प्रारंभिक परीक्षा
(समसामयिक घटनाक्रम, अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
मुख्य परीक्षा
(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)
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संदर्भ
प्रधामंत्री मोदी ने 17-18 नवंबर, 2024 के मध्य नाइजीरिया की दो दिवसीय यात्रा की। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत और अफ्रीका के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में नाइजीरिया विगत 66 वर्षों में स्वाभाविक अंतर्राष्ट्रीय साझेदार बन गए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की नाइजीरिया यात्रा के बारे में
- प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नाइजीरिया की हालिया यात्रा 17 वर्षों बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है। अक्तूबर 2007 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने यात्रा की थी।
- प्रधानमंत्री मोदी को नाइजीरिया के सर्वोच्च सम्मान ‘ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ नाइजर’ से सम्मानित किया गया। इस प्रकार वे वर्ष 1969 के बाद से यह पुरस्कार पाने वाले पहले विदेशी नेता बन गए।
- वर्ष 1969 में ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ को यह सम्मान प्रदान किया जा चुका है।
- प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी हालिया यात्रा में नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद टीनूबू के साथ द्विपक्षीय वार्ता की।
द्विपक्षीय वार्ता के प्रमुख बिंदु
- रक्षा, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यापार और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित
- आतंकवाद, अलगाववाद, समुद्री डकैती और कट्टरपंथ से संयुक्त रूप से लड़ने तथा वैश्विक दक्षिण (Global South) की आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में काम करने की प्रतिबद्धता
- गिनी की खाड़ी और हिंद महासागर में बढ़ते खतरों के मद्देनजर दोनों देशों में समुद्री व्यापार मार्गों की सुरक्षा एवं समुद्री डकैती से निपटने के लिए समन्वित कार्रवाई पर सहमति
- भारत द्वारा नाइजीरिया को कृषि, परिवहन, सस्ती दवा, नवीकरणीय ऊर्जा एवं डिजिटल परिवर्तन में भारत के अनुभव की पेशकश
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान, सीमा शुल्क में सहयोग और सर्वेक्षण सहयोग पर तीन समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर
- पश्चिमी अफ्रीकी राष्ट्र आर्थिक समुदाय (ECOWAS) के अध्यक्ष के रूप में नाइजीरिया की भूमिका की सराहना
- ECOWAS पश्चिम अफ्रीका के 15 देशों का एक क्षेत्रीय राजनीतिक एवं आर्थिक संघ है।
भारत नाइजीरिया द्विपक्षीय संबंध
राजनयिक संबंध
- दोनों देशों की स्वतंत्रता के बाद के वर्षों में उपनिवेशवाद एवं रंगभेद के खिलाफ संघर्ष ने दोनों देशों के बीच संबंधों की मजबूत नींव रखी।
- भारत ने वर्ष 1960 में नाइजीरिया के स्वतंत्र होने से दो वर्ष पूर्व नवंबर 1958 में लागोस में अपना राजनयिक मिशन स्थापित किया था।
- 1960 के दशक से 1980 के दशक तक भारतीय प्रशिक्षकों एवं चिकित्सकों ने नाइजीरिया की स्वतंत्रता के शुरुआती वर्षों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- भारत ने कडुना में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और पोर्ट हरकोर्ट में नौसेना युद्ध महाविद्यालय की भी स्थापना की।
- अक्तूबर 2007 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री की नाइजीरिया यात्रा के दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को ‘रणनीतिक साझेदारी’ के रूप में स्थापित किया।
महत्वपूर्ण द्विपक्षीय यात्राएँ
- प्रधानमंत्री नेहरू की सितंबर 1962 में नाइजीरिया की यात्रा के दौरान नाइजीरिया के प्रथम प्रधानमंत्री तफवा बलेवा के साथ वार्ता ने दोनों देशों के बीच आपसी सद्भावना, सम्मान व मित्रता का निर्माण किया।
- अभी तक दो नाइजीरियाई राष्ट्रपति भारत के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में भारत आए हैं।
- 1983 ई. में राष्ट्रपति शेहु शगारी और 2000 ई. में राष्ट्रपति ओलुसेगुन ओबासान्जो
- प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्ष शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए दिसंबर 2003 में अबुजा का दौरा किया था।
- अक्टूबर 2007 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यात्रा के दौरान भारत एवं नाइजीरिया ने रणनीतिक साझेदारी के लिए अबूजा घोषणा को अपनाया।
- नाइजीरियाई राष्ट्रपति मुहम्मदु बुहारी ने तीसरे भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए अक्तूबर 2015 में भारत का दौरा किया।
- 5-10 सितंबर, 2023 तक नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद टीनूबू G20 नेताओं के शिखर सम्मेलन, 2023 में भाग लेने के लिए भारत आए।
संस्थागत सहयोग तंत्र
- विदेश कार्यालय परामर्श (FoC) : FoC की शुरुआत दिसंबर 2003 में राष्ट्रमंडल शिखर सम्मेलन के दौरान अबुजा में की गई थी।
- संयुक्त आयोग की बैठक (JCM) : दोनों देशों के बीच संयुक्त आयोग की स्थापना वर्ष 1979 में की गई थी।
- संयुक्त व्यापार समिति (JTC) : भारत एवं नाइजीरिया ने द्विपक्षीय व्यापार व वाणिज्यिक संबंधों की समीक्षा के लिए JTC स्थापित की है।
रक्षा संबंध
- भारत एवं नाइजीरिया के बीच रक्षा सहयोग वर्ष 1960 में नाइजीरिया की स्वतंत्रता के बाद से ही स्थापित हो गए था।
- अक्तूबर 2007 में रक्षा सहयोग पर द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के बाद से पिछले कुछ वर्षों में रक्षा सहयोग के लिए द्विपक्षीय संपर्क बढ़ा है।
- दोनों देशों की सशस्त्र सेनाओं ने एक साथ सैन्य प्रशिक्षण एवं आदान-प्रदान कार्यक्रमों में भाग लिया है और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सेवा की है।
- सहयोग के क्षेत्रों में आतंकवाद, उग्रवाद एवं समुद्री डकैती रोधी अभियान और प्रशिक्षण संस्थानों के बीच यात्राओं का आदान-प्रदान शामिल है।
- संयुक्त रक्षा समन्वय समिति (JDCC) द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए मार्ग प्रशस्त करती है।
व्यापार एवं निवेश संबंध
- वर्ष 2023 में भारत-नाइजीरिया के शीर्ष 5 व्यापारिक साझेदारों में शामिल रहा है।
- नाइजीरिया एवं भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा वर्ष 2021-22 में 14.95 बिलियन डॉलर से घटकर वर्ष 2023-24 में 7.89 बिलियन डॉलर रह गई है।
- इसका मुख्य कारण नाइजीरिया से खरीदे गए तेल की मात्रा में कमी है।
- 200 से अधिक भारतीय कंपनियां नाइजीरिया के विनिर्माण उद्योगों में लगभग 27 बिलियन डॉलर का निवेश कर रही हैं और संघीय सरकार के बाद दूसरे सबसे बड़े नियोक्ता हैं।
- भारत ने नाइजीरिया को 395.44 मिलियन डॉलर के 5 ऋण-पत्रों की पेशकश की है।
- अभी तक नाइजीरिया द्वारा 3 बिजली परियोजनाओं के लिए केवल 100 मिलियन डॉलर के ऋण-पत्र पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
शिक्षा
- नाइजीरियाई छात्रों के लिए वर्ष 1955 से ही भारत उच्च शिक्षा प्राप्त करने का गंतव्य रहा है।
- भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) द्वारा स्थापित छात्रवृत्ति कार्यक्रम 1960 के दशक से नाइजीरियाई छात्रों के लिए भारत में अध्ययन करने का मुख्य साधन है।
- भारतीय शैक्षणिक संस्थान प्रणाली अपनी गुणवत्ता एवं लागत प्रभावी शिक्षा के लिए लोकप्रिय है।
- बड़ी संख्या में नाइजीरियाई छात्र विभिन्न भारतीय विश्वविद्यालयों में अध्ययन कर रहे हैं।
- प्रमुख छात्रवृत्ति योजनाएँ : ICCR अफ्रीका छात्रवृत्ति योजना, सी.वी. रमन अंतर्राष्ट्रीय फैलोशिप, हिंदी छात्रवृत्ति, आयुष छात्रवृत्ति।
- अन्य शैक्षिक सहयोग : स्टडी इन इंडिया प्रोग्राम, ई-विद्या भारती और ई-आरोग्य भारती समझौता ज्ञापन, iLearn पोर्टल।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
- भारत वर्ष 1964 से भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग कार्यक्रम के तहत नाइजीरिया के क्षमता निर्माण के प्रयासों का समर्थन कर रहा है।
- भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन के प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत भारत, नाइजीरिया को कृषि, स्वास्थ्य, जल विद्युत, जल संसाधन आदि जैसे विविध विषयों में अतिरिक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान कर रहा है।
- भारत एवं नाइजीरिया के बीच वर्ष 2020 में अबुजा में बाह्य अंतरिक्ष में सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे।
- वर्ष 2022 में नाइजीरिया में वैक्सीन के उत्पादन के लिए बायो वैक्सीन नाइजीरिया लिमिटेड और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के बीच एक संयुक्त उद्यम साझेदारी व्यवस्था पर हस्ताक्षर किए गए।
मानवीय सहायता
- भारत ने जुलाई 2020 में नाइजीरिया को HCQS एवं एंटीबायोटिक्स सहित आवश्यक दवाओं की 7.8 टन खेप दान की।
- मार्च 2021 में भारत सरकार ने GAVI की कोवैक्स योजना के तहत कोविशील्ड वैक्सीन की 3.92 मिलियन खुराक की खेप नाइजीरिया को आपूर्ति की है।
- भारत ने मार्च 2021 में नाइजीरिया को कोविशील्ड वैक्सीन की 100,000 खुराक भी उपहार में दी।
- जनवरी 2022 में भारत ने कोवैक्स योजना के तहत नाइजीरिया को कोविशील्ड वैक्सीन की अतिरिक्त 5.742 मिलियन खुराकें निर्यात कीं।
सांस्कृतिक संबंध
- सांस्कृतिक कार्यक्रम : भारतीय उच्चायोग नाइजीरिया में विभिन्न भारतीय सांस्कृतिक संघों के साथ मिलकर अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करता है।
- भारतीय मिशन ने अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष एवं मिशन लाइफ के तहत विभिन्न कार्यक्रम भी आयोजित किए।
- भारतीय सांस्कृतिक संघ नाइजीरिया के विभिन्न शहरों में भारतीय त्योहारों को मनाने के लिए अलग से कार्यक्रम भी आयोजित करते हैं।
- प्रवासी समुदाय : नाइजीरिया में भारतीय समुदाय की संख्या लगभग 60,000 है।
- भारतीय सांस्कृतिक संघ (ICA) नाइजीरिया के प्रमुख शहरों, जैसे- लागोस, अबुजा, कानो, कडुना, पोर्ट हरकोर्ट एवं इबादान में मौजूद हैं।
- जनवरी 2021 में भारतीय संस्कृति संघ, लागोस को प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार प्रदान किया गया।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
भारत एवं नाइजीरिया दक्षिण-दक्षिण सहयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। बहुपक्षीय संगठनों, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र, G77 एवं गुट निरपेक्ष आंदोलन (NAM) में, दोनों देश समन्वित व प्रभावी तरीके से विकासशील दुनिया की आवाज को मुखर कर रहे हैं।
निष्कर्ष
भारत एवं नाइजीरिया दोनों बहु-धार्मिक, बहु-जातीय और बहुभाषीय समाज वाले विकासशील और लोकतांत्रिक देश हैं। प्रधानमंत्री मोदी की हालिया यात्रा से दोनों देशों ने समुद्री सुरक्षा, खुफिया जानकारी और आतंकवाद निरोध में सहयोग को मजबूत करने पर सहमति जताई है। इससे चीन के अफ्रीका महाद्वीप में बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने में भी मदद मिलेगी।