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भारतीय डेरिवेटिव्स मार्केट (Indian Derivatives Market)

डेरिवेटिव्स क्या हैं?

  • डेरिवेटिव्स वे वित्तीय अनुबंध (financial contracts) होते हैं जिनका मूल्य किसी आधारभूत परिसंपत्ति (underlying asset) जैसे – शेयर, कमोडिटी, मुद्रा, या ब्याज दर पर आधारित होता है।

डेरिवेटिव्स का उद्देश्य

  • हेजिंग (Hedging): निवेशों में संभावित हानियों से सुरक्षा प्राप्त करना।
  • Speculation: बाज़ार में उतार-चढ़ाव से मुनाफा कमाने की कोशिश।
  • आर्बिट्राज (Arbitrage): विभिन्न बाजारों में मूल्य अंतर का लाभ उठाना।

डेरिवेटिव अनुबंधों के प्रकार

फ्यूचर्स अनुबंध (Futures Contracts)

  • परिभाषा: पूर्व निर्धारित मूल्य पर किसी परिसंपत्ति को भविष्य की तारीख में खरीदने या बेचने का मानकीकृत अनुबंध।
  • व्यापार स्थान: एनएसई, बीएसई जैसे एक्सचेंज।
  • उदाहरण: निफ्टी 50 फ्यूचर्स।

ऑप्शंस अनुबंध (Options Contracts)

  • परिभाषा: ऐसे अनुबंध जो किसी परिसंपत्ति को निर्धारित मूल्य पर एक नियत तिथि से पहले खरीदने (कॉल ऑप्शन) या बेचने (पुट ऑप्शन) का अधिकार प्रदान करते हैं, परंतु बाध्यता नहीं होती।
  • उदाहरण: रिलायंस या इंफोसिस के स्टॉक ऑप्शंस।

फॉरवर्ड अनुबंध (Forwards Contracts)

  • परिभाषा: दो पक्षों के बीच अनुकूलित (customized) समझौते, जिसमें एक परिसंपत्ति को भविष्य में पूर्व निर्धारित मूल्य पर खरीदा या बेचा जाता है।
  • व्यापार स्थान: ओवर-द-काउंटर (OTC)।
  • उदाहरण: विदेशी मुद्रा में फॉरवर्ड अनुबंध।

स्वैप अनुबंध (Swaps Contracts)

  • परिभाषा: ऐसे अनुबंध जिनमें दो पक्ष नकद प्रवाह या अन्य वित्तीय साधनों की अदला-बदली करते हैं।
  • प्रकार:
    • ब्याज दर स्वैप (Interest Rate Swaps)
    • मुद्रा स्वैप (Currency Swaps)
  • व्यापार स्थान: मुख्यतः OTC. 

भारत में विनियामक ढांचा (Regulatory Framework)

  • Securities Contracts (Regulation) Act, 1956: प्रतिभूतियों के व्यापार को नियंत्रित करता है।
  • SEBI Act, 1992: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की स्थापना करता है।
  • वस्तु डेरिवेटिव विनियमन:
    • Finance Act, 2015: कमोडिटी डेरिवेटिव विनियमन को SEBI के अधीन लाया गया।
    • CDMRD: कमोडिटी डेरिवेटिव्स बाजार की निगरानी करता है, जैसे MCX, NCDEX।

प्रमुख एक्सचेंज एवं बाजार अवसंरचना

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE)

  • स्थापना: 1992 | संचालन आरंभ: 1994
  • स्थिति: अनुबंधों की संख्या के आधार पर विश्व का सबसे बड़ा डेरिवेटिव एक्सचेंज।
  • उत्पाद: इक्विटी, मुद्रा, कमोडिटी डेरिवेटिव्स।
  • प्रसिद्ध सूचकांक: निफ्टी 50, निफ्टी बैंक, निफ्टी आईटी।

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE)

  • स्थापना: 1875 | डेरिवेटिव्स आरंभ: 2000
  • उत्पाद: इक्विटी व मुद्रा डेरिवेटिव्स
  • नवीन पहल: एक्सपायरी शेड्यूल में बदलाव का प्रस्ताव।
  • बीएसई का पूरा नाम बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज है।
  • यह भारत के साथ-साथ एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है।
  • बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना 1875 में प्रेमचंद रॉयचंद ने की थी और वर्तमान में इसका नेतृत्व श्री सुंदररामन राममूर्ति (प्रबंध निदेशक और सीईओ) कर रहे हैं।

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX)

  • स्थापना: 2003
  • उत्पाद: धातु, ऊर्जा, कृषि उत्पादों में कमोडिटी डेरिवेटिव्स
  • स्थिति: भारत का सबसे बड़ा कमोडिटी डेरिवेटिव्स एक्सचेंज।

बाजार प्रतिभागी (Market Participants)

  • हेजर्स (Hedgers): जोखिम को कम करने के लिए निवेश करते हैं।
  • स्पेक्युलेटर्स (Speculators): मूल्य परिवर्तन से लाभ कमाने का प्रयास करते हैं।
  • आर्बिट्राजर्स (Arbitrageurs): अलग-अलग बाजारों के मूल्य अंतर का लाभ उठाते हैं।
  • रिटेल निवेशक (Retail Investors): व्यक्तिगत निवेशक जो सक्रिय रूप से डेरिवेटिव्स में व्यापार करते हैं।

हालिया विकास और चुनौतियाँ

  • रिटेल भागीदारी: कुल वॉल्यूम का 30% से अधिक रिटेल निवेशकों द्वारा।
  • नियामकीय उपाय:
    • मार्जिन आवश्यकताओं में वृद्धि
    • एक्सपायरी दिन के मानकीकरण (मंगलवार, गुरुवार) का प्रस्ताव
  • बाजार जोखिम:
    • उच्च उत्तोलन (High Leverage) से हानि की संभावना
    • 'पंप एंड डंप' जैसी बाजार हेराफेरी की घटनाएँ

डेरिवेटिव्स का महत्व

लाभ

विवरण

जोखिम प्रबंधन

हेजिंग के माध्यम से हानि की संभावना को सीमित करता है।

मूल्य खोज (Price Discovery)

भविष्य में परिसंपत्ति की कीमत का अनुमान लगाने में सहायक।

तरलता (Liquidity)

अधिक व्यापार विकल्प और भागीदारी से बाजार में तरलता बढ़ती है।

विकसित पूंजी बाजार

देश के वित्तीय प्रणाली को गहराई और स्थिरता प्रदान करता है।

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