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बाज़ार कानूनों का एकल कोड में सम्मिलन

संदर्भ

हाल ही में प्रस्तुत बजट में ‘एकल प्रतिभूति बाज़ार संहिता’ की घोषणा की गई है।

समायोजित किये जाने वाले अधिनियम

केंद्र सरकार ‘एकल प्रतिभूति बाज़ार संहिता’ के लिये कई कानूनों को एक में समायोजित करने पर विचार कर रही है। इसमें सेबी अधिनियम, 1992 तथा डिपॉजिटरी अधिनियम, 1996 के अतिरिक्त प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1956 और सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2007 के प्रावधानों को समेकित करके एकल प्रतिभूति बाजार संहिता की घोषणा की गई है। 

लाभ

  • इस कदम से देश के वित्तीय बाजारों में कारोबार करने, अनुपालन संबंधी समस्या को कम करने, लागत कम करने और विभिन्न हितधारकों के बीच टकराव को कम करने में आसानी होगी।
  • तनाव के समय कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट में प्रतिभागियों के बीच विश्वास बढ़ाने और आम तौर पर द्वितीयक बाजार की तरलता को बढ़ाने के लिये बजट में एक स्थायी संस्थागत ढांचा बनाने का प्रस्ताव है। प्रस्तावित निकाय निवेश ग्रेड ऋण प्रतिभूतियों को तनावग्रस्त और सामान्य समय में खरीदेगा और बॉन्ड बाजार के विकास में मदद करेगा।
  • यह डेट म्यूचुअल फंड्स (Debt Mutual Funds), विशेष रूप से क्रेडिट फंड्स, के लिये सकारात्मक होगा, जिसमें पिछले वर्ष कुछ कॉर्पोरेट पत्रों में निम्न तरलता के कारण महत्त्वपूर्ण बहिर्प्रवाह देखा गया था।

अन्य घोषणाएँ

  • सरकार ने देश में एक ‘रेगुलेटेड गोल्ड एक्सचेंज’ प्रणाली स्थापित करने की भी घोषणा की है। इसके लिये सेबी को नियामक के रूप में अधिसूचित किया जाएगा और ‘वेयरहाउसिंग विकास और नियामक प्राधिकरण’ को कमोडिटी मार्केट इकोसिस्टम स्थापित करने के लिये मजबूत किया जाएगा।
  • निवेशकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिये सभी वित्तीय उत्पादों में सभी वित्तीय निवेशकों के अधिकार के रूप में एक ‘निवेशक घोषणापत्र’ शुरू करने का भी प्रस्ताव है।
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