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औद्योगिक सहयोग पर भारत-यू.ए.ई. समझौता

चर्चा में क्यों

हाल ही में, केंद्र सरकार ने उद्योगों और उन्नत प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच एक द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर को मंजूरी दी है।

प्रमुख बिंदु

  • इस समझौता ज्ञापन में दोनों देशों के मध्य उद्योगों की आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन (Supply Chain Resilience), नवीकरणीय और ऊर्जा दक्षता, स्वास्थ्य और जीवन विज्ञान, अंतरिक्ष प्रणाली, कृत्रिम बुद्धिमत्ता आदि क्षेत्रों में सहयोग की परिकल्पना की गई है।
  • इस एम.ओ.यू. का उद्देश्य निवेश एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से दोनों देशों में उद्योगों को मजबूत और विकसित करना है।
  • इस एम.ओ.यू. के क्रियान्वयन से आपसी सहयोग के सभी क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार में वृद्धि हो सकती है।

भारत- यू.ए.ई. द्विपक्षीय व्यापार 

  • भारत-यू.ए.ई. द्विपक्षीय व्यापार, जो कि 1970 के दशक में प्रति वर्ष 180 मिलियन डॉलर था, वर्तमान में बढ़कर 60 बिलियन डॉलर हो गया है। इस प्रकार, यू.ए.ई. चीन और अमेरिका के पश्चात् भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है।
  • यू.ए.ई. 18 अरब डॉलर के अनुमानित निवेश के साथ भारत में आठवां सबसे बड़ा निवेशक है। जबकि यू.ए.ई. में भारतीय निवेश लगभग 85 अरब डॉलर (6.48 लाख करोड़) होने का अनुमान है।
  • विदित है कि दोनों देशों ने अगले पाँच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को 60 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 100 बिलियन डॉलर करने के उद्देश्य से एक व्यापक व्यापार समझौता लागू किया है।
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