(प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय राजव्यवस्था) |
चर्चा में क्यों
भारतीय वायुयान विधेयक 2024 के बारे में
- भारत में विमानन नियमों में सुधार करने तथा ब्रिटिश कालीन वायुयान अधिनियम, 1934 को प्रतिस्थापित करने के लिए भारतीय वायुयान विधेयक 2024 को लोकसभा में पेश किया गया ।
- हालांकि विपक्ष ने इसका हिंदी नाम रखने पर संविधान के अनुच्छेद 348(1)(ख), अनुच्छेद 120 और अनुच्छेद 340 के आधार पर आपत्ति जताई।
उद्देश्य
इस विल का उद्देश्य विमानन क्षेत्र में सुरक्षा, निगरानी बढ़ाने, विकासात्मक जरूरतों को पूरा करने और अंतर्राष्ट्रीय समझौतों के प्रावधानों को प्रभावी बनाने के लिए केंद्र सरकार को आवश्यक शक्तियाँ प्रदान करना है।
बिल के प्रमुख प्रावधान
- नए बिल में सरकार ने विमान की परिभाषा बदल दी है, जिसमें गुब्बारे और ग्लाइडर को हटा दिया गया है।
- विमान (aircraft) का अर्थ है ऐसी कोई भी 'मशीन' जो वातावरण में वायु की प्रतिक्रियाओं से समर्थन प्राप्त कर सकती है, (पृथ्वी की सतह के विरुद्ध वायु की प्रतिक्रियाओं को छोड़कर, जैसे; गुब्बारे एवं ग्लाइडर)।
- नए बिल ने विमानन तंत्र की सुरक्षा के लिए DGCA, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) और विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) के अधिकार में वृद्धि की है।
- बिल के तहत विमान में रेडियो संचार उपकरण के उपयोग पर आयोजित परीक्षा को नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के दायरे में लाने का प्रस्ताव किया है।
- सरकार ने एक रिपील क्लॉज भी पेश किया है।
- रिपील क्लॉज यह सुनिश्चित करेगा कि पिछले सभी रूल्स एंड रेग्युलेशंस (विमान नियम 1937 सहित) जो लागू किए गए थे, नए बिल के तहत जारी किए गए नियमों के अनुसार चलते रहेंगे, बशर्ते वह नए अधिनियम के साथ विरोधाभास न उत्पन्न करते हों।
- इंटरनेशनल सिविल एविएशन और सिविल एविएशन सिक्योरिटी से जुड़े अन्य मामलों से संबंधित कन्वेंशन को लागू करने के लिए नियम बनाने हेतु केंद्र सरकार को शक्तियाँ प्रदान की गई हैं।
- जैसे; शिकागो कन्वेंशन (1944); अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार सम्मेलन (1932 मेड्रिड, 2022 में नवीनतम संशोधित)
नए कानून की आवश्यकता क्यों
- 90 सालों की अवधि में विमान अधिनियम 1934 में अभी तक 21 बार संशोधन किया गया है।
- इन संशोधनों के चलते हितधारकों के लिए उत्पन्न हुए भ्रमों और अस्पष्टताओं को दूर करने, अनावश्यक चीजों को हटाने और विमानन क्षेत्र में विनिर्माण व देखभाल में आसानी एवं ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए इस नए बिल को पेश करने की जरूरत महसूस की गई है।