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भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS - Bharatiya Antariksh Station)

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) वर्ष 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) विकसित करने की योजना बना रहा है।
  • यह भारत का पहला स्थायी कक्षीय अनुसंधान स्टेशन (Permanent Orbital Research Station) होगा, जो पृथ्वी से 400-450 किमी की ऊँचाई पर परिक्रमा करेगा।
  • यह विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों (Scientific Experiments), दीर्घकालिक अंतरिक्ष यात्रा (Long-term Space Travel) और भविष्य के चंद्र (Lunar) एवं मंगल (Mars) मिशन के लिए महत्वपूर्ण होगा।

BAS के प्रमुख घटक और संरचना

  • मॉड्यूल (Modules) की संख्या – 5
  • निर्माण प्रक्रिया (Construction Process) – चरणों (Phases) में किया जाएगा
  • प्रारंभिक प्रक्षेपण (Initial Launch) – पहला बेस मॉड्यूल 2028 में लॉन्च किया जाएगा
  • पूर्ण संचालन के लिए समयसीमा (Timeline for Full Operation)2035 तक पूरी तरह कार्यशील होगा
  • ऊर्जा स्रोत (Energy Source)सौर ऊर्जा (Solar Energy) से संचालित होगा
  • लॉन्च वाहन (Launch Vehicle)GSLV Mk III और भविष्य में भारत द्वारा विकसित नए हेवी लॉन्च वाहन (Heavy Launch Vehicles) का उपयोग किया जाएगा।

BAS का वैज्ञानिक महत्व (Scientific Significance of BAS)

अंतरिक्ष यात्रियों के लिए परीक्षण स्थल (Testing Ground for Astronauts)

  • दीर्घकालिक अंतरिक्ष मिशनों (Long-term Space Missions) में अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित और स्वस्थ रखने की रणनीतियों का अध्ययन।
  • अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के प्रभावों (Effects on the Body) का विश्लेषण, जैसे मांसपेशियों (Muscles) और हड्डियों (Bones) पर प्रभाव।

पृथ्वी अवलोकन और जलवायु अनुसंधान (Earth Observation and Climate Research)

  • अधिक उच्च स्थानिक विभेदन (Higher Spatial Resolution) के साथ पृथ्वी अवलोकन, जिससे पर्यावरणीय परिवर्तनों (Environmental Changes) और आपदाओं (Disasters) का बेहतर अध्ययन संभव होगा।
  • जलवायु परिवर्तन (Climate Change) और मौसम पूर्वानुमान (Weather Forecasting) में सुधार।

सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण अनुसंधान (Microgravity Research)

  • जैवचिकित्सा प्रयोग (Biomedical Experiments) – अंतरिक्ष में मानव शरीर की मांसपेशियों (Muscles) और हड्डियों (Bones) पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन।
  • नए पदार्थों का विकास (Development of New Materials) – सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (Microgravity) में उन्नत सामग्री (Advanced Materials) और फार्मास्युटिकल (Pharmaceutical) अनुसंधान
  • वनस्पति विज्ञान (Botany) – अंतरिक्ष में पौधों की वृद्धि (Plant Growth) और खेती (Cultivation) की संभावनाओं पर अनुसंधान।

अन्य अंतरिक्ष स्टेशन की तुलना में BAS (Comparison of Other Space Stations with BAS)

अंतरिक्ष स्टेशन (Space Station)

देश/एजेंसी (Country/Agency)

प्रक्षेपण वर्ष (Launch Year)

स्थिति (Status)

सल्युत 1 (Salyut 1)

सोवियत संघ (Soviet Union)

1971

डिकमीशंड (Decommissioned)

स्काईलैब (Skylab)

NASA (USA)

1973

डिकमीशंड (Decommissioned)

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS)

NASA, रोसकॉसमॉस (Roscosmos), ESA, JAXA, CSA

1998

सक्रिय (Operational)

तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन (Tiangong Space Station)

चीन (China)

2021

सक्रिय (Operational)

गेटवे स्पेस स्टेशन (Gateway Space Station)

NASA (आर्टेमिस प्रोग्राम - Artemis Program)

आगामी (Upcoming)

योजना चरण (Planned)

एक्सियम स्पेस स्टेशन (Axiom Space Station)

एक्सियम स्पेस (निजी कंपनी - Private)

आगामी (Upcoming)

व्यावसायिक (Commercial)

भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksh Station - BAS)

इसरो (ISRO, India)

2028 (पहला मॉड्यूल - First Module)

योजना चरण (Planned) (2035 तक पूर्ण संचालन - Full Operation by 2035)

BAS की अन्य अंतरिक्ष स्टेशनों की तुलना में प्रमुख विशेषताएँ (Key Highlights of BAS Compared to Other Stations)

  • पूर्ण रूप से स्वदेशी (Fully Indigenous)
    • ISS अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का संयुक्त प्रयास है, जबकि BAS पूरी तरह से इसरो (ISRO) द्वारा विकसित और संचालित किया जाएगा।
  • रणनीतिक स्वतंत्रता (Strategic Independence)
    • भारत की दीर्घकालिक अंतरिक्ष अनुसंधान (Long-term Space Research) में आत्मनिर्भरता होगी, जिससे ISS पर निर्भरता समाप्त होगी।
  • वैज्ञानिक अनुसंधान पर केंद्रित (Scientific Focus)
    • ISS में वैश्विक सहयोग के अनुसंधान होते हैं, जबकि BAS मुख्य रूप से भारत के वैज्ञानिक और अन्वेषण मिशनों (Exploratory Missions) पर केंद्रित रहेगा।
  • चंद्रमा और मंगल मिशनों में संभावित सहायता (Potential Lunar & Mars Exploration Support)
    • ISS की तुलना में BAS, इसरो के गहरे अंतरिक्ष मिशनों (Deep-Space Missions) के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र (Transition Hub) बन सकता है।

BAS की चुनौतियाँ और भविष्य की योजनाएँ (Challenges and Future Plans of BAS)

चुनौतियाँ (Challenges)

  • उन्नत जीवन समर्थन प्रणाली (Advanced Life Support System)
    • दीर्घकालिक अंतरिक्ष निवास (Long-term Space Habitation) के लिए कुशल प्रणालियाँ विकसित करना।
  • भारी पेलोड क्षमता (Heavy Payload Capacity)
    • बड़े अंतरिक्ष स्टेशन मॉड्यूल (Large Station Modules) ले जाने के लिए अधिक शक्तिशाली रॉकेट विकसित करना आवश्यक।
  • अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा (Astronaut Safety)
    • लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने से होने वाले रेडिएशन एक्सपोजर (Radiation Exposure) और शारीरिक प्रभावों (Physiological Impacts) का अध्ययन करना।
  • वित्तीय और तकनीकी संसाधन (Financial & Technological Resources)
    • उन्नत तकनीक (Advanced Technology) और उच्च लागत (High Costs) को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना।

भविष्य की योजनाएँ (Future Plans)

  • 2028 तक मानव रहित मॉड्यूल (Unmanned Module by 2028)
    • पहला मानव रहित (Unmanned) मॉड्यूल लॉन्च किया जाएगा, जिसके बाद मानव मिशन (Human Missions) की योजना बनेगी।
  • 2035 तक पूर्ण संचालन (Fully Operational by 2035)
    • पूर्ण अंतरिक्ष स्टेशन (Complete Space Station) तैयार कर, सतत वैज्ञानिक अनुसंधान (Continuous Research) संचालित किया जाएगा।
  • चंद्र और मंगल मिशनों का ट्रांजिट हब (Transit Hub for Lunar & Mars Missions)
    • यह गहरे अंतरिक्ष अन्वेषण (Deep-Space Exploration) के लिए संक्रमण केंद्र (Stepping Stone) की भूमिका निभाएगा।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग और व्यावसायिक उपयोग (International Collaboration & Commercial Use)
    • वैश्विक एजेंसियों (Global Agencies) और निजी कंपनियों (Private Enterprises) के साथ साझेदारी की संभावनाएँ।
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