हाल ही मेंभारत और ताइवान के बीच जैविक उत्पादों के लिए पारस्परिक मान्यता समझौता हुआ।
यह समझौता नई दिल्ली में व्यापार संबंधी 9वें कार्य समूह की बैठक के दौरान हुआ है।
यह जैविक उत्पादों के लिएभारत और ताइवान के बीच पहला द्विपक्षीय समझौता है।
इससे जैविक उत्पादों के निर्यात में आसानी होगी और अनुपालन लागत कम होगी और जैविक क्षेत्र में व्यापार के अवसर बढ़ जाएंगे।
इसके लिएकार्यान्वयन एजेंसियां भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) और ताइवान के कृषि मंत्रालय के तहत कृषि एवं खाद्य एजेंसी हैं।
इस समझौते के बाद प्रमुख भारतीय जैविक उत्पादो का ताइवान में निर्यात हो सकेगा।
इनमे शामिल-
चावल
प्रसंस्कृत खाद्य
हरी/काली
हर्बल चाय
औषधीय पौधों
ताइवान
ताइवान, चीन के दक्षिण-पूर्वी तट से लगभग 100 मील दूर स्थित एक द्वीप है
राजधानी - ताइपे
मुद्रा - ताइवान डॉलर
वर्ष 1683 से 1895 तक ताइवान पर चीन के चिंग राजवंश का शासन था
चीनी कम्युनिस्ट सेना से हार के बाद चैंग काई शेक और उनके सहयोगी चीन से भागकर ताइवान चले आए
उसके बाद से ताइवान अपने आप को चीनी गणराज्य (Republic of China) मानता है
ताइवान ख़ुद को एक स्वतंत्र देश मानता है
अपना संविधान और अपने चुने हुए नेताओं की सरकार है
वर्ष 1979 में अमेरिका ने वर्तमान चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए और इसे चीन की एकमात्र वैध सरकार के रूप में मान्यता दी।
वर्ष 1979 से पहले अमेरिका ने ताइवान को ही चीन के रूप में मान्यता दी थी
चीन ने ताइवान को हमेशा से ऐसे प्रांत के रूप में देखा है जो उससे अलग हो गया है
चीन मानता है कि भविष्य में ताइवान चीन का हिस्सा बन जाएगा
चीन जब भी किसी देश के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित करता है तो उसकी सबसे अहम शर्त होती है 'वन चाइना पॉलिसी'
इसके तहत जो देश चीन के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित करेंगे वो ताइवान को एक अलग देश के रूप में मान्यता नहीं दे सकते बल्कि उसे चीन का हिस्सा मानेंगे