भारतीय रक्षा मंत्री की रूस यात्रा के दौरान रूस ने नौसैनिक जहाज ‘आईएनएस तुशिल’ भारत को सौंपा। रक्षा मंत्री ‘सैन्य एवं सैन्य-तकनीकी सहयोग पर भारत-रूस के अंतर-सरकारी आयोग’ की 21वीं बैठक में भाग लेने के लिए रूस गए हैं।
आईएनएस तुशिल के बारे में
- क्या है : यह ‘प्रोजेक्ट 1135.6’ के अंतर्गत निर्मित रुसी युद्धपोत की उन्नत क्रिवाक III श्रेणी या ‘तलवार श्रेणी’ का 7वां युद्धपोत है।
- प्रोजेक्ट 1135.6 भारतीय नौसेना के लिए रूस द्वारा डिजाइन व निर्मित स्टील्थ गाइडेड मिसाइल युद्धपोत का एक वर्ग है।
- वर्ष 1999 से वर्ष 2013 के बीच रूस ने भारत के लिए ऐसे 6 पोत निर्मित किए हैं।
- रूस से अभी तक प्राप्त तलवार श्रेणी के 6 युद्धपोत
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तलवार (F-40) : कमीशन वर्ष 2003
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त्रिशूल (F-43) : कमीशन वर्ष 2003
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तबर (F-44) : कमीशन वर्ष 2004
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तेग (F-45) : कमीशन वर्ष 2012
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तरकश (F-50) : कमीशन वर्ष 2012
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त्रिकांड (F-51) : कमीशन वर्ष 2013
- इस श्रेणी का 8वां युद्धपोत आईएनएस तमाल को वर्ष 2025 की शुरुआत में भारत को दिया जाना है।
![TUSHIL](https://www.sanskritiias.com/uploaded_files/images/TUSHIL.jpg)
- संक्षिप्त नाम : F-70
- जलावतरण : कलिनिनग्राद के यंतर शिपयार्ड में भारतीय रक्षा मंत्री की उपस्थिति में।
- नाम का अर्थ : तुशिल संस्कृत भाषा का एक शब्द है, जिसका अर्थ 'रक्षक कवच' (Protector Shield) होता है।
- आदर्श वाक्य : ‘निर्भय, अभेद्य एवं बलशील’
- निर्माण समझौता : वर्ष 2016 में भारत एवं रूस के मध्य
- पश्चिमी बेड़े में शामिल : सेवा में आने के बाद आईएनएस तुशिल पश्चिमी नौसेना कमान के अंतर्गत भारतीय नौसेना के ‘स्वॉर्ड आर्म’, पश्चिमी बेड़े में शामिल हो जाएगा।
- महत्त्व : यह न केवल भारतीय नौसेना की बढ़ती क्षमताओं का प्रतीक होगा, बल्कि भारत-रूस साझेदारी का भी प्रतीक होगा।
प्रमुख विशेषताएँ
- आकार : 125 मीटर लंबा, 3900 टन वजन
- इसकी तुलना में वर्तमान में नौसेना का सबसे बड़ा विध्वंसक युद्धपोत आईएनएस कोलकाता केवल 163 मी. लंबा है और इसका वजन 7,500 टन है।
- समुद्र में अधिकतम गति : 59 किमी./घंटा (30 नॉट)
- कवरेज क्षमता : 26 किमी./घंटा की गति से यह 4850 किमी. की दूरी और 56 किमी./घंटा की गति से 2600 किमी. की दूरी कवर कर सकता है।
- कार्यबल क्षमता : 180 नौसैनिकों के साथ 30 दिन समुद्र में रह सकता है।
- इंजन : इस श्रेणी के सभी युद्धपोतों में यूक्रेन के जोर्या नाशप्रोएक्ट कंपनी का इंजन है, जो एडवांस्ड गैस टर्बाइन प्रपल्सन प्लांट से लैस होते हैं।
युद्धक क्षमता
- ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से सुसज्जित
- वर्टिकल लांच वाली लंबी दूरी की सतह से हवा में मारक मिसाइल
- हवा और सतह में मार करने वाली मध्यम दूरी की अत्याधुनिक मिसाइलें
- नजदीक के निशानों के लिए आप्टिकली-कंट्रोल्ड रैपिड फायर गन
- एंटी सबमरीन टारपीडो और रॉकेट
- अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर और कम्युनिकेशन सिस्टम
- एक कामोव-28 या एक कामोव-31 या ध्रुव हेलिकॉप्टर लैस होने में सक्षम
- रडार से बचने के अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित
भारतीय योगदान
- स्वदेशी सामग्री : भारतीय नौसैनिक विशेषज्ञों की मदद से जहाज़ की स्वदेशी सामग्री को 26% तक बढ़ाया गया है और जहाज में स्वदेशी निर्मित प्रणालियों की संख्या दोगुनी से भी अधिक बढ़कर 33 हो गई है।
- स्वदेशी निर्माता : इस जहाज के निर्माण में प्रमुख भारतीय मूल उपकरण निर्माता (OEM) ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, केलट्रॉन, टाटा से नोवा इंटीग्रेटेड सिस्टम, एल्कोम मरीन, जॉनसन कंट्रोल्स इंडिया और कई अन्य शामिल थे।
- OEM से तात्पर्य आम तौर पर उस कंपनी से है जो ऐसे पुर्जे और उपकरण बनाती है जिनका विपणन किसी अन्य निर्माता द्वारा किया जा सकता है।