New
IAS Foundation Course (Prelims + Mains): Delhi & Prayagraj | Call: 9555124124

भारत का परिधान निर्यात संकट : चुनौतियां एवं समाधान

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : उदारीकरण का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन तथा औद्योगिक विकास पर इनका प्रभाव)

संदर्भ 

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत का परिधान निर्यात संकट के दौर से गुजर रहा है। इसका मुख्य कारण घरेलू नीतिगत स्वार्थ, कच्चे माल के आयात पर बाधाएं और कठिन व्यापार प्रक्रियाएँ हैं।

भारतीय परिधान उद्योग के बारे में 

  • कपड़ा एवं परिधान उद्योग देश के सकल घरेलू उत्पाद में 2.3%, औद्योगिक उत्पादन में 13% और निर्यात में 12% का योगदान करता है। 
  • भारत में कपड़ा उद्योग का सकल घरेलू उत्पाद में योगदान इस दशक के अंत तक दोगुना होकर 2.3% से लगभग 5% होने का अनुमान है।
  • भारत में कपड़ा एवं परिधान क्षेत्र में विदेशी निवेश के लिए सर्वाधिक उदार नीतियां हैं, जिसमें स्वचालित मार्ग से 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति है।
  • भारत के वस्त्र उद्योग में देश भर के लगभग 4.5 करोड़ कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें 35.22 लाख हथकरघा कर्मचारी शामिल हैं।

निर्यात की स्थिति 

  • वर्तमान में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा वस्त्र एवं परिधान निर्यातक है। 
  • भारतीय वस्त्र एवं परिधान बाजार वर्ष 2030 तक 10% CAGR से बढ़कर 350 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
  • भारत कई कपड़ा श्रेणियों में शीर्ष पांच वैश्विक निर्यातकों में शामिल है, जिसका निर्यात 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
  • 43% निर्यात यूरोप एवं अमेरिका जैसे सबसे बड़े उपभोक्ता बाजारों में किया जाता है जबकि 17% निर्यात चीन, संयुक्त अरब अमीरात व बांग्लादेश को होता है।

NIRYAT

भारत का परिधान निर्यात संकट

  • GTRI की शोध रिपोर्ट के अनुसार, भारत के श्रम-प्रधान परिधान क्षेत्र से निर्यात वर्ष 2023-24 में 2013-14 के स्तर से भी कम रहा है।
    • वर्ष 2023-24 में भारत का परिधान निर्यात 14.5 बिलियन डॉलर रहा है, जबकि 2013-14 में यह 15 बिलियन डॉलर था। 
    • इसका तात्पर्य है कि भारत के परिधान निर्यात में पिछले एक दशक में नकारात्मक वृद्धि हुई है।
  • भारत का परिधान निर्यात वियतनाम, बांग्लादेश जैसे देशों की तुलना में काफी पीछे रह गया है, जिससे इसकी वैश्विक मांग में गिरावट का संकेत मिलता है।
    • वर्ष 2013 से 2023 के बीच वियतनाम का परिधान निर्यात लगभग 82% बढ़कर 33.4 बिलियन डॉलर हो गया है, जबकि बांग्लादेश से निर्यात लगभग 70% बढ़कर 43.8 बिलियन डॉलर हो गया है। 
    • उसी समय चीन ने लगभग 114 बिलियन डॉलर के परिधान निर्यात किए है।

प्रमुख चुनौतियां

कच्चे माल के आयात पर उच्च शुल्क

भारत का परिधान निर्यात अन्य देशों की प्रतिस्पर्धी ताकतों के बजाए देश में कच्चे माल के आयात पर उच्च शुल्कों एवं बाधाओं तथा सीमा शुल्क व व्यापार की कठिन प्रक्रियाओं के कारण अधिक प्रभावित हुआ है। 

PLI योजना की विफलता 

  • केंद्र द्वारा वर्ष 2021 में शुरू की गई वस्त्रों के लिए उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना निवेशकों को आकर्षित करने में विफल रही है और इसे प्रभावी बनाने के लिए महत्वपूर्ण संशोधनों की आवश्यकता है।
  • GTRI की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि निर्यात में गिरावट को नहीं रोका गया तो यह आंकड़ा अधिक तेजी से बढ़ सकता है, खासकर तब जब रिलायंस रिटेल जैसी फर्मों द्वारा देश में शीन जैसे चीनी ब्रांडों की बिक्री शुरू करने की उम्मीद है।

गुणवत्तापूर्ण कच्चे माल की कमी 

  • निर्यातकों की समस्या की जड़ में गुणवत्ता वाले कच्चे कपड़े, खासतौर पर सिंथेटिक कपड़े प्राप्त करने में कठिनाई है। 
  • बांग्लादेश एवं वियतनाम इन जटिलताओं से ग्रस्त नहीं हैं, जबकि भारतीय फर्मों को इन पर समय व पैसा बर्बाद करना पड़ता है।

गुणवत्ता नियंत्रण आदेश

  • छोटे, मध्यम एवं बड़े परिधान निर्यातकों के अनुसार, कपड़े के आयात के लिए हाल ही में जारी किए गए गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों या क्यू.सी.ओ. ने आवश्यक कच्चे माल को लाने की प्रक्रिया को जटिल बना दिया है। 
  • इससे निर्यातकों की लागत बढ़ रही है, जिन्हें पॉलिएस्टर स्टेपल फाइबर और विस्कोस स्टेपल फाइबर जैसे कच्चे माल के बाजार पर हावी घरेलू फर्मों के महंगे विकल्पों पर निर्भर रहना पड़ता है।

वैश्विक आकर्षण में कमी 

यह परिदृश्य निर्यातकों को महंगी घरेलू आपूर्ति के लिए मजबूर करता है, जिससे भारतीय परिधान अत्यधिक महंगे हो जाते हैं और वैश्विक खरीदारों के लिए आकर्षक नहीं रह जाते हैं, जो विशिष्ट फैब्रिक स्रोतों को प्राथमिकता देते हैं।

जटिल प्रक्रियाएं 

  • इसके अलावा, विदेश व्यापार एवं सीमा शुल्क महानिदेशालय द्वारा निर्धारित प्रक्रियाएं पुरानी हैं, जिसके तहत निर्यातकों को आयातित कपड़े, बटन व ज़िपर के हर वर्ग सेंटीमीटर का हिसाब रखना पड़ता है।
  • साथ ही, यह सुनिश्चित करना होता है कि इनका उत्पादन प्रक्रिया में उपयोग किया जाए और निर्यात उत्पाद विवरण में दर्शाया जाए।

चुनौतियों के लिए समाधान 

  • नए बाजारों की खोज : वर्तमान में, भारत का परिधान निर्यात कम देशों में केंद्रित है। इसीलिए मुक्त व्यापार समझौतों के जरिए नए बाजारों की खोज के लिए विविधीकरण की आवश्यकता है।
  • निर्यात बास्केट का विविधीकरण : परिधान उत्पादों में भारत का निर्यात बास्केट भी बहुत छोटा है। इसके लिए कपास आधारित निर्यात से मानव निर्मित फाइबर की ओर स्थानांतरित करके निर्यात बास्केट में विविधता लाने की आवश्यकता है।
  • तकनीकी उन्नयन : परिधान क्षेत्र में तकनीकी उन्नयन के लिए एक नई योजना प्रस्तुत करने की आवश्यकता है, जिससे पुरानी मशीनरी को बदला जा सके और कार्यकुशलता में सुधार किया जा सके।
  • विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे का निर्माण : कपड़ा उत्पादन के लिए न केवल विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे के निर्माण की आवश्यकता है, बल्कि बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए प्लग एंड प्ले सुविधाओं के निर्माण की भी आवश्यकता है।
  • अनुसंधान एवं नवाचार में निवेश : वस्त्र व परिधान क्षेत्र के लिए अनुसंधान एवं विकास पारितंत्र को बढ़ाना इसके निर्बाध विकास के लिए महत्वपूर्ण होगा। सरकार को उद्योग को उभरती प्रौद्योगिकियों में क्षमता विकसित करने और सफल उत्पाद बनाने में सक्षम करने में मदद करने के लिए अनुसंधान एवं विकास तथा नवाचार में निरंतर निवेश करना चाहिए।
  • मशीनरी की उपलब्धता : भारत में टेक्सटाइल इंजीनियरिंग उद्योग पाँच प्रमुख पूंजीगत वस्तु उद्योगों में से एक है। इस उद्योग में 80% से अधिक इकाइयाँ एस.एम.ई. (SME) के रूप में हैं, जिनका कुल निवेश 1.2 बिलियन डॉलर है।
    • घरेलू विनिर्माण और इसके परिणामस्वरूप किफायती कीमतों पर अत्याधुनिक टेक्सटाइल मशीनरी की उपलब्धता लागत और गुणवत्ता प्रतिस्पर्धा के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता है।

परिधान क्षेत्र में प्रमुख सरकारी पहल

  • भारत सरकार ने कपड़ा क्षेत्र के लिए कई निर्यात प्रोत्साहन नीतियां बनाई हैं। 
  • कपड़ा क्षेत्र में स्वचालित मार्ग के तहत 100% एफ.डी.आई. की भी अनुमति है।
  • सरकार द्वारा वर्ष 2030 तक 250 बिलियन अमेरिकी डॉलर के वस्त्र उत्पादन और 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रोडमैप तैयार किया गया है। 
  • समर्थ (SAMARTH) योजना के अंतर्गत 1,880 केंद्रों पर 1,83,844 लाभार्थियों को प्रशिक्षित किया गया है।
  • लखनऊ में टेक्सटाइल पार्क स्थापित करने के लिए 1,000 एकड़ भूमि को मंजूरी दी गई है।
  • केंद्रीय बजट 2023-24 के अनुसार, कपड़ा क्षेत्र के लिए कुल आवंटन 4,389.24 करोड़ रुपए था। 
    • इसमें से 900 करोड़ रुपए संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (ATUFS) के लिए, 450 करोड़ रुपये राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन के लिए और 60 करोड़ रुपये एकीकृत प्रसंस्करण विकास योजना के लिए हैं।
  • सरकार द्वारा वर्ष 2027-28 तक के लिए 4,445 करोड़ रुपए के कुल निवेश के साथ 7 पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल (पीएम मित्र) पार्कों की स्थापना को मंजूरी दी गई।
  • दमन में राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (निफ्ट) का नया परिसर खोला गया है। 
  • वैश्विक कपड़ा उद्योग में एक प्रमुख भागीदार बनने की तमिलनाडु की रणनीति के तहत चेन्नई में ‘टेक्सटाइल सिटी’ की स्थापना की घोषणा की गई है।

आगे की राह

भारतीय परिधान उद्योग के निर्यात संकट को दूर करने के लिए भारत को अल्पकालिक, मध्यकालिक एवं दीर्घकालिक रणनीतियों के क्रियान्वयन की आवश्यकता है। इसके लिए बुनियादी रूप से आयात शुल्क में कमी, निर्यात बाजारों का विविधीकरण, बेहतर बुनियादी ढांचा व कुशल श्रम बल के साथ नवाचार एवं अनुसंधान में निवेश की आवश्यकता है।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X