संदर्भ
- हाल ही में अदानी ग्रुप ने अपने फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) को वापस लेने की घोषणा की।
फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर
- जब कोई कंपनी IPO के बाद दूसरी बार अतरिक्त शेयर्स की सार्वजनिक बिक्री करती है तो उसे FPO कहा जाता है।
- ऐसी कंपनी पहले से शेयर बाजार में लिस्टेड होती है, वह निवेशकों के लिए नए शेयर ऑफर करती है ये बाजार में मौजूद स्टॉक्स से अलग होते हैं।
- कंपनियां आमतौर पर इक्विटी बढ़ाने या कर्ज कम करने के लिए एफपीओ की घोषणा करती हैं।
- दो मुख्य प्रकार के एफपीओ होते हैं-
- मिश्रित अर्थात् नए शेयर जोड़े जाते हैं।
- गैर-विघटित-अर्थात् मौजूदा निजी शेयर सार्वजनिक रूप से बेचे जाते हैं।
- एट-द-मार्केट ऑफरिंग (ATM) एक प्रकार का एफपीओ है जिसके द्वारा एक कंपनी पूंजी जुटाने के लिए आम तौर पर प्रचलित बाजार मूल्य के आधार पर किसी भी दिन द्वितीयक सार्वजनिक शेयरों को जारी कर सकती है।
इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO)
- जब कोई कंपनी पूंजी जुटाने के लिये प्राथमिक बाज़ार में पहली बार प्रतिभूतियों की सार्वजनिक रूप से बिक्री करती है तो इस प्रक्रिया को इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) कहते हैं।
- इसे न्यू इश्यू मार्किट के रूप में भी जाना जाता है।
- आई.पी.ओ. जारी करने के साथ ही कोई कंपनी सार्वजनिक कंपनी बन जाती है, जिसमें व्यक्तिगत निवेशकों से लेकर संस्थागत निवेशकों की भी हिस्सेदारी होती है।
- भारत में कोई कंपनी सेबी (SEBI) के माध्यम से ही आई.पी.ओ. ला सकती है, इसके लिये इसे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज तथा बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के लिये आवश्यक शर्तों का पालन करना होता है।
- इसके अंतर्गत केवल वही कंपनियाँ आई.पी.ओ. जारी कर सकती हैं जिनकी न्यूनतम पेड-अप कैपिटल 10 करोड़ हो।
- कोई कंपनी जितने शेयरों की बिक्री करना चाहती है यदि निवेशक उससे अधिक शेयरों की बोली लगा देते हैं तो आई.पी.ओ. को ओवरसबस्क्राइबड माना जाता है।
आई.पी.ओ. के लाभ
- आई.पी.ओ. के माध्यम से किसी कंपनी को अपने विस्तार हेतु पूंजी जुटाने में मदद मिलती है तथा कंपनी का कारोबार बढ़ता है।
- सामान्य निवेशकों के लिये आई.पी.ओ. के माध्यम से निवेश करना आसान होता है।
- आई.पी.ओ. के माध्यम से जुटाई गई धनराशि का प्रयोग कंपनी नए पूंजीगत उपकरणों तथा आधारभूत ढाँचे में निवेश के लिये करती है।