(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास व प्रबंधन से संबंधित विषय) |
संदर्भ
वर्तमान नीतियों में पेयजल तक सार्वभौमिक पहुँच को प्राथमिकता दी जा रही हैं। हालाँकि, संदिग्ध रूप से पाइप वाले दूषित जल के सेवन से कुछ लोगों की मौत के मामले सामने आए हैं। इससे स्पष्ट है कि कवरेज के साथ-साथ व्यवस्था एवं स्वच्छता को बनाए रखना आवश्यक है।
प्रदूषित पेयजल की बढ़ती समस्या
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में दुनिया भर में संभावित रूप से कम-से-कम 1.7 बिलियन लोग मल से दूषित पेयजल स्रोत का उपयोग करते थे।
- स्वच्छता एवं हाथ की स्वच्छता में कमी और असुरक्षित पेयजल के कारण होने वाले दस्त से दुनिया भर में अनुमानत: प्रतिवर्ष दस लाख लोगों की मौत हो जाती है।
- वर्ष 2010 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने स्पष्ट रूप से जल एवं स्वच्छता के मानव अधिकार को मान्यता दी थी।
- इस दिशा में भूजल के रासायनिक प्रदूषण के मुद्दे को संबोधित करना भी अपरिहार्य है।
भारत की स्थिति
- भारत जैसे उष्णकटिबंधीय देश में सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना सरकारों के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य है।
- जल शक्ति मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 25 राज्यों के 230 जिलों के कुछ हिस्सों में भूजल में आर्सेनिक और 27 राज्यों के 469 जिलों में फ्लोराइड पाया गया है।
- लंबे समय से पाइप से जलापूर्ति करने वाले शहरी केंद्रों में भी खतरनाक संदूषण से मुक्त पेयजल की गारंटी नहीं है।
- यह चिंताजनक है कि भारत के शहरों में पानी का गंभीर संदूषण नियमित अंतराल के साथ जारी है।
- पिछले छह महीनों में बेंगलुरु, कोच्चि, नोएडा एवं विजयनगरम जैसे शहरों में ई. कोली युक्त पानी के सेवन के कारण बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य संबंधी मामले सामने आए हैं।
- पेयजल संदूषण के कारण तेजी से शहर की ओर पलायन कर रहे लोगों की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने की चुनौती सामने आती है जिससे पानी एवं जल निकासी के बुनियादी ढाँचे पर दबाव पड़ रहा है।
स्वच्छ पेयजल के लिए भारत सरकार के प्रयास
- जल राज्य सूची का विषय है, इसलिए ग्रामीण पेयजल आपूर्ति सहित जल संसाधनों के संवर्द्धन, संरक्षण एवं कुशल प्रबंधन के लिए मुख्यत: संबंधित राज्य सरकारों द्वारा कार्य किए जाते हैं।
- जल संसाधन परियोजनाओं की योजना, वित्त पोषण, क्रियान्वयन एवं रखरखाव राज्य सरकारों द्वारा स्वयं अपने संसाधनों व प्राथमिकता के अनुसार किया जाता है।
- हालांकि, उनके प्रयासों को पूरक बनाने के लिए भारत सरकार विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों के माध्यम से सतत विकास व जल संसाधनों के कुशल प्रबंधन को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकारों को तकनीकी तथा वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
जलजीवन मिशन
- ग्रामीण जलापूर्ति के लिए राज्यों के प्रयासों को पूरक बनाने के लिए केंद्र प्रायोजित योजना जल जीवन मिशन (JJM) को राज्यों के साथ साझेदारी में अगस्त 2019 से लागू है।
- इसका उद्देश्य वर्ष 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को पीने योग्य नल का पानी उपलब्ध कराना है।
जल शक्ति अभियान
- इसे वर्ष 2019 में देश के 256 जल संकटग्रस्त जिलों के 2836 ब्लॉकों में से 1592 ब्लॉकों में शुरू किया गया था।
- इसका उद्देश्य पाँच लक्ष्य हस्तक्षेपों के त्वरित कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित करके जल संरक्षण एवं जल संसाधन प्रबंधन को बढ़ावा देना था। इन पाँच लक्ष्य हस्तक्षेपों में शामिल हैं :
- जल संरक्षण एवं वर्षा जल संचयन
- पारंपरिक और अन्य जल निकायों/टैंकों का जीर्णोद्धार
- बोरवेलों का पुनः उपयोग एवं पुनर्भरण
- वाटरशेड विकास
- गहन वनीकरण
जल शक्ति अभियान : कैच द रेन अभियान
- जल शक्ति अभियान : कैच द रेन अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी ने 22 मार्च, 2021 को विश्व जल दिवस के अवसर पर की थी।
- इस अभियान में पाँच केंद्रित हस्तक्षेप थे-
- वर्षा जल संचयन एवं जल संरक्षण
- सभी जल निकायों की गणना, जियो-टैगिंग एवं सूची बनाना तथा जल संरक्षण के लिए वैज्ञानिक योजनाएँ तैयार करना
- सभी जिलों में जल शक्ति केंद्र स्थापित करना
- गहन वनरोपण
- जागरूकता प्रसार
नेहरू युवा केंद्र संगठन (NYKS) की भागीदारी
- राष्ट्रीय जल मिशन ने नेहरू युवा केंद्र संगठन (NYKS) और उसके युवा क्लबों के विशाल नेटवर्क का उपयोग करके कैच द रेन अभियान के अंतर्गत 623 जिलों के 31,150 गांवों को कवर करने के लिए युवा कार्य विभाग के साथ समझौता किया है।
- NYKS ने रैलियों, जल चौपालों, प्रश्नोत्तरी, वाद-विवाद, नारा लेखन प्रतियोगिताओं, दीवार लेखन आदि जैसी अपनी कई गतिविधियों के माध्यम से अभियान में 23.86 लाख गतिविधियों में 2.90 करोड़ से अधिक लोगों को शामिल किया है।
- जल प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर लोगों को जागरूक करने के लिए नेहरू युवा केंद्र संगठन (NYKS) को शामिल करके देश के युवाओं की शक्ति का उचित दोहन किया गया है।
जल उपयोग दक्षता ब्यूरो की स्थापना
- जल उपयोग दक्षता ब्यूरो (BWUE) की स्थापना जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत सिंचाई, औद्योगिक व घरेलू क्षेत्र में जल के कुशल उपयोग को बढ़ावा देने, विनियमन तथा नियंत्रण के लिए की गई है।
- यह ब्यूरो देश में सिंचाई, पेयजल आपूर्ति, विद्युत उत्पादन, उद्योग आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में जल उपयोग दक्षता में सुधार को बढ़ावा देने के लिए एक सुविधाकर्ता की भूमिका निभाता है।
अटल भूजल योजना
- भारत सरकार 7 राज्यों अर्थात् गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश के चुनिंदा जल संकटग्रस्त क्षेत्रों में अटल भूजल योजना को लागू कर रही है।
- इसका उद्देश्य समुदाय द्वारा संचालित सतत भूजल प्रबंधन है। इस योजना की कुल लागत 6000 करोड़ रुपए है और कार्यान्वयन अवधि वर्ष 2020-2025 है।
- इस योजना के तहत समुदायों को संगठित किया जा रहा है और उन्हें प्रशिक्षण एवं जागरूकता गतिविधियों के माध्यम से अपने क्षेत्र में भूजल की स्थिति के बारे में जागरूक किया जा रहा है।
- इसके तहत जल बजट एवं जल सुरक्षा योजनाएँ (WSP) तैयार की जा रही हैं। इन योजनाओं में शामिल हैं :
- आपूर्ति पक्ष हस्तक्षेप : चेक डैम, खेत तालाब, विभिन्न कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाएँ आदि का निर्माण
- माँग पक्ष हस्तक्षेप : सूक्ष्म सिंचाई, सिंचाई के लिए पाइप, फसल विविधीकरण आदि का उपयोग
- प्रस्तावित हस्तक्षेपों को संबंधित विभागों द्वारा विभिन्न केंद्रीय/राज्य योजनाओं के अभिसरण के माध्यम से क्षेत्र में लागू किया जा रहा है।
- यह योजना पीने के साथ-साथ कृषि उद्देश्यों के लिए जल के स्रोत की स्थिरता का लक्ष्य रखते हुए जल जीवन मिशन की पूरक के रूप में कार्य करती है।
पंजाब के सरहिंद फीडर और राजस्थान फीडर की रीलाइनिंग
- भारत सरकार ने वर्ष 2016 के दौरान पंजाब और राजस्थान राज्यों के लिए सरहिंद फीडर एवं राजस्थान फीडर की रीलाइनिंग/पुनरुद्धार को मंजूरी दी थी ताकि सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में रिसाव व जल-जमाव की समस्याओं का समाधान किया जा सके।
- सिंचाई के अलावा सरहिंद एवं राजस्थान फीडर पंजाब व राजस्थान राज्यों के कुछ क्षेत्रों को पेयजल भी उपलब्ध कराता है। राजस्थान फीडर विशेष रूप से इंदिरा गांधी नहर परियोजना को पानी उपलब्ध कराने के लिए है।
जल निकायों की मरम्मत, जीर्णोद्धार एवं पुनरुद्धार
- इस योजना में जल निकायों की गाद निकालने, टैंक कमांड के जलग्रहण क्षेत्रों में सुधार, जल निकायों की भंडारण क्षमता में वृद्धि, भूजल पुनर्भरण, कृषि, बागवानी उत्पादकता में सुधार, पर्यटन, सांस्कृतिक गतिविधियों का विकास और पेयजल की उपलब्धता में वृद्धि सहित चयनित टैंक प्रणालियों में व्यापक सुधार की परिकल्पना की गई है।
- वर्तमान में यह योजना प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के हर खेत को पानी घटक का हिस्सा है।