(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाओं से संबंधित प्रश्न)
(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र-3; विषय- मुख्य फसलें- देश के विभिन्न भागों में फसलों का पैटर्न- सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली; किसानों की सहायता के लिये ई-प्रौद्योगिकी)
संदर्भ
- हाल ही में, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के मत्स्य पालन विभाग ने ‘अंतर्देशीय खारे जल में कृषि को बढ़ावा’ विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया है। यह वेबिनार ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के एक हिस्से के रूप आयोजित किया गया है।
- इस वेबिनार में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत लवणीय क्षेत्रों में जलीय कृषि को बढ़ावा देने और 'बंजर भूमि को उर्वर भूमि में परिवर्तित करने' (waste land into wealth land) हेतु किये जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी प्रदान की गई है।
'बंजर भूमि का आर्द्रभूमि' में परिवर्तन
- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत जलीय कृषि पद्धतियों की सहायता से कम उत्पादकता वाली खारे जल से प्रभावित मृदा में जलीय कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- जलीय कृषि को बढ़ावा देने हेतु किसानों के लिये गुणवत्ता वाले बीज एवं चारे की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के साथ ही प्रौद्योगिकी की मदद से प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
- इस योजना के तहत रोज़गार के 3 लाख नए अवसर सृजित करते हुए खारे जल में कृषि को बढ़ावा देने के लिये वित्त वर्ष 2020-21 से 2024-25 के दौरान 526 करोड़ रुपए के निवेश लक्ष्य की परिकल्पना की गई है।
- इसके अंतर्गत जलीय कृषि क्षेत्र के वर्तमान वार्षिक उत्पादन को 4331 टन से बढ़ाते हुए वित्त वर्ष 2024-25 तक 1.04 लाख टन करने का लक्ष्य रखा गया है।
- इसके अलावा, उच्च लवणीय मृदा वाले राज्य, जैसे- हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में जलीय कृषि उत्पादकता को 6 टन/हेक्टेयर से बढ़ाकर 8 टन/हेक्टेयर तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- साथ ही, इन राज्यों में उपलब्ध खारे जल में कृषि को विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इसके लिये इन राज्यों में ‘री-सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम’ (RAS) व ‘बायोफ्लोक’ (Biofloc) जैसी तकनीकों को अपनाने तथा परीक्षण प्रयोगशाला नेटवर्क, फीड प्लांट, कोल्ड चेन और मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी सुविधाओं के विकास पर ध्यान दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, एक ही स्थान पर सभी सुविधाएँ प्रदान करने के लिये क्लस्टर विकास मॉडल को भी अपनाया जा रहा है।
अंतर्देशीय लवणता
- खारा जल सामान्यतया नदी मुहाने में पाया जाता है, जहाँ एक मीठे जल की नदी समुद्र में विलीन होती है। यह समुद्री जल की तुलना में कम खारा होता है लेकिन मीठे जल की अपेक्षा इसमें अधिक लवणता होती है। यह लवणता आमतौर पर 0.5 ग्राम/लीटर (या 0.5 भाग प्रति हजार) से 30 ग्राम/लीटर (30 PPT) के मध्य होती है।
- भारत के कई राज्यों, जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में 5 पी.पी.टी. से 15 पी.पी.टी. के मध्य लवणता वाला जल मिलता है, जिसे अंतर्देशीय लवणता कहते हैं।
भारत में जलीय कृषि
- भारत में जलीय कृषि के दोनों प्रकारों; ताजे जल और खारे जल को अपनाया जाता हैं।
- मीठे जल की कृषि में मीठे जल की मछली, जैसे- कार्प, कतला, रोहू, मगर, मीठे जल का झींगा और सजावटी मछली का पालन आदि शामिल हैं।
- खारे जल की कृषि में उन जीवों का पालन अथवा उत्पादन शामिल है, जो खारे जल में निवास करते हैं। ये समुद्र के साथ-साथ अंतर्देशीय जल निकायों में निवास करते हैं, जैसे- समुद्री बास, ग्रे मुलेट, टाइगर झींगा और मिट्टी के केकड़े, झींगा, कस्तूरी, मसल्स, केकड़े, ग्रुपर्स, मिल्क फिश, कोबिया, सिल्वर पोम्पानो आदि का उत्पादन किया जाता है।
- समुद्र के खारे जल की कृषि पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, केरल और गोवा जैसे राज्यों में प्रचलित है, जबकि अंतर्देशीय जल निकायों में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा का मुख्य स्थान है।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना
- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना मत्स्य क्षेत्र पर केंद्रित एक सतत् विकास योजना है, जिसे आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 तक पाँच वर्ष की अवधि के दौरान सभी राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों में कार्यान्वित किया जाना है।
- इस योजना पर अनुमानित रूप से 20,050 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा। विदित है कि यह निवेश मत्स्य क्षेत्र में होने वाला अब तक का सबसे अधिक निवेश है।
- इस योजना के उद्देश्यों में वर्ष 2024-25 तक मछली का उत्पादन अतिरिक्त 70 लाख टन बढ़ाना, मछली निर्यात से प्राप्त आय को 1 लाख करोड़ रुपए तक करना, मछुआरों और मत्स्य किसानों की आय दोगुनी करना, पैदावार के बाद होने वाले नुकसान (Post-Harvest Losses) को 20-25 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करना तथा मत्स्य पालन क्षेत्र और सहायक गतिविधियों में 55 लाख प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोज़गार के अवसर सृजित करना आदि शामिल हैं।
- इस योजना को मछली उत्पादन और गुणवत्ता, प्रौद्योगिकी, आवश्यक बुनियादी ढाँचे और प्रबंधन, मूल्य शृंखला के आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण के उद्देश्य से बनाया गया है।
- साथ ही, नीली क्रांति की उपलब्धियों को समेकित करना, मछली पकड़ने के जहाज़ों का बीमा, मछली पकड़ने के जहाज़ों एवं नावों के उन्नयन के लिये सहायता, बायो-टॉयलेट्स, लवणीय क्षेत्रों में जलीय कृषि, सागर मित्र, न्यूक्लियस ब्रीडिंग सेंटर, मत्स्य पालन और जलीय कृषि स्टार्ट-अप्स, इंक्यूबेटर्स, इंटीग्रेटेड एक्वा पार्क, इंटीग्रेटेड कोस्टल फिशिंग विलेज डेवलपमेंट, एक्वाटिक प्रयोगशालाओं के नेटवर्क और उनकी सुविधाओं का विस्तार, री-सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (Re-circulatory Aquaculture System - RAS), बायोफ्लोक एंड केज कल्चर, ई-ट्रेडिंग, विपणन, मत्स्य प्रबंधन इत्यादि भी इस योजना के उद्देश्यों में शामिल हैं।
निष्कर्ष
इस प्रकार, कुशल और प्रभावी तरीके से अंतर्देशीय मत्स्य पालन की क्षमता को मज़बूत करने तथा अंतर्देशीय खारे जल में कृषि को उत्प्रेरित करने के लिये प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। यह योजना बंजर भूमि को उर्वर एवं कृषि योग्य भूमि में परिवर्तित करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जिससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी बल्कि वार्षिक उत्पादन भी बढ़ेगा।