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भारतीय आदिम जनजाति सेवा संगठन

चर्चा में क्यों

हाल ही में नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (National Tribal Research Institute : NTRI) ने भारतीय आदिम जनजाति सेवा संगठन (बी.ए.जे.एस.एस.) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है।

प्रमुख बिंदु

  • यह समझौता जनजातियों पर दुर्लभ पुस्तकों को संरक्षित, सुरक्षित और उनका डिजिटलीकरण करने तथा जनजातीय संग्रहालयों का पुनर्निर्माण और उनके डिजिटलीकरण को बढ़ावा देगा।
  • इस समझौते के तहत दुर्लभ पुस्तकों के भंडार के रूप में डिजिटल पुस्तकालय की स्थापना तथा एन.टी.आर.आई. में एक स्रोत केंद्र की स्थापना की जाएगी।

बी.ए.जे.एस.एस.

  • स्थापना
    • अमृतलाल विट्ठलदास ठक्कर, जिन्हें ‘ठक्कर बापा’ के नाम से जाना जाता है, ने 24 अक्तूबर, 1948 को दिल्ली में इस संगठन की स्थापना की थी। वे एक प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता और महात्मा गांधी के करीबी माने जाते थे।
    • स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद संस्थापक सदस्य व प्रथम अध्यक्ष बने।
    • दृष्टिकोण
      • यह संगठन घुमंतू और गैर-अधिसूचित जनजातियों के सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये प्रतिबद्ध है।
      • इसके अलावा, यह आदिवासी समुदायों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिये प्रतिबद्ध है, ताकि वे समान नागरिक के रूप में देश के विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकें।
    • उद्देश्य
      • शिक्षा, बाल-देखभाल, सामाजिक बुराइयों के उन्मूलन और महिला सशक्तीकरण जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में बहु-आयामी मानवीय सेवाओं का विकास करना।
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