मंकीपॉक्स की जांच के लिए भारत की पहली स्वदेशी RT-PCR किट
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में आंध्र प्रदेश सरकार की अनुसंधान संस्था आंध्र प्रदेश मेडटेक जोन (AMTZ) ने ट्रांसएशिया डायग्नोस्टिक्स के साथ मिलकर मंकीपॉक्स की जांच के लिए भारत की पहली स्वदेशी RT-PCR किट के विकास की घोषणा की
इस किट को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) से भी मान्यता मिल गई है।
मंकीपॉक्स
यह एक दुर्लभ बीमारी है, जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण से होती है।
इसका संक्रमण पहली बार वर्ष 1958 में शोध के लिये रखे गए बंदरों में देखा गया था जिसके कारण इसका नाम 'मंकीपॉक्स' रखा गया।
मनुष्यों में इसका पहला मामला वर्ष 1970 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में ही पाया गया था।
मनुष्य में मंकीपॉक्स का प्रसार संक्रमित व्यक्ति या जानवर के निकट संपर्क से होता है
यह एक जूनोटिक बीमारी है।
गिलहरी, चूहे, और बंदरों की कुछ प्रजातियाँ इस विषाणु के वाहक के रूप में कार्य करते हैं।
इसके प्रारंभिक लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, सूजन, पीठ दर्द और मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं।
इस बीमारी में शरीर पर दाने उभर जाते हैं
मंकीपॉक्स की अभी तक कोई सुरक्षित, प्रमाणिक चिकित्सा उपलब्ध नहीं है।
प्रश्न - मंकीपॉक्स पहली बार मनुष्यों में कब पाया गया था ?