(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व के समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध) |
संदर्भ
- अगस्त 2024 में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सार्वजनिक विद्रोह के बाद बांग्लादेश छोड़ना पड़ा और भारत में शरण लेनी पड़ी। इसके बाद भारत-बांग्लादेश के मध्य राजनयिक संबंध कुछ कमजोर हो गए हैं
- इस घटना के बाद भारत विरोधी भावनाओं और बांग्लादेश में हिंदू तथा अन्य अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार को लेकर विरोध एवं प्रतिक्रियात्मक विरोध के बाद दोनों देशों के मध्य तनाव बढ़ गया है।
- दिसंबर 2024 में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बांग्लादेश की यात्रा की और दोनों देशों के बीच संबंधों पर छाए बादलों को हटाने का आह्वान किया।
- इस दौरान मिसरी ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस से मुलाकात की और हिंदू व अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों एवं राजनयिक घटनाओं सहित हाल के तनावों पर चर्चा की।
भारत-बांग्लादेश संबंध की पृष्ठभूमि
- भारत एवं बांग्लादेश अपनी साझा सांस्कृतिक विरासत व ऐतिहासिक घटनाओं के कारण एक जैविक बंधन साझा करते हैं।
- इसमें वर्ष 1947 में भारत विभाजन के दौरान हुए नुकसान और बड़े पैमाने पर परिवारों का अलग होना भी शामिल है।
- भारत ने वर्ष 1971 में मुक्ति संग्राम के दौरान स्वतंत्र बांग्लादेश के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और मुक्ति संग्राम के दौरान अनुमानित 10 मिलियन शरणार्थियों को शरण दी थी।
- बांग्लादेश मुक्ति दिवस ‘16 दिसंबर’ को भारत में ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
- बांग्लादेश को एक अलग राज्य (राष्ट्र) के रूप में मान्यता देने वाला पहला देश भारत था।
भारत के लिए बांग्लादेश का महत्व
भू-राजनीतिक
- भारत-बांग्लादेश के बीच 4,096 किलोमीटर लंबी सीमा दुनिया में पांचवीं सबसे लंबी सीमा है। सीमा सुरक्षा के लिए दोनों देशों के मध्य सहयोग आवश्यक है।
- यह सीमा बांग्लादेश के छह संभागों और भारतीय राज्यों, असम, पश्चिम बंगाल, मिजोरम, मेघालय व त्रिपुरा को अलग करती है।
- यह भारत की सुरक्षा एवं विदेश नीति के लिए महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, भारत को चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ नीति का मुकाबला करने के लिए बांग्लादेश से सहयोग की आवश्यकता है।
- इसके अलावा, कुछ एन्क्लेव हैं जो एक-दूसरे देश के विदेशी क्षेत्र में स्थित भूमि के हिस्से हैं।
- वर्ष 2015 में भारत और बांग्लादेश ने 162 एन्क्लेव का आदान-प्रदान किया था जिससे स्थलीय सीमा सुगम हो गई और एन्क्लेव निवासियों को नागरिकता का विकल्प प्रदान किया गया।
- बांग्लादेश दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के चौराहे पर स्थित है। यह भारत की एक्ट ईस्ट नीति के लिए महत्वपूर्ण है, जिसका उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाना है।
आर्थिक
बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है और भारत एशिया में बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत-बांग्लादेश के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार 14.01 बिलियन अमरीकी डॉलर था।
सांस्कृतिक
भारत एवं बांग्लादेश का इतिहास, संस्कृति व विरासत साझा है। दोनों देशों के लोग सांस्कृतिक और पारिवारिक संबंधों से मजबूती से जुड़े हुए हैं और बांग्लादेश में भारतीय मूल के लोगों की एक बड़ी आबादी रहती है।
पर्यावरण संबंधी चिंताएँ
बांग्लादेश और भारत सीमा पार की नदियों एवं पारितंत्रों को साझा करते हैं जिससे दोनों देशों के लिए जल प्रबंधन व बाढ़ नियंत्रण जैसे मुद्दों पर सहयोग करना महत्वपूर्ण हो जाता है। उदाहरण के लिए, सुंदरबन के संरक्षण के लिए समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है।
भारत एवं बांग्लादेश के बीच सहयोग के क्षेत्र
सुरक्षा एवं सीमा प्रबंधन
- पुलिस मामलों, भ्रष्टाचार रोधी गतिविधियों और अवैध मादक पदार्थों की तस्करी, जाली मुद्रा, मानव तस्करी आदि मुद्दों से निपटने के लिए दोनों देशों की विभिन्न एजेंसियों के बीच सक्रिय सहयोग है।
- अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा के लिए शांतिपूर्ण और सहकारी प्रबंधन तंत्र सक्रिय रूप से सीमा पर बाड़ लगाने, सीमा स्तंभों के संयुक्त निरीक्षण, नदी की सीमाओं सहित सीमा के संयुक्त सीमांकन आदि पर केंद्रित हैं।
रक्षा सहयोग
इसके अंतर्गत उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान में भारत-बांग्लादेश कॉर्पेट ‘बंगोसागर’ अभ्यास, तट रक्षकों की क्षेत्रीय कमांडरों की बैठक और वार्षिक रक्षा संवाद शामिल हैं।
कनेक्टिविटी
रेल कनेक्टिविटी
- जन-केंद्रित भागीदारी और बेहतर कनेक्टिविटी के प्रयासों के परिणामस्वरूप भारत एवं बांग्लादेश के बीच वर्ष 1965 से पहले के 6 रेल संपर्कों का पुनरुद्धार हुआ है। नवंबर 2023 को भारत के अगरतला स्टेशन और बांग्लादेश के अखौरा के बीच 6वें सीमा-पार रेल संपर्क का उद्घाटन किया।
- यह रेल संपर्क भारत के उत्तर-पूर्व को वैकल्पिक मार्ग प्रदान करेगा।
- भारत एवं बांग्लादेश के बीच चालू किए गए अन्य पाँच रेल संपर्क हैं-
- हल्दीबाड़ी (भारत)-चिलाहाटी (बांग्लादेश) रेल संपर्क
- पेट्रापोल (भारत)-बेनापोल (बांग्लादेश)
- गेडे (भारत)-दर्शना (बांग्लादेश)
- सिंहाबाद (भारत)-रोहनपुर (बांग्लादेश)
- राधिकापुर (भारत)-बिरोल (बांग्लादेश)
- वर्तमान में दोनों देशों के बीच तीन रेलवे ट्रेनें संचालित हो रही हैं-
- मैत्री एक्सप्रेस (2008 से कोलकाता एवं ढाका को जोड़ती है)
- बंधन एक्सप्रेस (2017 से कोलकाता एवं खुलना को जोड़ती है)
- मिताली एक्सप्रेस (जून 2022 से न्यू जलपाईगुड़ी एवं ढाका के बीच)
सड़क एवं अंतर्देशीय जल संपर्क
- वर्तमान में भारत एवं बांग्लादेश के बीच कोलकाता, अगरतला व गुवाहाटी शहरों को ढाका और आगे खुलना तक जोड़ने वाली पाँच बस सेवा मार्ग संचालित हैं।
- भारत व बांग्लादेश के बीच अंतर्देशीय जलमार्ग व्यापार एवं पारगमन (PIWTT) प्रोटोकॉल वर्ष 1972 से ही संचालित है।
- इसका उद्देश्य अंतर्देशीय जलमार्गों के माध्यम से दोनों देशों के बीच व्यापार एवं पारगमन को सुविधाजनक बनाना है।
- PIWTT मार्गों के उपयोग के माध्यम से दोनों देशों के बीच क्रूज सेवाएँ भी संचालित की गई हैं। यह अंतर-देशीय व्यापार के लिए माल की आवाजाही के साथ-साथ भारत एवं बांग्लादेश की नदी प्रणालियों के माध्यम से बजरों/जहाजों पर पारगमन की अनुमति देता है।
बंदरगाह कनेक्टिविटी
दोनों देशों ने वर्ष 2023 में चटगाँव एवं मोंगला बंदरगाहों के उपयोग के लिए समझौते को लागू किया है। इससे भारत को पूर्वोत्तर और मुख्य भूमि भारत के बीच पारगमन कार्गो के लिए बांग्लादेश में इन बंदरगाहों की सेवाओं का लाभ उठाने की सुविधा मिलेगी, जिससे परिवहन लागत एवं समय लागत में कमी आएगी।
आर्थिक एवं वाणिज्यिक
- भारत, बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है और पिछले दशक में भारत-बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय व्यापार में लगातार वृद्धि हुई है।
- बांग्लादेश का निर्यात पिछले दशक की तुलना में तीन गुना बढ़कर वर्ष 2018-19 में 1 बिलियन डॉलर को पार कर गया है और वित्त वर्ष 2023-24 में बांग्लादेश ने भारत को 1.97 बिलियन अमरीकी डॉलर का सामान निर्यात किया।
- प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मार्च 2021 में भारत-बांग्लादेश स्टार्टअप ब्रिज का उद्घाटन किया। बांग्लादेश का पहला स्टार्टअप प्रतिनिधिमंडल मई 2023 में भारत आया।
शक्ति एवं ऊर्जा
- वर्तमान में बांग्लादेश भारत से 1160 मेगावाट बिजली आयात कर रहा है।
- बिजली पर संयुक्त कार्य समूह (JWG)/संयुक्त संचालन समिति (JSC) बिजली के सीमा पार व्यापार में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक संस्थागत ढांचा प्रदान करता है।
- बांग्लादेश ग्रिड को बिजली की आपूर्ति करने के लिए मैत्री सुपर थर्मल पावर प्लांट को चालू कर दिया गया है।
- मार्च 2023 में भारत से बांग्लादेश में हाई स्पीड डीजल की ढुलाई के लिए दोनों देशों के बीच भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन का उद्घाटन किया गया था।
- इसके अलावा, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड को वर्ष 2023 में G2G आपूर्तिकर्ता के रूप में भी पंजीकृत किया गया है और यह बांग्लादेश को POL (पेट्रोलियम, तेल एवं स्नेहक) उत्पादों की आपूर्ति कर रहा है।
विकास साझेदारी
अवसंरचना विकास
भारत ने पिछले 8 वर्षों में बांग्लादेश को विभिन्न क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए लगभग 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर के 3 ऋण (LOC) प्रदान किए हैं। भारत ने बांग्लादेश में छात्रावासों, शैक्षणिक भवनों, कौशल विकास व प्रशिक्षण संस्थानों, सांस्कृतिक केंद्रों एवं अनाथालयों आदि के निर्माण सहित 77 उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाएँ (HICDP) को वित्त पोषित किया है।
अनुदान
भारत सरकार बांग्लादेश को विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए अनुदान सहायता भी प्रदान कर रही है जिसमें अखौरा-अगरतला रेल लिंक का निर्माण, बांग्लादेश में अंतर्देशीय जलमार्गों की ड्रेजिंग और भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन का निर्माण शामिल है। भारत ने बांग्लादेशी छात्रों के लिए 1000 ‘सुबोर्नो जयंती छात्रवृत्ति की घोषणा की है।
प्रशिक्षण
भारत सरकार बांग्लादेश के सिविल सेवा अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों, न्यायिक अधिकारियों एवं न्यायाधीशों, पेशेवरों व अन्य को भारत के प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षित करती है।
सांस्कृतिक सहयोग
- ढाका में इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र और भारतीय सांस्कृतिक केंद्र दोनों देशों के बीच साझा सांस्कृतिक संबंधों की मजबूती में महत्वपूर्ण हैं।
- योग, कथक, मणिपुरी नृत्य, हिंदी भाषा, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और भारत व बांग्लादेश के प्रसिद्ध कलाकारों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों सहित इसके प्रशिक्षण कार्यक्रम व्यक्ति-से-व्यक्ति के बीच संपर्क को बढ़ावा देने में सहायक हैं।
- फरवरी 2024 में 100 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने भारत का दौरा किया और भारत के राष्ट्रपति से मुलाकात की।
- भारतीय उच्चायोग पिछले 51 वर्षों (अप्रैल 1973) से बंगाली साहित्यिक मासिक पत्रिका ‘भारत विचित्र’ को प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक दोनों संस्करणों में प्रकाशित कर रहा है।
- इस पत्रिका को बांग्लादेश में अत्यधिक सम्मान प्राप्त है और समाज के विभिन्न वर्गों में इसके बड़ी संख्या में पाठक हैं।
वीज़ा
भारतीय वीज़ा की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पूरे बांग्लादेश में 16 IVAC केंद्रों में सेवाओं को बढ़ाया गया है। चिकित्सा वीज़ा की मांग बांग्लादेश में सर्वाधिक है। भारत एक चिकित्सा रोगी के साथ तीन व्यक्तियों को चिकित्सा परिचर वीज़ा जारी करता है। बांग्लादेश में जारी किया जाने वाला भारतीय वीज़ा विश्व भर में भारत द्वारा किया जाने वाला सबसे बड़ा वीज़ा परिचालन हैं।
रोहिंग्या संकट व बहुपक्षीय सहयोग
भारत ने बांग्लादेश में शरणार्थी शिविरों के लिए राहत सहायता प्रदान करने के लिए ‘ऑपरेशन इंसानियत’ शुरू किया है। सस्थ ही, भारत एवं बांग्लादेश सार्क, बिम्सटेक आदि जैसे बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग कर रहे हैं।
भारत-बांग्लादेश संबंधों में चुनौतियाँ
अल्पसंख्यक संबंधी मुद्दे
वर्तमान में बांग्लादेश में हिंदुओं एवं अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा में वृद्धि हुई है, जिसमें हिंदू व बौद्ध मंदिरों, चर्च, घरों, व्यवसायों एवं व्यक्तियों पर हमले शामिल हैं। यह हिंसा प्रधानमंत्री शेख हसीना के पदच्युत होने के बाद राजनीतिक अस्थिरता एवं सार्वजनिक अशांति की पृष्ठभूमि में हुई है।
धार्मिक असहिष्णुता पर भारत की चिंता
भारत ने बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। बांग्लादेश में बड़ी हिंदू आबादी और दोनों देशों के मध्य सांस्कृतिक एवं पारिवारिक संबंधों को देखते हुए हिंदुओं पर हमलों को कूटनीतिक तनाव का एक महत्वपूर्ण बिंदु माना जाता है।
सीमा विवाद
साझा सीमा के सीमांकन, विशेष रूप से असम एवं त्रिपुरा के क्षेत्रों में, पर लंबे समय से विवाद रहा है। 6.5 किलोमीटर की कोमिला-त्रिपुरा स्थलीय सीमा का सीमांकन नहीं किया गया है, जिससे सीमा विवाद अनसुलझा रह गया है।
अवैध आप्रवासन
देश की अशांति के परिणामस्वरूप बांग्लादेशी सीमा के पार से प्रवासियों के आगमन ने दोनों देशों के बीच संबंधों को अधिक तनावपूर्ण बना दिया है। बांग्लादेश की सीमा से लगे भारतीय राज्यों के निवासियों को प्रवासियों की अत्यधिक आमद के परिणामस्वरूप पर्याप्त सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
आर्थिक चुनौतियाँ
दोनों देशों के मध्य गैर-टैरिफ बाधाओं ने व्यापार में बाधा उत्पन्न की है। इन बाधाओं में लंबी सीमा शुल्क प्रक्रियाएं, नौकरशाही व लालफीताशाही शामिल हैं।
सुरक्षा चुनौतियाँ
बांग्लादेश में जमात-उल मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) जैसे विद्रोही समूहों की उपस्थिति आतंकवाद के बारे में चिंता उत्पन्न करती है। यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA), नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड और नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा भी बांग्लादेश में कैंप चलाते हैं।
तीस्ता नदी विवाद
- तीस्ता नदी के जल प्रवाह को न्यूनतम रखने के लिए वर्ष 2011 में एक समझौता हुआ था जिसके तहत भारत को 42.5% पानी, बांग्लादेश को 37.5% पानी और शेष 20% पानी के प्रवाह की पूरी छूट दी गई थी। कुछ मतभेदों के कारण यह समझौता अभी तक लागू नहीं हो पाया है। इसके अलावा ब्रह्मपुत्र एवं गंगा नदी के जल वितरण को लेकर भी विवाद है।
- फरक्का बैराज विवाद : गंगा से हुगली नदी में पानी का मोड़ बांग्लादेश द्वारा अतीत में कई बार उठाई गई चिंता का एक प्रमुख स्रोत है।
चीन कारक
बुनियादी ढांचे के विकास, ऊर्जा और दूरसंचार के क्षेत्रों सहित अन्य क्षेत्रों में चीन द्वारा बांग्लादेश में निवेश में वृद्धि की जा रही है। उदाहरण के लिए, बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) एवं चटगांव बंदरगाह में निवेश।
पाकिस्तान कारक
- हालिया मुलाकात के दौरान पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और बांग्लादेश सरकार के मुख्य कर्ता-धर्ता मोहम्मद यूनुस ने वर्ष 1971 के मुद्दों को सुलझाने की बात कही है।
- इसके अलावा, बांग्लादेश की सेना को पाक सेना के जरिए ट्रेनिंग दिलाने की प्रक्रिया शुरू करना और जांच पड़ताल के बिना पाकिस्तानी पोत व पाक नागरिकों को प्रवेश दिया जाना, पाक- बांग्लादेश की तीव्र गति से बढ़ती नजदीकी को रेखांकित करता है।
आगे की राह
- राजनीतिक तनाव को संबोधित करना : भारत को बांग्लादेश में चुनावी प्रक्रिया और लोकतांत्रिक परिवर्तन का सक्रिय रूप से समर्थन करना चाहिए। साथ ही स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों के साथ बातचीत जारी रखना चाहिए।
- ट्रैक 2 कूटनीति : नागरिक समाज, शिक्षाविदों, व्यापारिक नेताओं एवं गैर-सरकारी संगठनों को शामिल करते हुए ट्रैक 2 कूटनीति को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।
- बेहतर कनेक्टिविटी : भारत को बांग्लादेश में रेल एवं बस सेवा नेटवर्क का विस्तार जारी रखना चाहिए। इससे भारत के पूर्वोत्तर के प्रमुख शहरों को बांग्लादेश से जोड़ने से व्यापार, पर्यटन व लोगों के बीच आदान-प्रदान के नए अवसर सृजित होंगे।
- क्षेत्रीय एकीकरण : भारत एवं बांग्लादेश को BBIN उप-क्षेत्र (बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल) के भीतर क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसमें अंतर-क्षेत्रीय व्यापार में सुधार, बाधाओं को दूर करना और वस्तुओं एवं सेवाओं के प्रवाह को बढ़ाना शामिल है।
- विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) में निवेश : बांग्लादेश में विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) पर सहयोग को बढ़ाया जाना चाहिए। ये क्षेत्र औद्योगीकरण, रोजगार सृजन एवं सीमा पार व्यापार को बढ़ावा दे सकते हैं।
- ऊर्जा आपूर्ति के मुद्दों का समाधान : बिजली आयात के लिए बांग्लादेश की भारत पर निर्भरता और भुगतान में देरी के संदर्भ में समाधान की आवश्यकता है।
- दोनों देशों को ऊर्जा सुरक्षा साझेदारी पर विचार करना चाहिए जिसमें रणनीतिक भंडार, सीमा पार बिजली व्यापार एवं बुनियादी ढांचे का विकास शामिल हो।
- नवीकरणीय ऊर्जा सहयोग : नवीकरणीय ऊर्जा में भारत के नेतृत्व को देखते हुए इस क्षेत्र में सहयोग की अपार संभावनाएँ हैं।
- भारत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, निवेश एवं ज्ञान साझाकरण के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने में बांग्लादेश की सहायता कर सकता है।
- अल्पसंख्यक अधिकार एवं धार्मिक तनाव : दोनों देशों को बांग्लादेश में धार्मिक हिंसा एवं अल्पसंख्यकों से संबंधित चिंताओं का समाधान करना चाहिए।
- मानवाधिकारों पर निरंतर संवाद, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और कूटनीतिक मामलों (जैसे- हिंदू भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी) को सुलझाना दोनों सरकारों की प्राथमिकता होनी चाहिए।
- सांस्कृतिक कूटनीति : दोनों देशों को अपने लोगों के बीच सद्भावना एवं समझ का निर्माण करने के लिए छात्र विनिमय, सहयोगी कला एवं पर्यटन पहल जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से साझा इतिहास व सांस्कृतिक संबंधों को बेहतर संबंधों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
लंबित मुद्दों का समाधान
तीस्ता जल बंटवारा समझौता और सीमा प्रबंधन एवं सुरक्षा जैसे विवाद को सुलझाना एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
भू-राजनीतिक रणनीति और क्षेत्रीय सहयोग
- हिंद-प्रशांत में सहयोग : चूंकि दोनों देश रणनीतिक रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थित हैं, इसलिए उन्हें चीन द्वारा उत्पन्न भू-राजनीतिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए अधिक सहयोगात्मक ढांचे में शामिल होना चाहिए।
- इसमें सुरक्षा सहयोग, संयुक्त रक्षा पहल एवं आसियान व बिम्सटेक क्षेत्रीय सुरक्षा में योगदान करना शामिल हो सकता है।
- एक्ट ईस्ट नीति एवं क्षेत्रीय एकीकरण : बुनियादी ढांचे एवं व्यापार में बांग्लादेश के साथ सहयोग के माध्यम से भारत की एक्ट ईस्ट नीति को मजबूत करना यह सुनिश्चित करेगा कि दोनों देश इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी बने रहें।
- यह म्यांमार, थाईलैंड एवं आसियान देशों जैसे अन्य क्षेत्रीय भागीदारों के साथ अधिक मजबूत संबंध बनाने में भी योगदान दे सकता है।
निष्कर्ष
- भारत-बांग्लादेश संबंधों में वर्तमान अवधि एक निर्णायक क्षण का प्रतिनिधित्व करती है। इनके संबंधों का भविष्य व्यावहारिक, सहयोगी कूटनीति पर निर्भर करेगा जो पारस्परिक लाभ एवं सामान्य लक्ष्यों को प्राथमिकता देता है।
- दोनों देशों को राजनीतिक तनावों को दूर करने, आर्थिक संबंधों को मजबूत करने और क्षेत्रीय एकीकरण में संलग्न होने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। यह सहयोग न केवल उनकी द्विपक्षीय समृद्धि के लिए बल्कि दक्षिण एशिया में व्यापक क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है।