New
IAS Foundation Course (Prelims + Mains): Delhi & Prayagraj | Call: 9555124124

त्वरित कार्रवाई के लिये एकीकृत युद्ध समूह

(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3: आपदा और आपदा प्रबंधन विभिन्न सुरक्षाबल और संस्थाएँ)

पृष्ठभूमि

हाल ही में थल सेना प्रमुख ने भारतीय सेना में समग्र बदलाव की बात करते हुए सशस्त्र बल के एक हिस्से के रूप में एकीकृत युद्ध समूहों (Integrated Battle Groups -IBG) के परिचालन की घोषणा की।

विशेषज्ञों का मानना है भारत जैसे देश में आतंक प्रभावित सीमाओं पर आतंकवाद रोधी अभियानों के लिये एकीकृत युद्ध समूहों (IBG) की तैनाती आवश्यक है।

आई.बी.जी. क्या है?

  • आई.बी.जी. एक प्रकार की ब्रिगेड है, जो फुर्तीले, आत्मनिर्भर और दक्ष लड़ाकुओं का एक समूह है, जो किसी युद्ध जैसी स्थिति में विरोधी के खिलाफ त्वरित हमले शुरू कर सकते हैं।
  • प्रत्येक आई.बी.जी. को थ्रेट (Threat-खतरों), टेरेन (Terrain – भू-भाग) और टास्क (Task-कार्य) अर्थात तीन-टी के आधार पर बनाया जाएगा और संसाधनों को इन तीन-टी के आधार पर ही आवंटित किया जाएगा।
  • ये समूह 12-48 घंटें के अंदर कार्रवाई करने में सक्षम होंगे।
  • ध्यातव्य है कि भू-भाग में विभिन्नता की वजह से रेगिस्तान में संचालित आई.बी.जी. और पहाड़ों पर संचालित आई.बी.जी. के अलग-अलग तरह से गठन करने की आवश्यकता है।
  • सेना की प्रमुख कोर को 1 से 3 एकीकृत युद्ध समूहों या आई.बी.जी. में पुनर्गठित किये जाने की सम्भावना है।

आई.बी.जी. का उद्देश्य :

  • परिचालन और कार्यात्मक दक्षता बढ़ाने के लिये इनका प्रयोग किया जा सकता है।
  • बजट व्यय के अनुकूलन तथा बल आधुनिकीकरण आदि को सुविधाजनक बनाने के लिये भी इनका परिचालन ज़रूरी है।

IBG

संरचना :

  • विदित है कि कमान (Command), परिभाषित भूगोल में फैला सेना का सबसे बड़ा स्थैतिक गठन है, जबकि वाहिनी या कॉर्प सबसे बड़ी गतिशील इकाई है।
  • आमतौर पर प्रत्येक वाहिनी में तीन डिवीज़न होते हैं और हर डिवीज़न में तीन ब्रिगेड होते हैं।
  • इन्हीं 1~ 3 वाहिनियों को ही एकीकृत युद्ध समूहों में पुनर्गठित करने की बात की गई है, जो ब्रिगेड के आकार की इकाइयाँ हैं, लेकिन इनमें तीन-टी के आधार पर पैदल सेना, बख्तरबंद, तोपखाने और वायु रक्षा जैसे सभी आवश्यक तत्त्वों को समाहित किया जाएगा।
  • आई.बी.जी. रक्षात्मक और आक्रामक दोनों प्रकार के होंगे। आक्रामक आई.बी.जी. तेज़ी से जुटकर दुश्मन के इलाके में ज़ोरदार हमला करेंगे, रक्षात्मक आई.बी.जी. उन सुभेद्य स्थानों की कमान सम्हालेंगे जहाँ दुश्मन की कार्रवाई की उम्मीद है।

एकीकृत युद्ध समूहों की आवश्यकता क्यों है?

  • संसद पर आतंकवादी हमले के बाद, भारतीय सेना में बड़े पैमाने पर बदलाव हुए लेकिन त्वरित हमला करने के बहुत से तत्त्व गायब थे।
  • इसके बाद सेना ने तेज़ी से आक्रामण करने के लिये 'कोल्ड स्टार्ट' के रूप में जाना जाने वाला एक सक्रिय सिद्धांत तैयार किया।
  • यह सिद्धांत दुश्मन के क्षेत्र में त्वरित गति से हमला करने की बात करता है। वर्ष 2001 में संसद पर हुए आतंकी हमलों के बाद “ऑपरेशन पराक्रम” के दौरान सर्वप्रथम इस सिद्धांत पर विचार किया गया क्योंकि ऑपरेशन पराक्रम के दौरान भारत की आक्रामक रणनीति की अनेक कमियाँ उजागर हुईं थीं।
  • वर्ष 2017 में तत्त्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल विपिन रावत द्वारा इस सिद्धांत के महत्त्व को स्वीकार किया था लेकिन अतीत में इस सिद्धांत पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया गया।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR