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वन्यजीव पर्यावासों का एकीकृत विकास

उद्देश्य:

  • भारत में वन्यजीव पर्यावासों के संरक्षण और विकास को बढ़ावा देना।
  • यह योजना भारत सरकार के केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा "केंद्र प्रायोजित अम्ब्रेला योजना" के रूप में चलाई जाती है।

मुख्य घटक / उप-घटक:

  • संरक्षित क्षेत्रों में सहायता (Support to Protected Areas):
    • राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य, संरक्षण रिजर्व, और सामुदायिक रिजर्व को वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है।
  • संरक्षित क्षेत्रों के बाहर संरक्षण:
    • वन्यजीवों के प्राकृतिक गलियारों (Wildlife Corridors) और मानव-प्रभावित क्षेत्रों में संरक्षण उपाय।
    • प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम (Recovery Programs for Critically Endangered Species):
    • अत्यधिक संकटग्रस्त प्रजातियों और उनके पर्यावासों की सुरक्षा हेतु विशेष कार्यक्रम।
    • अब तक 22 प्रजातियों की पहचान की जा चुकी है जिन पर पुनर्प्राप्ति प्रयास जारी हैं।

IDWH के अंतर्गत प्रमुख उप-योजनाएं:

उप-योजना

प्रारंभ वर्ष

उद्देश्य

प्रोजेक्ट टाइगर

1973

बाघों और उनके आवासों का संरक्षण।

प्रोजेक्ट एलीफेंट

1992

हाथियों और उनके प्राकृतिक गलियारों का संरक्षण।

प्रोजेक्ट डॉल्फिन

हाल ही में

गंगा डॉल्फिन जैसी जलीय प्रजातियों का संरक्षण।

प्रोजेक्ट लायन

प्रस्तावित/विकासाधीन

एशियाई शेरों के संरक्षण हेतु योजना।

महत्वपूर्ण बिंदु :

  • नोडल मंत्रालय: MoEFCC (Ministry of Environment, Forest and Climate Change)
  • प्रकृति: Centrally Sponsored Umbrella Scheme
  • लाभार्थी: केंद्र एवं राज्य सरकारें, अनुसंधान संस्थान, स्थानीय समुदाय
  • संविधानिक समर्थन: अनुच्छेद 48A और 51A(g) — पर्यावरण संरक्षण के कर्तव्य
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