भारत 2075 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र 3 – अर्थव्यवस्था
चर्चा में क्यों?
गोल्डमैन सैक्स की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार भारत 2075 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
भारत अभी जर्मनी, जापान, चीन और अमेरिका के बाद दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
भारत 2075 तक अमेरिका के साथ-साथ अन्य देशों को भी पीछे छोड़ देगा।
अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2075 तक भारत की जीडीपी अमेरिकी जीडीपी अनुमान को पार करते हुए 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी।
बेहतर व्यापार और राजनीतिक स्थिरता, अनुकूल जनसांख्यिकी, विनियामक पहल और संप्रभु निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल के कारण, भारत अब उभरते बाजार ऋण में निवेश के लिए सबसे आकर्षक उभरते बाजार के रूप में चीन से आगे निकल गया है।
भारत मेक्सिको और ब्राज़ील सहित कई देशों में से एक है, जो घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मांग दोनों के उद्देश्य से बढ़े हुए विदेशी कॉर्पोरेट निवेश से लाभान्वित हो रहे हैं।
21 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति का प्रतिनिधित्व करने वाले 85 सॉवरेन वेल्थ फंड और 57 केंद्रीय बैंकों के अनुसार, भारत अब निवेश करने के लिए सबसे अच्छा उभरता हुआ बाजार है।
वृद्धि के कारक:
न्यूनतम निर्भरता अनुपात: भारत में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच निर्भरता अनुपात सबसे कम है। निर्भरता अनुपात को कुल कार्य-आयु आबादी के मुकाबले आश्रितों की संख्या से मापा जाता है।
जनसांख्यिकीय लाभांश: श्रम बल की भागीदारी, प्रतिभा का एक विशाल पूल और कार्य-आयु जनसंख्या अनुपात ऐसे कुछ कारक हैं जो भारत को 2075 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में सहायक हैं।
उच्च पूंजी निवेश: कम निर्भरता अनुपात, बढ़ती आय और वित्तीय क्षेत्र के विकास के साथ भारत की बचत दर बढ़ने की संभावना है। इससे आगे निवेश बढ़ाने के लिए पूंजी का एक बड़ा भाग उपलब्ध होगा।
नवाचार और प्रौद्योगिकी में प्रगति: भारत शोध और विकास पर अपने खर्च बढ़ा रहा है जो इस लक्ष्य को पूरा करने में सहायक होंगे।
चुनौतियां:
श्रम बल भागीदारी में कमी: भारत में पिछले 15 वर्षों में इसमें गिरावट आई है। इसके अलावा श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी दर पुरुषों की तुलना में काफी कम है। भारत में कामकाजी उम्र की सभी महिलाओं में से केवल 20% ही रोजगार में हैं।
राजकोषीय घाटा: आयात-निर्यात असंतुलन भी भारत की वृद्धि में एक बाधा रहा है, क्योंकि भारत वर्तमान में चालू खाता घाटे से जूझ रहा है।
आगे की राह:
वर्तमान में भारत जनसांख्यिकीय लाभांश के दौर से गुजर रहा है जबकि अन्य देश अपनी आबादी की उम्र बढ़ने का अनुभव कर रहे हैं।
इसलिए यह निजी क्षेत्र के लिए विनिर्माण और सेवाओं में क्षमता बढ़ाने का उचित समय है ताकि अधिक नौकरियां पैदा की जा सकें और बड़ी श्रम शक्ति को समाहित किया जा सके।