प्रारंभिक परीक्षा
(समसामयिक अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम)
मुख्य परीक्षा
(सामान्य अध्ययन - प्रश्न पत्र - 2, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।)
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संदर्भ
हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के साथ संघर्ष उलझे में यूक्रेन का दौरा किया। वर्ष 1992 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद से यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यूक्रेन यात्रा थी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यूक्रेन यात्रा
- भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के निमंत्रण पर 23 अगस्त 2024 को यूक्रेन का दौरा किया।
- इस यात्रा पर, भारतीय प्रधानमंत्री ने तटस्थता की नीति के स्थान पर “शांति स्थापना” की नीति के पक्ष पर जोर दिया।
- दोनों देशों के नेताओं की बैठक के पश्चात भारत-यूक्रेन संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया।
संयुक्त वक्तव्य की प्रमुख बातें
- रणनीतिक साझेदारी: द्विपक्षीय संबंधों को व्यापक साझेदारी से बढ़ाकर रणनीतिक साझेदारी तक ले जाने की दिशा में काम करने के प्रति पारस्परिक रुचि व्यक्त की गई।
- इस संदर्भ में में व्यापारिक, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी, औद्योगिक एवं सांस्कृतिक सहयोग से संबंधित भारतीय-यूक्रेनी अंतर सरकारी आयोग (IGC) के महत्व को रेखांकित किया गया है।
- शान्ति का पक्ष : दोनों पक्षों की वार्ता सैन्य स्थिति, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा जैसी चिंताओं और ‘शांति के लिए सभी संभव तरीकों’ पर केंद्रित थी और यूक्रेन वैश्विक शांति सम्मेलन में भारत की भागीदारी जारी रखना चाहता है।
- अंतरराष्ट्रीय कानून की प्रतिबद्धता : व्यापक न्यायपूर्ण और स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर सहित क्षेत्रीय अखंडता एवं देशों की संप्रभुता के सम्मान जैसे अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को बनाए रखने पर सहमित व्यक्त की है।
- व्यापार एवं निवेश सुगमता: दोनों देशों ने व्यापक व्यापार एवं वाणिज्य के लिए किसी भी बाधा को दूर करने के अलावा, आपसी आर्थिक गतिविधियों एवं निवेश के लिए व्यापार करने में आसानी को बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया।
- दोनों पक्ष यूक्रेन के पुनर्निर्माण और पुनरुत्थान की प्रक्रिया में उचित तरीके से भारतीय कंपनियों की भागीदारी की संभावना तलाशने पर सहमत हुए।
- फार्मास्यूटिकल उत्पादों के मामले में सहयोग को द्विपक्षीय साझेदारी के सबसे मजबूत स्तंभों में से एक के रूप में मान्यता दी गई है।
- रक्षा सहयोग : दोनों देशों के रक्षा संस्थानों के बीच मजबूत संबंधों को सुविधाजनक बनाने की दिशा में काम करना जारी रखने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें भारत में मैन्यूफैक्चरिंग के लिए संयुक्त सहयोग एवं साझेदारी और उभरते क्षेत्रों में सहयोग शामिल है।
भारत-यूक्रेन संबंध
- सोवियत संघ के विघटन के पश्चात भारत ने दिसम्बर, 1991 में यूक्रेन को एक संप्रभु देश के रूप में मान्यता और दोनों देशों के बीच 27 मार्च, 1992 को मैत्री और सहयोग संधि पर हस्ताक्षर किए गए।
- भारत ने मई, 1992 में यूक्रेन की राजधानी कीव में अपना दूतावास खोला और यूक्रेन ने फरवरी 1993 में नई दिल्ली में अपना मिशन स्थापित किया।
- नरेंद्र मोदी यूक्रेन की अधिकारिक यात्रा करने भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं।
- यद्यपि इससे पहले वर्ष 2005 में भारत तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने यूक्रेन की यात्रा की थी।
- वर्ष 2012 में यूक्रेन के राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच ने भारत की राजकीय यात्रा की थी।
- इसके अतिरिक्त अनेक वैश्विक मंचों दोनों देशों के प्रमुखों की बैठकों का आयोजन किया गया जैसे;
- मई, 2023 - हिरोशिमा (जापान) और जून, 2024 - फसानो (इटली) में जी7 शिखर सम्मेलन के मौके पर यूक्रेन के राष्ट्रपति और भारत के प्रधान मंत्री के बीच बैठक।
व्यापारिक संबंध
- वर्ष 2024 की पहली छमाही में द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा लगभग 1.07 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी। जिसमें से भारत ने यूक्रेन को 0.66 बिलियन अमरीकी डालर निर्यात और यूक्रेन से 0.41 बिलियन अमरीकी डालर के माल का आयात किया था।
- भारत-यूक्रेन व्यापार की मात्रा वर्ष 2021 में 3.45 बिलियन डॉलर से घटकर वर्ष 2023 में 2,42 बिलियन डॉलर हो गई।
- हालाँकि इस दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार संतुलन, जो वर्ष 2021 में 1,53 बिलियन डॉलर के साथ यूक्रेन के पक्ष में था, बदलकर वर्ष 2023 में 1,34 बिलियन डॉलर भारत के पक्ष में हो गया है।
- भारत द्वारा प्रमुख आयातित वस्तुएँ- कृषि उत्पाद (मुख्यतः वनस्पति तेल एवं वसा और मक्का), धातुकर्म उत्पाद, प्लास्टिक एवं पॉलिमर, कठोर कोयला, एन्थ्रेसाइट ।
- भारत द्वारा प्रमुख निर्यातित वस्तुएँ- फार्मास्यूटिकल्स, मशीनरी, रसायन और खाद्य उत्पाद।
सांस्कृतिक एवं मानवीय संबंध
- द्विपक्षीय सांस्कृतिक और मानवीय सहयोग यूक्रेन और भारत गणराज्य के बीच मित्रता और सहयोग पर संधि पर आधारित है। इसके अलावा, दोनों देशों ने 12 अगस्त, 2003 को पर्यटन क्षेत्र में सहयोग पर समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
- यूक्रेन में युद्ध से पहले हजारों भारतीय छात्र यूक्रेन में व्यावसायिक और चिकित्सा के क्षेत्र में अध्ययन कर रहे थे। इन छात्रों की सुरक्षित वापसी के भारत सरकार के ‘ऑपरेशन गंगा’ में यूक्रेन का भी सहयोग प्राप्त हुआ।
- यूक्रेन और भारतीय विश्वविद्यालयों द्वारा सहयोग पर 12 से अधिक द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं, विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय संबंध संस्थान, टारस शेवचेंको राष्ट्रीय विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के बीच।
- भारत ने रूस-यूक्रेन संघर्ष में संकट का सामना कर रहे लोगों की सहायता के लिए यूक्रेन को 99.3 टन मानवीय सहायता जिसमें दवाइयां, कंबल, टेंट, चिकित्सा उपकरण आदि शामिल हैं।
- भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियों ने यूक्रेन को 8 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की चिकित्सा सहायता और वित्तीय सहायता प्रदान की है।
वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पहली यूक्रेन-भारत परियोजना 27 मार्च, 1992 को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग पर अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर के बाद शुरू की गई थी।
- वर्तमान में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में यूक्रेन-भारत सहयोग निम्नलिखित प्रमुख समझौतों पर आधारित है:
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग पर यूक्रेन सरकार और भारत गणराज्य की सरकार के बीच समझौता। इस समझौते पर 10 दिसंबर, 2012 को हस्ताक्षर किए गए थे और यह 10 जून, 2014 से लागू हुआ।
- यूक्रेन के राज्य परमाणु विनियामक निरीक्षणालय और भारत के परमाणु ऊर्जा विनियामक बोर्ड के बीच समझौता (2012)
- बाहरी अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग पर यूक्रेन सरकार और भारत गणराज्य की सरकार के बीच फ्रेमवर्क समझौता (2005)
- यूक्रेन की राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी और भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के बीच वैज्ञानिक सहयोग पर समझौता (2003)
- 2000 में स्थापित यूक्रेनियन-इंडियन कमेटी ऑन साइंटिफिक एंड टेक्नोलॉजिकल को-ऑपरेशन का विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में दोनों देशों के बीच संबंधों को गहरा करने के लिए प्राथमिक महत्व है।
भारत-यूक्रेन संबध में चुनौतियां
- कश्मीर पर यूक्रेन का रुख : कश्मीर मुद्दे पर यूक्रेन की नकारात्मक टिप्पणियाँ दोनों देशों के बीच टकराव का एक प्रमुख कारण है।
- वर्ष 2019 में भारत द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के निर्णय पर यूक्रेन ने चिंता व्यक्त की थी, जिसे भारत ने अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के रूप में देखा।
- द्विपक्षीय व्यापार में गिरावट : रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण भारत-यूक्रेन व्यापार में लगातार गिरावट देखी गई है, इससे भारत में खाद्य वस्तुओं के मूल्य प्रभावित हुए हैं।
- भारत की शांति नीति : भारत संकट के शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत को विशेष महत्त्व देता है।
- स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए और यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने का आह्वान करते हुए, भारत ने रूस के कार्यों की प्रत्यक्ष रूप से निंदा करने से परहेज किया है।
- रूस पर अत्यधिक निर्भरता : सैन्य सहयोग, आर्थिक एवं व्यापारिक सहयोग भारत-रूस संबंधों की आधारशिला बने हुए है और भारत रूसी रक्षा उपकरणों के सबसे बड़े आयातकों में से एक है।
- 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया पर कब्जा करने के बाद, भारत ने इसकी निंदा करने वाले प्रस्ताव से खुद को दूर रखा था। भारत रूस के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का भी समर्थन नहीं करता है।
आगे की राह
- रणनीतिक साझेदारी की आवश्यकता : यूक्रेन के साथ सैन्य सहायता भारत के लिए राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण हो सकती है, विशेष रूप से हिंद महासागर में, जहां भारत को ऐसे पड़ोसी का सामना करना पड़ रहा है जिसका सैन्य बजट उसके अपने सैन्य बजट से लगभग चार गुना है।
- भारतीय उद्योगों के लिए अवसर : यूक्रेन के पुनर्निर्माण और पुनरुत्थान की प्रक्रिया भारत के श्रम बाजार के लिए बहुत बड़ा अवसर प्रदान करती है, यह दोनों देशों के संबधों को नए स्तर पर ले जा सकता है।
- संतुलित कूटनीति : भारत को रूस और यूक्रेन तथा चीन और अमेरिका के साथ अपने संबंधों को कूटनीतिक रूप से संतुलित करना जारी रखना चाहिए।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री की यूक्रेन यात्रा, जारी युद्ध के बीच संबंधों को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है, जिसके परिणामस्वरूप खाद्य और कृषि सहयोग पर समझौते हुए, भारतीय "उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाओं" के लिए एक रूपरेखा समझौता हुआ तथा नई दिल्ली में सैन्य-तकनीकी सहयोग पर संयुक्त कार्य समूह की एक और बैठक आयोजित करने की प्रतिबद्धता जताई गई है। भारत को अपने व्यापारिक एवं सैन्य हितों को ध्यान में रखते हुए, रूस एवं यूक्रेन के मध्य शान्ति के समझौते के लिए प्रयासरत रहने की आवश्यकता है।
देशनामा :
- स्थिति: यूक्रेन, पूर्वी यूरोप में स्थित, रूस के बाद यूरोप महाद्वीप पर दूसरा सबसे बड़ा देश है।
- राजधानी: इसकी राजधानी कीव है, जो उत्तर-मध्य यूक्रेन में नीपर नदी पर स्थित है।
- सीमा साझा : इसकी सीमा पूर्व में रूस, उत्तर में बेलारूस, पोलैंड, स्लोवाकिया, पश्चिम में हंगरी, दक्षिणपश्चिम में रोमानिया एवं मॉल्डोवा और दक्षिण में काला सागर और अजोव सागर से मिलती है।
- उपजाऊ क्षेत्र: यूक्रेन के काली मिटटी क्षेत्र स्टेपीज (Steppe) को दुनिया के सबसे उपजाऊ क्षेत्रों में से एक माना जाता हैं और "अन्न की टोकरी" के नाम से प्रसिद्ध हैं।
- जलवायु क्षेत्र: यूक्रेन में ज्यादातर समशीतोष्ण जलवायु रहती है, इसके अपवाद क्रिमीआ के दक्षिणी तट हैं जहाँ उपोष्णकटिबंधीय जलवायु है।
- खनिज क्षेत्र: क्रिवी रिह, क्रेमेनचुक, बिलोज़ेरका, मारियुपोल और केर्च के आसपास स्थित समृद्ध लौह अयस्क भंडार यूक्रेन के बड़े लौह और इस्पात उद्योग का आधार बनाते हैं।
- मुद्रा: इसकी राष्ट्रीय मुद्रा रिव्निया है।
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