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क्रिप्टोकरेंसी पर भारत की रणनीति

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र- 3 : सूचना प्रौद्योगिकी, कंप्यूटर, रोबोटिक्स)

संदर्भ

हाल ही में, क्रिप्टोकरेंसी के मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई। बिटकॉइन ने 20,000 अमेरिकी डॉलर के मूल्य को पार कर लिया है। क्रिप्टोकरेंसी के मूल्य में हुई इस वृद्धि से भारत में भी इसके प्रचलन व वैधता से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर पुनर्विचार की माँग उठने लगी है।

क्रिप्टोकरेंसी : अवधारणा

  • क्रिप्टोकरेंसी कम्प्यूटराइज़्ड डाटाबेस पर संग्रहीत एक डिजिटल मुद्रा है। सुरक्षा की दृष्टि से इसे मज़बूत क्रिप्टोग्राफ़ी के उपयोग द्वारा डिजिटल बही-खातों में रिकॉर्ड किया जाता है। ये बही-खातें विश्व स्तर पर क्रिप्टोकरेंसी के उपयोगकर्ताओं के लिये वितरित होते हैं।
  • क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से किये गए प्रत्येक लेन-देन को ब्लॉक (Blocks) के रूप में कूटबद्ध किया जाता है। कई ब्लॉक एक-दूसरे से मिलकर वितरित बही-खाते (Distributed Ledger) पर ब्लॉकचेन का निर्माण करते हैं।
  • क्रिप्टोकरेंसी में इनक्रिप्शन एल्गोरिद्म (Encryption algorithms) के रूप में भी अतिरिक्त सुरक्षा होती है। क्रिप्टोग्राफ़िक अथवा कूटबद्ध (Coded) विधियों का उपयोग मुद्रा के साथ-साथ उस नेटवर्क को भी सुरक्षित बनाने के लिये किया जाता है, जिस पर इसका कारोबार किया जा रहा है।
  • वर्तमान में, विश्व भर में लगभग 1500 से अधिक क्रिप्टोकरेंसी प्रचलन में हैं। फेसबुक द्वारा घोषित ‘लिब्रा’ के अतिरिक्त बिटकॉइन, एथरियम आदि क्रिप्टोकरेंसी के कुछ अन्य उदाहरण हैं।

क्रिप्टोकरेंसी के लाभ

  • डिजिटल मुद्रा होने के कारण क्रिप्टोकरेंसी का सबसे बड़ा लाभ इसकी गोपनीयता है। इसी कारण इसके लेन-देन में किसी प्रपत्र की अनिवार्यता नहीं है और न ही इसके लिये निजी जानकारी अथवा पहचान साझा करने की आवश्यकता होती है। 
  • क्रिप्टोकरेंसी का विनियमन किसी भी संस्था द्वारा नही किया जाता, जिस कारण इसका लेन-देन आसन होता है। इसके लिये किसी मध्यस्थ की भी आवश्यकता नहीं होती और न ही इसके लिये अतिरिक्त शुल्क देना पड़ता है। 
  • डिजिटल मुद्रा होने के कारण इसमें किसी प्रकार की धोखाधड़ी होने की सम्भावना बहुत कम होती है। साथ ही, क्रिप्टोकरेंसी पर वैश्विक मंदी, अवमूल्यन एवं नोटबंदी का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

क्रिप्टोकरेंसी की चुनौतियाँ

  • किसी वैध संस्था द्वारा विनियमन न होने से इसके मूल्य में भारी उतार-चढ़ाव के कारण अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है। 
  • गोपनीयता के कारण आतंकी अथवा ग़ैर-क़ानूनी  गतिविधियों में इसका दुरुपयोग होने की संभावना अधिक है।
  • इस मुद्रा पर केंद्रीय बैंक का कोई नियंत्रण नहीं होता है, जिस कारण इस पर मौद्रिक नीतियों का कोई प्रभाव नही पड़ेगा।
  • बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ इसके माध्यम से वित्तीय लेन-देन करके ‘कर अपवंचना’ को बढ़ावा दे सकती हैं।  

भारत में क्रिप्टोकरेंसी की स्थिति

  • वित्तीय वर्ष 2018-19 में भारत सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को लीगल टेंडर के रूप में मान्यता प्रदान करने से इंकार करते हुए कहा था कि सरकार अवैध गतिविधियों के वित्तपोषण और भुगतान प्रणाली में इसके उपयोग को रोकने के लिये आवश्यक  उपाय करेगी। 
  • नवंबर 2017 में गठित एक अंतर-मंत्रालयी समिति की रिपोर्ट के आधार पर जुलाई 2019 में प्रस्तुत ‘क्रिप्टोकरेंसी प्रतिबंध एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक, 2019’ के फ्रेमवर्क  में सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करने  की मांग की थी। 
  • साथ ही, समिति ने क्रिप्टोकरेंसी के महत्त्व को देखते हुए रिज़र्व बैंक को भविष्य में स्वयं की डिजिटल करेंसी जारी करने का सुझाव दिया था। 
  • इसी संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक ने क्रिप्टोकरेंसी में पारदर्शिता के अभाव तथा इसकी अस्थिर प्रकृति को देखते हुए अप्रैल 2018 में सभी वित्तीय संस्थानों में क्रिप्टोकरेंसी के किसी भी प्रकार के वित्तीय लेन-देन को प्रतिबंधित कर दिया था।
  • हालाँकि बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने रिज़र्व बैंक द्वारा लगाए गए इन प्रतिबंध को ख़ारिज करते हुए कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी प्रकृति में एक ‘वस्तु/कमोडिटी’ है। अतः इसे प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता।

क्या होनी चाहिये आगे की राह ?

  • वर्तमान में, भारत में क्रिप्टोकरेंसी को अपनाने को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी नहीं किये गए हैं और सरकार अभी भी असमंजस की स्थिति में है।
  • सरकार मुद्रा-ब्लॉकचेन से संबंधित प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य कर रही है। चूँकि क्रिप्टोकरेंसी भी इसी प्रौद्योगिकी से संबंधित है, अतः भविष्य में सरकार इसे वैधता प्रदान करने पर विचार कर सकती है।
  • ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी और क्रिप्टोकरेंसी परस्पर जुड़े हुए हैं। चीन ने अपने यहाँ क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज्स की अनुमति प्रदान की थी, जिस कारण आज चीन में सर्वाधिक ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी आधारित स्टार्टअप्स हैं।
  • सरकार आधुनिक डिजिटल उपकरणों के माध्यम से किसी की पहचान की पुष्टि कर सकती है। ऐसे में क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से व्यापर पर प्रतिबंध लगाना उचित नहीं है। 
  • वर्तमान में ऑनलाइन गेमिंग एक उभरता हुआ क्षेत्र है जो मुख्य रूप से डिजिटल मुद्रा पर ही आधारित है। अतः इसके लिये एक आसान भुगतान प्रणाली की आवश्कता है जिसे क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से पूरा किया जा सकता है। 
  • सरकार को क्रिप्टोकरेंसी के बाज़ार पर एकाधिकार के मुद्दे पर भी विचार करना चाहिये। क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करके सरकार बड़ी कंपनियों को इसमें संपत्ति अर्जित करने का अवसर दे रही है। चूँकि क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते बाज़ार के कारण इसे लंबे समय तक प्रतिबंधित नहीं रखा जा सकता, ऐसे में प्रतिबंध समाप्त होने पर सरकार के लिये इसे विनियमित करना आसान नहीं होगा। 
  • फेसबुक ‘लिब्रा’ के माध्यम से क्रिप्टोकरेंसी के बाज़ार में उतर चुकी है। ऐसे में भारत के पास भी एक अवसर है कि वह इसमें भागीदार बनकर क्रिप्टोकरेंसी के बाज़ार को समझे, क्योंकि बिना बाज़ार को समझे नियामक की भूमिका निभाना भी आसान नहीं होगा।
  • सरकार क्रिप्टोकरेंसी को वैध मुद्रा के रूप में मान्यता न देकर इसे व्यापार-योग्य वस्तु घोषित कर सकती है और कर की प्रयोज्यता के संदर्भ में स्पष्टीकरण दे सकती है।
  • इसके अतिरिक्त, महामारी-प्रेरित लॉकडाउन के कारण अनेक उद्योग-धंधे मंदी का सामना कर रहे हैं। ऐसे में क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन आधारित प्रौद्योगिकी इस क्षेत्र में रोज़गार सृजन में सहायक सिद्ध हो सकती हैं। साथ ही, यह $ 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मददगार साबित होगा।  
  • वैश्विक स्तर पर क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते प्रचलन को देखते हुए माना जा रहा है कि सरकार आगामी बजट में क्रिप्टोकरेंसी को अपनाने की दिशा सकारात्मक कदम उठा सकती है ।

निष्कर्ष 

वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी का महत्त्व लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में सरकार को चाहिये कि वह इस पर स्पष्ट कानून बनाकर इसे विनियमित करे। इसके लिये मौजूदा ‘फेमा’ (FEMA) तथा सेबी के कानूनों में संशोधन कर धन के प्रवाह व पूंजी जुटाने संबंधी विकल्पों को विनियमित किया जा सकता है। इसी प्रकार, कर की प्रयोज्यता पर स्पष्टता लाने के लिये आयकर और जी.एस.टी. कानूनों में संशोधन किये जा सकते हैं। अतः अर्थव्यवस्था में सुरक्षा, अवसर और संवृद्धि तभी बढ़ेंगे जब वह नए समाधानों को स्वीकार करेगी।   

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