चर्चा में क्यों
जुलाई 2022 में भारत का व्यापार घाटा बढ़कर 31.02 बिलियन डॉलर हो गया है, जो विगत वर्ष जुलाई में दर्ज किये गए 10.63 अरब डॉलर से तीन गुना अधिक है।
क्या होता है व्यापार घाटा
- व्यापार घाटा या नकारात्मक व्यापार संतुलन (BOT) निर्यात और आयात के बीच का अंतर होता है। जब आयात पर खर्च किया गया धन किसी देश में निर्यात पर खर्च किये गए धन से अधिक हो जाता है, तो यह अंतर व्यापार घाटा कहलाता है।
- इसकी गणना विभिन्न वस्तुओं व सेवाओं द्वारा तथा अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन से भी की जाती है। व्यापार घाटे के विपरीत व्यापार अधिशेष होता है।
व्यापार घाटा के कारण
व्यापार घाटा के रूप में कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं, जब कुछ वस्तुओं का उत्पादन घरेलू स्तर पर नहीं किया जाता है, तो ऐसे में उसका आयात करना पड़ता है, जिससे व्यापार में असंतुलन पैदा हो सकता है। साथ ही, कमजोर मुद्रा भी एक कारक है, जिससे व्यापार महँगा हो जाता है।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
- व्यापार घाटा बढ़ने से देश के सकल घरेलू उत्पाद में कमी आती है।
- उच्च व्यापार घाटा स्थानीय मुद्रा के मूल्य को कम कर सकता है।
- निर्यात की अपेक्षा अधिक आयात से रोज़गार क्षेत्र प्रभावित होता है, जो बेरोजगारी में वृद्धि का कारण बनता है।
- उदाहरणस्वरुप, यदि मोबाइल का आयात अधिक किया जाता है, तो स्थानीय स्तर पर उत्पादन में गिरावट आती है, जिससे रोजगार सृजन में कमी आती हैं।