(प्रारम्भिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र-2 : भारत एवं इसके पड़ोसी- सम्बंध, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से सम्बंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में, भारत और श्रीलंका ने कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र एक आभासी बैठक की थी। इस बैठक में भारत के विदेश मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, श्रीलंका सरकार के प्रतिनिधियों और एग्ज़िम बैंक (Export-Import Bank) के अधिकारियों ने भाग लिया था।
- भारतीय रिज़र्व बैंक श्रीलंका को 400 मिलियन अमरीकी डॉलर की विनिमय सुविधा देने के लिये सहमत हो गया है ताकि श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ावा मिल सके और उसकी वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।
- उल्लेखनीय है कि एक्ज़िम बैंक भारत काप्रमुख निर्यात वित्त संस्थान (premier export finance institution) है।
- ध्यातव्य है कि कोविड-19 की वजह से उत्पन्न आर्थिक संकट के पश्चात अंतर्राष्ट्रीय तरलता सम्बंधी अल्पकालिक आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य से श्रीलंका द्वारा यह समझौता किया जा रहा है। यह मुद्रा विनिमय समझौता नवम्बर 2022 तक मान्य होगा।
समझौते के महत्त्वपूर्ण बिंदु
- यह समझौता कोविड-19 महामारी के दौरान न सिर्फ श्रीलंका को राहत प्रदान करेगा, बल्कि उसकी अर्थव्यवस्था को मज़बूती भी प्रदान करेगा।
- यह फैसला श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के नई दिल्ली दौरे के 5 महीने बाद आया है। इसके आलावा, कुछ दिनों पूर्व श्रीलंका द्वारा भारत का ऋण चुकाने पर भारत-श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय चर्चा भी हुई थी।
- दोनों देशों की सरकारों, उद्योग प्रतिनिधियों व अन्य संस्थानों ने फिक्की (Federation of Indian Chamber of Commerce and Industry) द्वारा आयोजित 'भारत और श्रीलंका के बीच आर्थिक सहयोग को मज़बूत करने' पर एक वेबिनार में भी भाग लिया था।
- गैर-टैरिफ अवरोधों (non-tariff barriers) द्वारा लगातार उत्पन्न हो रही कठिनाईयों को हल करने के लिये श्रीलंका ने फिक्की से आग्रह किया हैकि वह नई दिल्ली में श्रीलंकाई मिशन के साथ मिलकर श्रीलंका के मसालों के निर्यात को बढ़ावा देने में मदद करे तथा इसके लिये भारतीय बाज़ार को लक्षित करे।
मुद्रा विनिमय समझौता (Currency Swap Agreement)
- मुद्रा विनिमय का उपयोग विदेशी मुद्रा ऋणों को एक बेहतर ब्याज दर पर प्राप्त करने के लिये किया जाता है, अन्यथा इतनी मात्रा में विदेशी मुद्रा प्राप्त करने के लिये विदेशी बाज़ारों से उधार लेना पड़ता है, जो बहुत महँगा पड़ता है।
- केंद्रीय बैंक और सरकारें अल्पकालिक विदेशी मुद्रा तरलता आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये या भुगतान संतुलन (Balance of Payment) के संकट से बचने के लिये पर्याप्त विदेशी मुद्रा सुनिश्चित होने तक अन्य देशों के या उनके केंद्रीय बैंकों के साथ अक्सर मुद्रा विनिमय समझौता करती हैं।
- मुद्रा विनियम का प्रमुख उद्देश्य, विदेशी मुद्रा बाज़ार और विनिमय दर में स्थिरता लाना तथा अन्य वित्तीय जोखिमों से बचना होता है।
भारत-श्रीलंका सम्बंधों की वर्तमान गतिशीलता
- गत वर्ष जब श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे भारत के राजनयिक दौरे पर आए थे, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेश्रीलंका के लिये 45 करोड़ डॉलर के लाइन ऑफ क्रेडिट (Line of Credit) की घोषणा की थी जिसे दोनों देशों के बीच सम्बंधों की प्रगाढ़ता की दिशा में विशेष कदम माना जा रहा था।
- भारत ने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिये 'सुआ सेरिया' नामक एम्बुलेंस सेवा शुरू करने में भी श्रीलंका सरकारकी मदद की है।
- गत वर्ष ही श्रीलंका ने भारत और जापान के साथ कोलम्बो बंदरगाह पर ईस्टर्न कंटेनर टर्मिनल के निर्माण कोलेकर भी एक समझौता किया था। यद्यपि विभिन्न विरोधों के चलते इस बाबत अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
- गौरतलब है कि श्रीलंकाई सरकार परभारत को राष्ट्रीय सम्पत्ति देने का आरोप लगाते हुए वहाँ व्यापक विरोध प्रदर्शनहुए हैं, जबकि इसका 100% स्वामित्त्व श्रीलंका के बंदरगाह प्राधिकरण के पास ही है।
- इसके अलावा, श्रीलंका ने वर्तमान में चल रहे भारत-चीन गतिरोध पर भी कोई टिप्पणी नहीं की है, जबकि ऐसा अपेक्षित था कि श्रीलंका अपरोक्ष रूप से भारत का समर्थन करेगा।
- ध्यातव्य है कि भारत नेवर्ष 1983 में श्रीलंकाई तमिलों और बहुसंख्यक सिंहलियों के बीच हुए गृहयुद्धमें सक्रिय भूमिका निभाई थी तथा इस संघर्ष के समाधान के लिये वर्ष 1987 में श्रीलंका के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर भी किये गए थे। इसके द्वारा श्रीलंका में नौ प्रांतों (जिसे तेरहवें संशोधन के रूप में भी जाना जाता है) के लिये एक प्रांतीय परिषद प्रणाली की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया था।
आगे की राह
- तुलनात्मक रूप से भारत और श्रीलंका के सम्बंध मैत्रीपूर्ण रहे हैं।
- वर्तमान महामारी के समय में अनेक भारतीय कम्पनियाँ वैक्सीन विकसित करने की दौड़ में शामिल हैं, जिस वजह से भारत के पास पड़ोसी देशों के साथ अपनी सद्भावना को और सुदृढ़ करने का बेहतरीन अवसर है और भारत को इस दशा में आगे बढ़कर प्रयास करने चाहिये।
- दोनों ही देश टेक्सटाइल्स, सूचना प्रौद्योगिकी और कृषि व्यवसाय में सम्भावित सहयोग की दिशा में काम कर सकते हैं, इनमें से कुछ क्षेत्रों में भारत की स्थिति बहुत मज़बूत है।
- इन सबके साथ-साथ श्रीलंका को भारतीय निवेशकों के लिये उदार पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के प्रयास करने चाहियें।
- दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सम्बंध शांतिपूर्ण और समृद्ध दक्षिण एशिया के लिये महत्त्वपूर्ण आधारशिला हैं। साथ ही,इन सम्बंधों का मज़बूत होना दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन के लिये भी आवश्यक है।
- सिंगापुर-मलेशिया और न्यूज़ीलैंड-ऑस्ट्रेलिया के उदाहरणों से स्पष्ट है कि किसी छोटे देश की आर्थिक सफलता उसके बड़े पड़ोसी के साथ मज़बूत सम्बंधों पर निर्भर करती है। अतः श्रीलंका को भारत के साथ अपने सम्बंध प्रगाढ़ रखने के लिये प्रयास करने चाहियें तथा भारत को भी इस दिशा में यथासम्भव सहयोग करना चाहिये।