New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 5 May, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 11 May, 5:30 PM Call Our Course Coordinator: 9555124124 Request Call Back GS Foundation (P+M) - Delhi: 5 May, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 11 May, 5:30 PM Call Our Course Coordinator: 9555124124 Request Call Back

दीवालियापन और ऋण शोधन अक्षमता संहिता, 2016 (IBC)

  • भारत सरकार द्वारा 2016 में पारित एक व्यापक आर्थिक कानून (Comprehensive Economic Law) है, 
  • जिसका उद्देश्य दिवालिया हो चुके व्यक्तियों, कंपनियों और साझेदारी फर्मों (Individuals, Companies & Partnerships) के लिए एक सुसंगत (Coherent) और समयबद्ध समाधान (Time-bound Resolution) उपलब्ध कराना है।

मुख्य उद्देश्य (Key Objectives)

  • समयबद्ध समाधान (Time-bound Resolution): दिवालिया इकाइयों (Insolvent Entities) के मामलों का 180-270 दिनों के भीतर निपटारा सुनिश्चित करना।
  • ऋणदाता की वसूली सुनिश्चित करना (Maximization of Creditors' Recovery): परिसंपत्तियों के मूल्य का क्षरण (Value Erosion) रोकना और ऋणदाताओं को उनकी बकाया राशि शीघ्र दिलवाना।
  • ईमानदार उद्यमियों को नया मौका देना (Second Chance to Honest Entrepreneurs): व्यवसाय विफल होने पर सम्मानजनक निकासी का अवसर।
  • व्यवसाय करने में आसानी (Ease of Doing Business): भारत की वैश्विक रैंकिंग में सुधार हेतु, व्यवसायिक पारिस्थितिकी तंत्र में पारदर्शिता और त्वरित समाधान।
  • एकीकृत कानूनी ढांचा (Unified Legal Framework): विभिन्न पुराने कानूनों जैसे SARFAESI, कंपनी अधिनियम (Companies Act - Liquidation Provisions) आदि को एक जगह समाहित करना।

प्रमुख संस्थाएँ (Key Institutions under IBC)

संस्था

कार्य

IbbI (Insolvency and Bankruptcy Board of India)

संहिता का नियामक निकाय (Regulatory Authority)

NCLT (National Company Law Tribunal)

कॉर्पोरेट दिवालियापन मामलों की सुनवाई करता है

DRT (Debt Recovery Tribunal)

व्यक्तियों और साझेदारी फर्मों के मामलों की सुनवाई करता है

RP (Resolution Professional)

समाधान प्रक्रिया का संचालन करता है

CoC (Committee of Creditors)

निर्णय लेने वाली प्रमुख समिति जिसमें सभी ऋणदाता शामिल होते हैं

प्रक्रिया का चरण (Steps of the Insolvency Resolution Process)

  • आवेदन (Initiation): कर्जदाता (Creditor) या कर्जदार (Debtor) NCLT/DRT में आवेदन करता है।
  • स्वीकृति (Admission): ट्रिब्यूनल 14 दिनों के भीतर तय करता है कि मामला स्वीकार्य है या नहीं।
  • समाधान पेशेवर की नियुक्ति (Appointment of RP): RP को नियुक्त किया जाता है जो समाधान योजना तैयार करता है।
  • संपत्ति पर रोक (Moratorium): कोई भी कानूनी कार्यवाही 180 दिनों तक रोक दी जाती है।
  • CoC की बैठकें: ऋणदाताओं की समिति समाधान योजना पर विचार करती है।
  • स्वीकृति या परिसमापन (Approval or Liquidation): अगर समाधान योजना को स्वीकृति नहीं मिलती, तो परिसमापन (Liquidation) की प्रक्रिया शुरू होती है।

प्रभाव और उपलब्धियाँ (Impact and Achievements)

  • भारत की Ease of Doing Business Ranking में 2016 से 2020 के बीच उल्लेखनीय सुधार हुआ।
  • बैंकिंग क्षेत्र में Non-Performing Assets (NPAs) की वसूली की दर में बढ़ोतरी।
  • ऋणदाताओं को वसूली की बेहतर संभावना।

हालिया सुधार (Recent Amendments & Developments)

  • Pre-packaged Insolvency Scheme: MSMEs के लिए सरल समाधान।
  • Cross Border Insolvency Framework (प्रस्तावित): विदेशी लेनदारों के हित की रक्षा हेतु।
  • Homebuyers as Financial Creditors: रियल एस्टेट में फ्लैट खरीदारों को ऋणदाता की मान्यता।

प्री-पैकेज्ड इन्सॉल्वेंसी रेज़ोल्यूशन प्रोसेस (PPIRP):

  • 2021 में IBC में संशोधन के रूप में पेश किया गया।
  • तेज़, लागत प्रभावी समाधान के लिए विशेष रूप से MSMEs पर लक्षित।
  • लेनदार की स्वीकृति के साथ देनदार द्वारा स्वेच्छा से आरंभ किया गया।
  • अनौपचारिक (आरंभ से पहले) और औपचारिक (आरंभ के बाद) चरणों को जोड़ता है।
  • समाधान 120 दिनों के भीतर पूरा किया जाना है।

चुनौतियाँ (Challenges)

  • समयसीमा का पालन नहीं होना: कई मामलों में 270 दिन की सीमा का उल्लंघन।
  • RP की भूमिका को लेकर विवाद: कई बार निष्पक्षता पर प्रश्न उठे हैं।
  • NCLT/DRT में लंबित मामलों की संख्या अधिक।
  • CoC की मनमानी: यदा-कदा छोटे ऋणदाताओं की अनदेखी होती है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X