(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 : द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह तथा भारत को प्रभावित करने वाले करार)
संदर्भ
वर्ष 2021 में भारत और ताइवान के मध्य सहभागिता के 25 वर्ष पूर्ण हुए हैं। दोनों देश के द्विपक्षीय सहयोग विभिन्न क्षेत्रों, जैसे– कृषि, नागरिक उड्डयन, औद्योगिक सहयोग, निवेश आदि क्षेत्रों तक विस्तृत हैं। इन क्षेत्रों में बढ़ते सहयोग को देखते हुए भारत-ताइवान संबंधों को पुनर्गठित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
संबंधों का पुनर्गठन
राजनीतिक ढाँचे का सृजन
- द्विपक्षीय संबंधों की मज़बूती के लिये एक प्रभावी राजनीतिक ढाँचे की आवश्यक होती है। स्वतंत्रता, मानवाधिकार, न्याय तथा विधि के शासन जैसे मूल्यों के प्रति दोनों देशों का दृढ़ विश्वास द्विपक्षीय संबंधों को और मज़बूत बनाने में अत्यंत सहायक हैं।
- आपसी संबंधों को व्यावहारिक स्वरूप प्रदान करने के लिये दोनों पक्षों को एक सशक्त कार्यबल गठित करना चाहिये, जो नियत समय में प्राप्त किये जाने की प्रतिबद्धता के साथ कुछ उद्देश्य निर्धारित कर सके। हालाँकि इनके क्रियान्वयन के लिये ‘दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति’ का होना बेहद महत्त्वपूर्ण है।
स्वास्थ्य क्षेत्रक में सहयोग
- कोविड-19 के विरुद्ध संघर्ष करने में भारत अग्रणी रहा है। इसी तरह, इस महामारी से निपटने में ताइवान की भूमिका भी उल्लेखनीय रही है। ताइवान ने इस दौरान विभिन्न देशों के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग किया है।
- भारत और ताइवान पहले से ही पारंपरिक औषधि के क्षेत्र में सहयोग कर रहे हैं। अतः समय की माँग है कि स्वास्थ्य क्षेत्रक में दोनों देश सहयोग का दायरा और अधिक विस्तृत करें।
जैव-अनुकूलित प्रौद्योगिकियाँ
- फसल-अवशेषों के दहन से वायु गुणवत्ता प्रत्यक्ष तौर से प्रभावित होती है, जो सरकार के समक्ष विद्यमान प्रमुख चुनौतियों में से एक है। ताइवान द्वारा विकसित जैव-अनुकूलित प्रौद्योगिकियाँ इस समस्या से निपटने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
- जैव-अनुकूलित प्रौद्योगिकियों द्वारा कृषि अवशेषों को नवीकरणीय ऊर्जा या जैव-उर्वरकों में रूपांतरित किया जा सकता है। इन प्रयासों के माध्यम से किसानों की आय में वृद्धि होने के साथ-साथ वायु गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
- इसके अतिरिक्त, दोनों देश जैविक कृषि को प्रोत्साहित करने के लिये अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में भी सहयोग कर सकते हैं।
आर्थिक संबंधों की सुदृढ़ता
- भारत का वृहद् बाज़ार ताइवान को निवेश के लिये व्यापक अवसर उपलब्ध कराता है। वर्ष 2018 में हस्ताक्षरित द्विपक्षीय व्यापार समझौता दोनों देशों के मध्य आर्थिक संबंधों को मज़बूत बनाने में महत्त्वपूर्ण साबित हो सकता है।
- अर्द्धचालक और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में ‘वैश्विक नेतृत्वकर्ता’ के रूप में विख्यात ताइवान ‘सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेवाओं’ के क्षेत्र में भारत की विशेषज्ञता को अधिक परिष्कृत कर सकता है। इन क्षेत्रों में साझा सहयोग नई संभावनाओं के सृजन को भी प्रोत्साहित कर सकता है।
- उल्लेखनीय है कि भारतीय बाज़ार में निवेश की उच्च संभावना होने के बावजूद यहाँ ताइवानी निवेश की मात्रा नगण्य है। ताइवानी निवेशक भारत के जटिल विनियामक तंत्र तथा अस्पष्ट श्रम विधियों के कारण असहज महसूस करते हैं।
निष्कर्ष
दोनों देशों को संबंधों के पुनर्गठन के लिये नीति-निर्माताओं व व्यावसायिक समूहों के आपसी सहयोग को बढ़ावा देना चाहिये। साथ ही, द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ता प्रदान करने के लिये राजनीतिक इच्छाशक्ति को मज़बूत करने की आवश्यकता है।