(प्रारंभिक परीक्षा : प्रश्नपत्र-1 : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना)
संदर्भ
भारत के निर्यात में मई और जून माह में क्रमशः 20.6% और 16.8% की वृद्धि हुई है, जोकि अप्रैल 2022 की 30.7% की वृद्धि से बहुत कम है।वहीं दूसरी तरफ आयात में तेजी से बढ़ोतरी जारी है, जिससे भारत का मासिक व्यापार घाटा अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया है।
भारत का व्यापार असंतुलन
- वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने पहली बार अपने आधिकारिक निर्यात लक्ष्य ($ 400 बिलियन) को प्राप्त करते हुए 422 बिलियन डॉलरका कुल वस्तु निर्यात किया।जबकि इसी वर्ष भारत का आयात भी 613 बिलियन डॉलर के नए उच्च स्तर पर पहुँच गया। इस प्रकार,भारत का व्यापार घाटा 191 बिलियन डॉलर रहा, जो 2020-21 से लगभग दोगुना है।
- वर्तमान वर्ष की पहली तिमाही में निर्यात और आयात के बीच की खाई पिछले वर्ष की तुलना में अधिक चौड़ी हो गई है। इस वर्ष के पहले तीन महीनों में भारत का व्यापार घाटा लगभग 70 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है, जोकि औसतन 23.3 बिलियन डॉलर प्रति माह है। विदित है कि मई2022 मेंव्यापार घाटा 24.3 बिलियन डॉलर एवं जून 2022 में 25.6 बिलियन डॉलर के नए उच्च स्तर पर पहुँच गया है।
आयात और निर्यात में बढ़ता अंतर
- फरवरी 2022 में शरू हुए रूस-यूक्रेन संघर्ष ने वैश्विक स्तर पर कमोडिटी की कीमतों को बढ़ा दिया है।इस दौरान तेजी से बढ़ती मुद्रास्फीति ने विश्व स्तर पर व्यापार मांग को कम किया है। यहीं कारण है कि इंजीनियरिंगउत्पादों, रसायनों, फार्मास्यूटिकल्स, सूती धागे एवं प्लास्टिक उत्पादों के निर्यात में कमी देखी गई है।
- वहीं दूसरी तरफ भारत का आयात वस्तुतः ऊर्जा स्रोतों से प्रेरित है। घरेलू कोयला आपूर्ति संकट ने भारत के बिजली उत्पादकों को अधिक तेल एवं कोयला आयात करने के लियेप्रेरित किया है।
- वित्तीय बाजारों में अस्थिरता एवं तीव्र मुद्रास्फीति ने सोने के आयात को भी प्रेरित किया है।
- विदित है कि जून में कोयले का आयात 242%, सोने में 170% एवं कच्चे तेल के आयात में 94% से अधिक की वृद्धि हुई है।
व्यापारघाटे में वृद्धि की संभावना
- वर्तमान वर्षमें कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं के मंदी की चपेट में आने की आशंका के कारण निर्यात में गिरावटतेज हो सकती है।
- भारत में वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए कोयले के आयात में और वृद्धिहोगी क्योंकि कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा कोयले का उत्पादन मानसून में कम हो जाता है।
- डॉलर के सापेक्ष कमजोर होते रुपए के कारण आयात निरंतर महंगा हो रहा हैजबकि निर्यात धीमा होने से इसका पर्याप्त लाभ नहीं मिल पा रहा है।