प्रारम्भिक परीक्षा: आर्थिक एवं सामाजिक विकास- सतत् विकास, WTO, निर्यात सब्सिडी, FRP) |(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र- 3 : प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से सम्बंधित विषय)
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संदर्भ
अमेरिका एवं ऑस्ट्रेलिया ने विश्व व्यापर संगठन (WTO) में तर्क दिया है कि भारत ने डब्ल्यू.टी.ओ. के कृषि समझौते में निर्धारित सीमा से अधिक चीनी सब्सिडी प्रदान की है, जिससे वैश्विक व्यापार विकृत हो सकता है।
क्या है विवाद
- चार वर्ष की अवधि (2018-19 से 2021-22) में गन्ने के लिए भारत के ‘बाजार मूल्य समर्थन’ संबंधी आंकड़ों के आधार पर डब्ल्यू.टी.ओ. की कृषि समिति को सौंपे गए एक पेपर के अनुसार इस अवधि में भारत की चीनी सब्सिडी अनुमेय 10% के मुकाबले उत्पादन मूल्य के 90% को पार कर गई है।
- इन सब्सिडी या ‘बाजार मूल्य समर्थन’ को व्यापार भाषा में ‘समग्र समर्थन माप’ (Aggregate Measurement of Support : AMS) कहा जाता है।
- भारत का बाजार मूल्य समर्थन (Subsidy) 2018-19, 2019-20, 2020-21 एवं 2021-22 में क्रमशः $15.9 बिलियन, $14.6 बिलियन, $16.5 बिलियन व $17.6 बिलियन था। यह अनुमत 10% के मुकाबले वार्षिक उत्पादन मूल्य के 90% से अधिक था।
- वर्ष 2021 में (2014-15 से 2018-19 की अवधि के लिए) WTO ने भारतीय चीनी सब्सिडी के खिलाफ फैसला सुनाया था, जिसे भारत ने अपील के माध्यम से खारिज कर दिया था।
- भारत की अपील ने वर्ष 2022 में WTO की पैनल रिपोर्ट को डब्ल्यू.टी.ओ. विवाद निपटान निकाय द्वारा अपनाने से रोक दिया था।
भारत का पक्ष
- भारत का आरोप है कि इस रिपोर्ट में गन्ना उत्पादकों व निर्यातों को समर्थन देने वाली घरेलू योजनाओं के बारे में गलत व अस्वीकार्य निष्कर्ष निकाले गए हैं।
- भारत अपने किसानों को निर्यात के लिए सब्सिडी नहीं प्रदान करता है बल्कि उत्पादन सब्सिडी देता है।
- भारत का पक्ष है कि देश का चीनी निर्यात डब्ल्यू.टी.ओ. नियमों का अनुपालन करता है।
- भारत अभी एक विकासशील देश है और विकसित देशों के मुकाबले उसकी प्रति व्यक्ति आय बहुत कम है, इसीलिए वर्तमान उत्पादन सब्सिडी तर्कसंगत है।
भारत द्वारा प्रदत्त सब्सिडी
- प्रत्येक चीनी सत्र में भारत गन्ने के लिए उचित एवं लाभकारी मूल्य (FRP) निर्धारित करता है।
- FRP सरकार द्वारा घोषित मूल्य होता है, जिसे चीनी मिलें गन्ना खरीद के लिए किसानों को भुगतान करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य होती हैं।
- FRP का निर्धारण कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर किया जाता है।
- किसानों को अधिक उत्पादन क्षमता के लिए प्रीमियम का भुगतान किया जाता है और कुछ राज्यों में किसान विशिष्ट राज्य-स्तरीय समर्थन के तहत चीनी मिलों द्वारा अतिरिक्त भुगतान प्राप्त करते हैं, जिन्हें राज्य अनुशंसित मूल्य (State Advised Prices : SAP) के रूप में जाना जाता है।
- यह सब्सिडी या न्यूनतम मूल्य समर्थन खाद्यान्न की कीमतों में स्थिरता सुनिश्चित करने और कमजोर वर्गों के लिए सस्ती कीमतों पर समान वितरण सुनिश्चित करने के लिए दी जाती है।
WTO द्वारा प्रदत्त सब्सिडी
विश्व व्यापार संगठन व्यापार सब्सिडी को वर्गीकृत करने के लिए उपयोग किए जाने वाले ‘बक्सों’ की तुलना ट्रैफिक लाइट से करता है। इस व्यवस्था में सब्सिडी के तीन रूप हैं :

ग्रीन बॉक्स
- डब्ल्यू.टी.ओ. के ग्रीन बॉक्स में ऐसी कृषि सब्सिडी शामिल होती है, जो व्यापार समझौते द्वारा प्रतिबंधित नहीं होती हैं क्योंकि उन्हें व्यापार को विकृत करने वाला नहीं माना जाता है।
- ग्रीन बॉक्स सब्सिडी विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से सरकारों द्वारा प्रदान की जाती है, जैसे- किसानों को आय सहायता, खाद्य सहायता, अनुसंधान एवं विकास आदि का प्रावधान।
एम्बर बॉक्स
- डब्ल्यू.टी.ओ. के अनुसार, कृषि में एम्बर बॉक्स का उपयोग उत्पादन एवं व्यापार को विकृत करने वाले सभी घरेलू समर्थन उपायों के लिए किया जाता है।
- उदाहरण: खाद, बीज, बिजली, सिंचाई एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) जैसे इनपुट के लिये सब्सिडी।
- यह विकसित देशों के लिए 5% एवं विकासशील देशों के लिए 10% तक निर्धारित की गई है।
ब्लू बॉक्स
- ब्लू बॉक्स समर्थन वह सब्सिडी हैं जो उत्पादन को सीमित करने वाले कार्यक्रमों से जुड़ी होती हैं, इसलिए यह कृषि सहायता से संबंधित सामान्य नियम का अपवाद है।
- ब्लू बॉक्स सब्सिडी का उद्देश्य उत्पादन कोटा लागू करके या किसानों को अपनी भूमि का कुछ हिस्सा अलग रखने की आवश्यकता के द्वारा उत्पादन को सीमित करना है।
- डब्ल्यू.टी.ओ. के अनुसार, ब्लू बॉक्स ‘शर्तों वाला एम्बर बॉक्स’ है, जो स्थितियाँ विरूपण को कम करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं।
- कोई भी ऐसा समर्थन जो आम तौर पर एम्बर बॉक्स में होता है, उस स्थिति में उसे ब्लू बॉक्स में रखा जाता है यदि समर्थन के लिए किसानों को उत्पादन सीमित करने की आवश्यकता होती है।