे पानी की झीलों में से एक है। इस क्षेत्र का निर्माण धीरे-धीरे वर्षा जल प्रवाह के भरने से हुआ और इसे अंग्रेजों ने ‘टैम्प’ और बाद में स्थानीय लोगों ने ‘तंपारा’ कहा।
  • इस क्षेत्र में पक्षियों की 60 प्रजातियों के अतिरिक्त मछलियों की 46 प्रजातियाँ, पादप प्लवकों (फाइटोप्लांकटन) की 48 प्रजातियाँ और स्थलीय पौधों और मैक्रोफाइट्स की सात से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
  • यह क्षेत्र सुभेद्य प्रजातियों, जैसे- साइप्रिनस कार्पियो, कॉमन पोचार्ड और रिवर टर्न के लिये महत्त्वपूर्ण निवास स्थल है। इस क्षेत्र से प्रति वर्ष 12 टन की अनुमानित औसत मछली उत्पादन प्राप्त किया जाता है।

हीराकुंड जलाशय

  • ओडिशा में सबसे बड़े मिट्टी के बांध हीराकुंड जलाशय का संचालन वर्ष 1957 से किया जा रहा है।
  • इस जलाशय में मछलियों की 54 प्रजातियों में से 1 को लुप्तप्राय, 6 को निकट संकटग्रस्त और 21 मछली प्रजातियों को आर्थिक महत्व के रूप में वर्गीकृत किया गया है। 
  • इसी तरह, इस स्थल पर 130 से अधिक पक्षी प्रजातियों को दर्ज किया गया है, जिनमें से 20 प्रजातियां उच्च संरक्षण महत्व की हैं। यह जलाशय लगभग 300 मेगावाट जलविद्युत उत्पादन और 4,36,000 हेक्टेयर सांस्कृतिक क्षेत्र की सिंचाई के लिये पानी का एक स्रोत है।  
  • यह आर्द्रभूमि भारत के पूर्वी तट के पारिस्थितिक और सामाजिक-आर्थिक केंद्र महानदी डेल्टा में बाढ़ को नियंत्रित करके महत्वपूर्ण जल विज्ञान सेवाएं भी प्रदान करती है। 

अंशुपा झील

  • यह झील कटक जिले में स्थित ओडिशा की सबसे बड़ी ताजे पानी की झील है, जिसका निर्माण महानदी नदी द्वारा ऑक्सबो झील (गोखुर झील) के रूप में किया गया है।
  • इस झील में पक्षियों की 194 प्रजातियाँ, मछलियों की 61 प्रजातियाँ और स्तनधारियों की 26 प्रजातियों के अतिरिक्त मैक्रोफाइट्स की 244 प्रजातियां पाई जाती हैं।
  • यह तीन संकटग्रस्त पक्षी प्रजातियों- रिनचोप्स एल्बिकोलिस, स्टर्ना एक्युटिकौड़ा व स्टर्ना ऑरेंटिया और तीन संकटग्रस्त मछली प्रजातियों- क्लारियस मगर (क्लेरिडे), साइप्रिनस कार्पियो (साइप्रिनिडे) एवं वालगो एटू को संरक्षित आवास प्रदान करती है।

हाइगम आर्द्रभूमि संरक्षण रिज़र्व

  • यह आर्द्रभूमि झेलम नदी बेसिन का एक अंग है, जो जम्मू एवं कश्मीर के बारामुला जिले में अवस्थित है। इसे एक महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र (आई.बी.ए.) के रूप में मान्यता प्राप्?
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