48वां अंतर्राष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेला 28 जनवरी से 9 फरवरी 2025 तक कोलकाता के साल्ट लेक सिटी में आयोजित किया जाएगा।
यह कोलकाता का पुस्तक मेला न केवल भारत का सबसे पुराना पुस्तक मेला है, बल्कि यह बंगाली संस्कृति, पढ़ने की परंपरा और बौद्धिक संवाद की धरोहर को जीवित रखता है।
यह मेला साहित्य और कला प्रेमियों का ऐसा मिलन स्थल है जो हर साल हज़ारों आगंतुकों को आकर्षित करता है।
2025: जर्मनी थीम देश:
2025 के संस्करण में जर्मनी थीम देश है।
फ्रैंकफर्ट बुक फेयर से प्रेरणा के सम्मान में यह थीम चुनी गई है।
प्रमुख आकर्षण:
शेल्फ लाइफ थीम मंडप: प्रसिद्ध वास्तुकार अनुपमा कुंडू द्वारा डिज़ाइन किया गया।
साहित्यिक संवाद: जर्मनी और भारत के लेखक, ग्राफिक उपन्यासकार और अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सवों के प्रतिनिधि।
पर्यावरण और स्थिरता पर जोर: पुस्तक मेला सिर्फ साहित्य ही नहीं, बल्कि वैश्विक मूल्यों और समावेशिता को भी बढ़ावा देगा।
भारत में पुस्तक मेलों की शुरुआत
1918: कोलकाता में पहला पुस्तक मेला
भारत में पुस्तक मेलों का इतिहास 1918 में शुरू हुआ जब नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशन (NCE) ने कोलकाता के कॉलेज स्ट्रीट में पहली पुस्तक प्रदर्शनी आयोजित की।
यह आयोजन स्वदेशी आंदोलन के तहत आधुनिक शिक्षा और भारतीय प्रकाशन की क्षमता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया था।
महत्वपूर्ण तथ्य:
इस ऐतिहासिक आयोजन का नेतृत्व रवींद्रनाथ टैगोर, लाला लाजपत राय और बिपिनचंद्र पाल जैसे महान हस्तियों ने किया।
यह आयोजन गोयनका कॉलेज ऑफ कॉमर्स के वर्तमान स्थान पर हुआ।
इसने भारतीय प्रकाशन उद्योग के भविष्य की नींव रखी।
पहला आधुनिक कोलकाता पुस्तक मेला (1975):-
उद्घाटन: 5 मार्च 1976
स्थान: विक्टोरिया मेमोरियल के पास
भागीदारी: 34 प्रकाशकों द्वारा 56 स्टॉल
प्रवेश शुल्क: 50 पैसे
यह आयोजन 10 दिनों तक चला और यह वार्षिक परंपरा बन गया।
प्रश्न - 48वें अंतर्राष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेला का थीम देश कौन सा है ?