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भारत वन स्थिति रिपोर्ट, 2023

(प्रारंभिक परीक्षा : पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून में भारत वन स्थिति रिपोर्ट (ISFR), 2023 जारी की। यह रिपोर्ट इस श्रृंखला की 18वीं रिपोर्ट है।

भारत वन स्थिति रिपोर्ट के बारे में 

  • प्रकाशन : वर्ष 1987 से भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) द्वारा द्विवार्षिक आधार पर इसे जारी किया जाता है।
  • मूल्यांकन आधार : यह रिपोर्ट उपग्रह डाटा व्याख्या और क्षेत्र-आधारित राष्ट्रीय वन सूची (NFI) पर आधारित है।
  • रिपोर्ट में निम्नलिखित डाटा शामिल हैं :
    • वनावरण
    • वृक्षावरण
    • मैंग्रोव आवरण
    • स्टॉक में वृद्धि 
    • कार्बन स्टॉक
    • जंगल की आग
    • कृषि वानिकी

आई.एस.एफ.आर. का उद्देश्य एवं महत्व

  • वानिकी क्षेत्र की निगरानी, ​​नीतियों के मूल्यांकन एवं नियोजन के लिए वन संसाधनों का नियमित मूल्यांकन आवश्यक है।
  • यह राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) लक्ष्यों की निगरानी, संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन ढांचा अभिसमय (UNFCCC) को ग्रीनहाउस गैस सूची की रिपोर्टिंग के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के वन संसाधनों के वैश्विक आकलन के लिए उपयोगी होता है।

आई.एस.एफ.आर. 2023 के प्रमुख निष्कर्ष 

  • कुल वन एवं वृक्ष आवरण : भारत में कुल वन एवं वृक्ष आवरण 827,356.95 वर्ग कि.मी. है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17% है। इसमें शामिल हैं-
    • वनावरण : 715,342.61 वर्ग कि.मी. (21.76%)
    • वृक्षावरण : 112,014.34 वर्ग कि.मी. (3.41%) 

वनावरण की स्थिति 

  • वर्ष 2021 की रिपोर्ट की तुलना में वनावरण में 156.41 वर्ग कि.मी. की वृद्धि हुई है।
  • 19 राज्यों/केंद्र शासित क्षेत्रों में 33% से अधिक भौगोलिक क्षेत्र वनावरण के अंतर्गत हैं। इनमें से आठ राज्यों/केंद्र शासित क्षेत्रों, जैसे- मिजोरम, लक्ष‌द्वीप, अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा व मणिपुर में 75% से अधिक वनावरण है।

क्षेत्रफल की दृष्टि से सर्वाधिक वनावरण वाले राज्य

प्रतिशतता की दृष्टि से सर्वाधिक वनावरण वाले राज्य 

वनावरण में सर्वाधिक वृद्धि दर्शाने वाले राज्य

  1. मध्य प्रदेश (77,073 वर्ग कि.मी.) 
  2. अरुणाचल प्रदेश (65,882 वर्ग कि.मी.) 
  3. छत्तीसगढ़ (55,812 वर्ग कि.मी.) 
  1. लक्ष‌द्वीप (91.33%)
  2. मिजोरम (85.34 %)
  3. अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह (81.62%)
  1. मिजोरम (242 वर्ग कि.मी.)
  2. गुजरात (180 वर्ग कि.मी.)
  3. ओडिशा (152 वर्ग कि.मी.)

वन एवं वृक्ष आवरण की स्थिति 

  • कुल मिलाकर, देश में वर्ष 2021 में अंतिम मूल्यांकन के बाद से 1,445.81 वर्ग कि.मी. वन एवं वृक्ष आवरण में वृद्धि हुई है।

सर्वाधिक वन एवं वृक्ष आवरण वाले शीर्ष राज्य

वन एवं वृक्ष आवरण में सर्वाधिक वृ‌द्धि दर्शाने वाले शीर्ष राज्य

वन एवं वृक्ष आवरण में सर्वाधिक कमी दर्शाने वाले शीर्ष राज्य

  1. मध्य प्रदेश (85,724 वर्ग कि.मी.)
  2. अरुणाचल प्रदेश (67,083 वर्ग कि.मी.)
  3. महाराष्ट्र (65,383 वर्ग कि.मी.)
  1. छत्तीसगढ़ (683.62 वर्ग कि.मी.)
  2. उत्तर प्रदेश (559.19 वर्ग कि.मी.)
  3. ओडिशा (558.57 वर्ग कि.मी.)
  4. राजस्थान (394.46 वर्ग कि.मी.)
  1. मध्य प्रदेश (612.41 वर्ग कि.मी.)
  2. कर्नाटक (459.36 वर्ग कि.मी.)
  3. लद्दाख (159.26 वर्ग कि.मी.)
  4. नागालैंड (125.22 वर्ग कि.मी.)

आर.एफ.ए./जी.डब्ल्यू.* (सरकार द्वारा प्रबंधित वन क्षेत्र) के अंदर परिवर्तन

सर्वाधिक वृद्धि वाले राज्य

सर्वाधिक कमी वाले राज्य

  1. मिज़ोरम (192.92 वर्ग कि.मी.)
  2. ओडिशा (118.17 वर्ग कि.मी.)
  3. कर्नाटक (93.14 वर्ग कि.मी.)
  4. पश्चिम बंगाल (64.79 वर्ग कि.मी.)
  5. झारखंड (52.72 वर्ग कि.मी.)
  1. त्रिपुरा (116.90 वर्ग कि.मी.)
  2. तेलंगाना (105.87 वर्ग कि.मी.)
  3. असम (86.66 वर्ग कि.मी.)
  4. आंध्र प्रदेश (83.47 वर्ग कि.मी.)
  5. गुजरात (61.22 वर्ग कि.मी.)

*RFA/GW : Recorded Forest Area/Green Wash

 

आर.एफ.ए./जी.डब्ल्यू. (सरकार द्वारा प्रबंधित वन क्षेत्र) के बाहर परिवर्तन

सर्वाधिक वृद्धि वाले राज्य

सर्वाधिक कमी वाले राज्य

  1. गुजरात (241.29 वर्ग कि.मी.)
  2. बिहार (106.85 वर्ग कि.मी.)
  3. केरल (95.19 वर्ग कि.मी.)
  4. उत्तर प्रदेश (79.27 वर्ग कि.मी.)
  5. असम (74.90 वर्ग कि.मी.)
  1. मध्य प्रदेश (344.77 वर्ग कि.मी.)
  2. राजस्थान (110.65 वर्ग कि.मी.)
  3. आंध्र प्रदेश (55.19 वर्ग कि.मी.)
  4. अरुणाचल प्रदेश (45.32 वर्ग कि.मी.)
  5. महाराष्ट्र (41.07 वर्ग कि.मी.)

वृक्षावरण

  • कुल मिलाकर, 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) में वृक्षावरण में वृद्धि देखी गई है जो कृषि वानिकी गतिविधियों में वृद्धि का संकेत है।

सर्वाधिक वृक्षावरण वाले राज्य

वर्ष 2021 की तुलना में वृक्षावरण में सर्वाधिक वृद्धि दर्शाने वाले राज्य

  1. महाराष्ट्र (14,524.88 वर्ग कि.मी.)
  2. राजस्थान (10,841.12 वर्ग कि.मी.)
  3. उत्तर प्रदेश (8,950.92 वर्ग कि.मी.)
  1. छत्तीसगढ़ (702.75 वर्ग कि.मी.)
  2. राजस्थान (478.26 वर्ग कि.मी.)
  3. उत्तर प्रदेश (440.76 वर्ग कि.मी.)
  • पश्चिमी घाट के संदर्भ में : लगभग 60,285.61 वर्ग कि.मी. में विस्तृत पश्चिमी घाट में से 44,043.99 वर्ग कि.मी. (73%) वन क्षेत्र है।
    • पिछले 10 वर्षों में भारतीय वन सर्वेक्षण के दौरान वन क्षेत्र में कुल 58.22 वर्ग कि.मी. की कमी आई है। 
    • अति सघन वन में वृद्धि हुई है जबकि मध्यम सघन वन और खुले वन में कमी आई है।
  • हाड़ी जिलों में वन क्षेत्र : भारत के पहाड़ी जिलों में वन क्षेत्र 2,83,713.20 वर्ग कि.मी. है जो उनके कुल क्षेत्रफल का 40% है। 
    • नवीनतम आकलन में यहाँ वन क्षेत्र में 234.14 वर्ग कि.मी. की वृद्धि हुई है।
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र : इस क्षेत्र में कुल वन एवं वृक्ष आवरण 1,74,394.70 वर्ग कि.मी. (भौगोलिक क्षेत्र का 67%) है। 
    • हालांकि, इस क्षेत्र में वनावरण में 327.30 वर्ग कि.मी. की कमी आई है।
  • मैंग्रोव आवरण : भारत में कुल मैंग्रोव आवरण 4,991.68 वर्ग कि.मी. है जो कुल भौगोलिक क्षेत्र का केवल 0.15% है।
    • वर्ष 2021 की तुलना में कुल मैंग्रोव कवर में 7.43 वर्ग कि.मी. की कमी आई है, जिसमें गुजरात में सर्वाधिक कमी (36.39 वर्ग कि.मी.) दर्ज की गई है। 
    • आंध्र प्रदेश एवं महाराष्ट्र में क्रमशः 13.01 वर्ग कि.मी. व 12.39 वर्ग कि.मी. की वृद्धि देखी गई।
  • जंगल की आग : वर्ष 2023-24 सीज़न के दौरान पता लगाए गए आग के हॉटस्पॉट की संख्या 2,03,544 थी जो वर्ष 2021-22 सीज़न में 2,23,333 से कम थी।
    • सर्वाधिक आग की घटनाओं वाले राज्य क्रमशः उत्तराखंड, ओडिशा एवं छत्तीसगढ़ थे।
  • लकड़ी (काष्ठ) का बढ़ता स्टॉक : भारत में लकड़ी का कुल बढ़ता स्टॉक 6,429.64 मिलियन घन मीटर अनुमानित है जो वर्ष 2021 की रिपोर्ट की तुलना में 262.32 मिलियन घन मीटर (4.25%) की वृद्धि है।
    • वन क्षेत्र में सर्वाधिक वृद्धिशील स्टॉक अरुणाचल प्रदेश (457.83 मिलियन घन मीटर) में है जिसके बाद क्रमशः उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश का स्थान है।
    • बढ़ते स्टॉक का तात्पर्य वन क्षेत्र में सभी जीवित पेड़ों की मात्रा से है।
  • बांस वाले क्षेत्र : भारत में बांस वाला कुल क्षेत्र 1,54,670 वर्ग कि.मी. है जिसमें वर्ष 2021 की तुलना में 5,227 वर्ग कि.मी. की वृद्धि हुई है।
    • मध्य प्रदेश में सबसे बड़ा बांस क्षेत्र (20,421 वर्ग कि.मी.) है, इसके बाद क्रमशः अरुणाचल प्रदेश एवं महाराष्ट्र का स्थान है।
  • कृषि वानिकी : कृषि वानिकी के अंतर्गत कुल वृक्ष हरित आवरण 127,590.05 वर्ग कि.मी. है, जिसमें वर्ष 2013 से 21,286.57 वर्ग कि.मी. (20.02%) की वृद्धि हुई है।
    • कृषि वानिकी के अंतर्गत कुल बढ़ता स्टॉक 1,291.68 मिलियन घन मीटर होने का अनुमान है जो वर्ष 2013 से 28.56% की वृद्धि दर्शाता है।
  • कार्बन स्टॉक 
    • वर्ष 2023 के लिए कुल कार्बन स्टॉक 7,285.5 मीट्रिक टन है जो वर्ष 2021 की रिपोर्ट की तुलना में 81.5 मीट्रिक टन ज़्यादा है। 
    • एन.डी.सी. के लक्ष्यों की प्राप्ति के संबंध में वर्तमान आकलन से ज्ञात होता है कि भारत का कार्बन स्टॉक 30.43 बिलियन टन CO₂ के समतुल्य तक पहुंच गया है। यह दर्शाता है कि वर्ष 2005 के आधार वर्ष की तुलना में भारत पहले ही 2.29 बिलियन टन अतिरिक्त कार्बन सिंक तक पहुंच चुका है। 
    • वर्ष 2030 तक 2.5 से 3.0 बिलियन टन का लक्ष्य रखा गया है।
    • कार्बन स्टॉक की वार्षिक वृद्धि 40.75 मीट्रिक टन होने का अनुमान है जो 149.42 मीट्रिक टन CO2 के बराबर है।
    • सर्वाधिक कार्बन स्टॉक के मामले में अरुणाचल प्रदेश शीर्ष पर है, जिसके बाद क्रमशः मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र का स्थान है।
    • प्रति हेक्टेयर कार्बन स्टॉक के मामले में जम्मू एवं कश्मीर शीर्ष पर है, जिसके बाद क्रमशः सिक्किम, हिमाचल प्रदेश तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह का स्थान है।

दशकीय परिवर्तन (वर्ष 2013 से 2023 तक)

  • सकारात्मक परिवर्तन :
    • वन क्षेत्र में 16,630.25 वर्ग कि.मी. की वृद्धि
    • मैंग्रोव आवरण में 296.33 वर्ग कि.मी. की वृद्धि
    • वृक्षावरण में 20,747.34 वर्ग कि.मी. की वृद्धि 
    • देश के पहाड़ी जिलों में वन क्षेत्र में 2,649.04 वर्ग कि.मी. की वृद्धि
    • इसके अलावा, वनों में बढ़ते स्टॉक और वनों के बाहर वृक्षों (TOF) में क्रमशः 305.54 मिलियन घन मीटर तथा 466.07 मिलियन घन मीटर की वृद्धि हुई है।
  • वन स्वास्थ्य एवं जैव विविधता : 
    • मृदा स्वास्थ्य में सुधार हुआ है, मृदा की गहराई और ह्यूमस में वृद्धि हुई है, जिससे घास का आवरण व झाड़ियां बेहतर हुई हैं।
    • इस अवधि के दौरान मृदा के कार्बनिक कार्बन में भी मामूली वृद्धि हुई है। 
    • मिश्रित आकार के वृक्षों के अंतर्गत क्षेत्रफल में वृद्धि हुई है जो वन एवं जैवविविधता की बेहतर स्थिति को दर्शाता है।

भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI)

  • स्थापना : 1 जून, 1981
  • नोडल मंत्रालय : केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
  • मुख्यालय : देहरादून 
  • वर्तमान महानिदेशक : अनूप सिंह
  • प्राथमिक जिम्मेदारी : भारत के वन संसाधनों का नियमित मूल्यांकन एवं निगरानी
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