प्रारम्भिक परीक्षा - सेंगोल मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 1 - भारतीय संस्कृति
सन्दर्भ
प्रधानमंत्री द्वारा नए संसद भवन में, उद्घाटन के मौके पर ऐतिहासिक व पवित्र "सेंगोल" की स्थापना की जायेगी।
महत्वपूर्ण तथ्य
प्रधानमंत्री द्वारा तमिलनाडु के अधीनम (मठ) से सेंगोल स्वीकार करने के बाद इसे लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया जाएगा।
यह वही सेंगोल है, जिसे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ने 14 अगस्त, 1947 को तमिलनाडु के थिरुवदुथुराई आधीनम (मठ) से विशेष रूप से पधारे आधीनमों (पुरोहितों) से ग्रहण किया था।
इसे अंग्रेज़ों से सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर लार्ड माउंटबेटन ने जवाहर लाल नेहरू को सौपा था।
स्वतंत्रता के बाद इसे प्रयागराज स्थित आनंद भवन संग्रहालय में रखा गया था।
सेंगोल
सेंगोल शब्द तमिल शब्द "सेम्मई" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "नीतिपरायणता"।
इसे तमिलनाडु के एक प्रमुख धार्मिक मठ के मुख्य आधीनम (पुरोहितों) का आशीर्वाद प्राप्त है।
सेंगोल को तमिलनाडु के प्रसिद्ध स्वर्णकार वुम्मिडि बंगारू चेट्टी द्वारा बनाया गया था।
यह चांदी से निर्मित राजदंड है, जिस पर सोने की परतचढ़ाई गई है।
‘न्याय’ के प्रेक्षक के रूप में, हाथ से उत्कीर्ण नंदी सेंगोल के शीर्ष पर विराजमान हैं।
सेंगोल को ग्रहण करने वाले व्यक्ति को न्यायपूर्ण और निष्पक्ष रूप से शासन करने का ‘आदेश’ (तमिल में‘आणई’) प्राप्त होता है।
सेंगोल, शाही शक्ति का प्रतीक है, इसका प्रयोग चोल शासन के दौरान एक शासक से दूसरे शासक को सत्ता हस्तांतरण के समय किया जाता था।