चर्चा में क्यों
रक्षा क्षेत्र में उद्योग आधारित डिज़ाइन और विकास के लिये रक्षा मंत्रालय ने 18 प्रमुख प्लेटफॉर्मों की पहचान की है। विदित है कि केंद्रीय बजट 2022-23 में उद्योगों के नेतृत्व वाले अनुसंधान एवं विकास के लिये रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट का 25% आवंटित किया गया है।
मेक-1 श्रेणी
- इस श्रेणी के अंतर्गत अनुसंधान एवं विकास के उद्देश्य से 14 परियोजनाओं की पहचान की गई है। इनमें हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन, नौसेना जहाज से उत्पन्न मानवरहित वायु संबंधी प्रणाली, हल्के भार वाले टैंक, मानवरहित ऑटोनोमस ए.आई. आधारित लैंड रोबोट, जहाजों के लिये इलेक्ट्रिक प्रोपल्सन (इंजन), स्टैंड ऑफ एयरबोर्न जैमर, अत्यधिक ऊँचाई पर तैनात सैनिकों के लिये प्लग एंड प्ले ‘आवास एवं बुनियादी ढाँचा’ शामिल हैं।
- रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया, 2020 के तहत इस श्रेणी का लक्ष्य भारतीय उद्योग की अधिक भागीदारी के द्वारा आत्म निर्भरता प्राप्त करना है। उद्योग द्वारा उपकरणों, प्रणालियों, प्रमुख प्लेटफॉर्मों या उनके उन्नयन के डिज़ाइन एवं विकास से संबंधित परियोजनाओं को इस श्रेणी के तहत शामिल किया जा सकता है।
- रक्षा मंत्रालय मेक-I उप-श्रेणी के तहत परियोजनाओं के लिये प्रोटोटाइप विकास की कुल लागत के 70% तक वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।
विशेष प्रयोजन वाहन मॉडल श्रेणी
- विशेष प्रयोजन वाहन मॉडल (एस.पी.वी. मॉडल) श्रेणी के तहत निजी उद्योग को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन तथा अन्य संगठनों के सहयोग से सैन्य प्लेटफॉर्मों तथा उपकरणों के डिज़ाइन और विकास के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा।
- इसके तहत लंबी दूरी के मानव रहित हवाई वाहन और भारतीय मल्टी रोल हेलीकॉप्टर नामक दो प्लेटफॉर्मों की पहचान की गई है।
मेक-द्वितीय श्रेणी
मेक-II श्रेणी के तहत विभिन्न प्लेटफार्मों के लिये एंटी-जैमिंग सिस्टम की पहचान की गई है। इसे सुनिश्चित खरीद के साथ उद्योग द्वारा वित्त पोषित किया जाता है।
आईडेक्स श्रेणी
इसके तहत निम्न कक्षा वाले छद्म उपग्रह प्लेटफॉर्मों का चयन किया गया है, जिसका उद्देश्य स्टार्ट अप, एम.एस.एम.ई. आदि की हाई-एंड इनोवेशन परियोजनाओं को आगे बढ़ाना है।
निष्कर्ष
इन परियोजनाओं के स्वदेशी विकास से घरेलू रक्षा उद्योगों की डिज़ाइन क्षमताओं का दोहन करने में मदद मिलेगी तथा भारत को वैश्विक स्तर पर इन प्रौद्योगिकियों में डिज़ाइन नेतृत्व के रूप में स्थान प्राप्त होगा।