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एकीकृत पेंशन योजना

प्रारंभिक परीक्षा

(राष्ट्रीय घटनाक्रम)

मुख्य परीक्षा

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)

संदर्भ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एकीकृत पेंशन योजना (Unified Pension Scheme: UPS) को मंजूरी दे दी है। यह सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद सुनिश्चित पेंशन प्रदान करेगी। यह योजना 1 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होगी।

एकीकृत पेंशन योजना (UPS) की मुख्य विशेषताएँ

  • सुनिश्चित पेंशन : 25 वर्ष की न्यूनतम अर्हक सेवा के लिए सेवानिवृत्ति से पहले अंतिम 12 महीनों में प्राप्त औसत मूल वेतन का 50% प्रदान किया जाएगा। 
    • यह राशि, न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा अवधि तक आनुपातिक रूप से कम होती जाएगी। 
  • सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन : न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा के बाद सेवानिवृत्ति पर 10,000 रुपये प्रति माह प्रदान किया जाएगा। 
  • सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन : सेवानिवृत्त व्यक्ति की मृत्यु होने पर, उनके निकटतम परिवार को सेवानिवृत्त व्यक्ति द्वारा अंतिम बार प्राप्त पेंशन का 60% प्रदान किया जाएगा।  
  • मुद्रास्फीति सूचकांक : तीनों प्रकार की पेंशनों पर महंगाई राहत उपलब्ध (देय) होगी जिसकी गणना औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर की जाएगी।
  • सेवानिवृत्ति पर एकमुश्त भुगतान : यह ग्रेच्युटी के अतिरिक्त होगा और इसकी गणना सेवानिवृत्ति की तिथि पर प्रत्येक छह माह की सेवा के लिए मासिक पारिश्रमिक (वेतन तथा महंगाई भत्ता) के 1/10वें भाग के रूप में की जाएगी।

यू.पी.एस. के लाभार्थी 

  • यू.पी.एस. उन सभी लोगों के लिए उपलब्ध होगा जो वर्ष 2004 के बाद से एन.पी.एस. के तहत सेवानिवृत्त हुए हैं। 
    • ऐसे मामले में (एन.पी.एस. के साथ सेवानिवृत्त), उन्हें एन.पी.एस. के तहत पहले से प्राप्त राशि के साथ समायोजित बकाया राशि मिलेगी।
  • कर्मचारियों के पास अभी भी एन.पी.एस. (NPS) के तहत बने रहने का विकल्प हैं किंतु कोई कर्मचारी केवल एक बार ही विकल्प का चुनाव कर सकता है। 
    • एक बार विकल्प चुनने के बाद विकल्प को बदला नहीं जा सकता है।
  • वर्तमान में नई योजना केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए है जिसे राज्य सरकारों द्वारा भी अपनाया जा सकता है।

क्या आप जानते हैं?

  • यू.पी.एस. को टी.वी. सोमनाथन समिति की सिफारिशों पर लागू किया गया है। इसको लागू करने वाला महाराष्ट्र पहला राज्य बन गया है। 
  • नई पेंशन योजना (NPS) को अंशदान आधारित पेंशन योजना (Contribution based Pension Scheme) या राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली भी कहते हैं। 

नई पेंशन योजना (NPS) के बारे में 

  • भारत की पेंशन नीतियों में सुधार के तहत 1 जनवरी, 2004 को नई पेंशन योजना (New Pension Scheme : NPS) ने पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme : OPS) की जगह ले ली थी। 
    • इस तिथि के बाद सरकारी सेवा में शामिल होने वालों को एन.पी.एस. के तहत रखा गया है।
  • एन.पी.एस. में एक सुनिश्चित पेंशन के स्थान पर कर्मचारी द्वारा स्वयं ही पेंशन को वित्तपोषित करने का प्रावधान था। 
  • परिभाषित योगदान में कर्मचारी द्वारा मूल वेतन एवं महंगाई भत्ते का 10% और सरकार का योगदान 14% (जिसे अब बढ़ाकर 18.5% करने का प्रस्ताव है) शामिल है।
  • एन.पी.एस. के तहत व्यक्ति निम्न जोखिम से लेकर उच्च जोखिम तक की कई योजनाओं में से एक का चयन कर सकते हैं। 
    • साथ ही, वे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों के साथ-साथ निजी कंपनियों द्वारा प्रवर्तित पेंशन फंड मैनेजर का भी चयन कर सकते हैं। 
  • नौ पेंशन फंड मैनेजरों द्वारा एन.पी.एस. के तहत योजनाएं प्रस्तुत की जाती हैं :
    • एस.बी.आई.
    • एल.आई.सी.
    • यू.टी.आई. 
    • एच.डी.एफ.सी. 
    • आई.सी.आई.सी.आई. 
    • कोटक महिंद्रा
    • आदित्य बिड़ला
    • टाटा 
    • मैक्स 
  • योजनाओं का जोखिम प्रोफाइल ‘निम्न’ से लेकर ‘अत्यधिक’ तक अलग-अलग होता है। 
  • सरकारी कर्मचारियों के लिए एन.पी.एस. न केवल कम सुनिश्चित रिटर्न देता था, बल्कि इसमें कर्मचारियों का भी योगदान करना होता था। इसी आधार पर एन.पी.एस. का विरोध किया जा रहा था। 

इसे भी जानिए!

स्थायी पेंशन खाता संख्या (Permanent Pension Account Number : PPAN)

  • सरकारी सेवा में शामिल होने के बाद कर्मचारी को अपना नाम, पदनाम, वेतनमान, जन्म तिथि, निधि के लिए नामित व्यक्ति, नामित व्यक्ति का संबंध आदि जैसे विवरण प्रदान करने होते हैं।
  • पी.पी.ए.एन. 16 अंकों की एक अद्वितीय संख्या होती है। इस संख्या के पहले चार अंक सरकारी सेवा में शामिल होने के कैलेंडर वर्ष को इंगित करते हैं, अगला अंक सिविल या गैर-सिविल मंत्रालय को इंगित करता है, अगले छह अंक पी.ए.ओ. (PAO) कोड का प्रतिनिधित्व करते हैंअंतिम पांच अंक व्यक्तिगत सरकारी कर्मचारी की चालू क्रम संख्या होगी जो संबंधित पी.ए.ओ. द्वारा आवंटित की जाएगी।   
    • पी.ए.ओ. (Pay and Accounts Office Code) का उपयोग मासिक खातों को संकलित करने के उद्देश्य से किया जाता है। 

एन.पी.एस. को लागू करने के कारण

  • एन.पी.एस. की शुरुआत अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने की थी क्योंकि ओ.पी.एस. वित्तपोषित नहीं था अर्थात इसके अंतर्गत पेंशन के लिए कोई खास कोष नहीं था।
    • इसने सरकार की पेंशन देनदारी को वित्तीय रूप से अस्वस्थ कर दिया था। 
  • बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण औसत जीवनकाल में वृद्धि हुई और ऐसे में ओ.पी.एस. को लंबे समय तक जारी रखना कठिन हो गया था।
    • आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार पिछले तीन दशकों में केंद्र एवं राज्यों की पेंशन देनदारियों में कई गुना वृद्धि हुई है। 
    • वर्ष 1990-91 में केंद्र का पेंशन बिल 3,272 करोड़ रुपए और सभी राज्यों का मिलाकर 3,131 करोड़ रुपये था। 
    • वर्ष 2020-21 तक केंद्र का पेंशन बिल 58 गुना बढ़कर 1,90,886 करोड़ रुपए और राज्यों के लिए यह 125 गुना बढ़कर 3,86,001 करोड़ रुपए हो गया।

क्या थी पुरानी पेंशन योजना (OPS)

  • ओ.पी.एस. के तहत केंद्र एवं राज्यों दोनों में सरकारी कर्मचारियों को पेंशन अंतिम आहरित (प्राप्त) मूल वेतन के 50% पर तय कर दी गई थी। 
  • इसके अलावा जीवन यापन की लागत में वृद्धि को समायोजित करने के लिए इसमें महंगाई राहत को भी शामिल किया गया था जिसकी गणना मूल वेतन के प्रतिशत के रूप में की जाती थी।
  • वर्ष 2023 में हिमाचल प्रदेश और वर्ष 2022 में राजस्थान, छत्तीसगढ़ एवं पंजाब  सरकार ने पुन: पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme: OPS) को लागू कर दिया।

विभिन्न पेंशन योजनाओं के मध्य अंतर

अंतर का आधार

ओ.पी.एस (OPS)

एन.पी.एस (NPS)

यू.पी.एस (UPS)

पेंशन

अंतिम मूल वेतन का 50% + महंगाई भत्ता 

पेंशन राशि निश्चित नहीं है क्योंकि इसका भुगतान पेशेवर फंड प्रबंधकों द्वारा प्रबंधित बाजार संबद्ध उपकरणों में किए गए निवेश पर रिटर्न के आधार पर किया जाता है।

  • सेवानिवृत्ति से पहले अंतिम 12 महीनों में औसत मूल वेतन का 50%

  • 10 से 25 वर्ष के बीच की सेवा के लिए आनुपातिक आधार पर।

पेंशन के लिए कर्मचारियों की ओर से भुगतान

नहीं

मूल वेतन का 10%

मूल वेतन का 10%

सरकार का योगदान 

पूरा व्यय  सरकार द्वारा वहन

मूल वेतन का 14%

मूल वेतन का 18.5%

ग्रेच्युटी

हाँ 

हाँ

हाँ

परिवर्तित कोष का आहरण 

जी.पी.एफ. (General Provident Fund) की संपूर्ण राशि

कर्मचारी सेवानिवृत्ति पर कुल धनराशि का 60% निकाल सकते हैं, जो कर-मुक्त है जबकि शेष 40% पेंशन पाने के लिए वार्षिकी में निवेश किया जाता है।

कोई उल्लेख नहीं 

जी.पी.एफ. 

हाँ

नहीं

नहीं 

मुद्रास्फीति सूचकांक

वर्ष में दो बार महंगाई भत्ते में संशोधन के साथ पेंशन में वृद्धि 

नहीं,पेंशन बाज़ार आधारित 

औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित।

योगदान राशि की निकासी 

वर्ष में एक बार निकासी की जा सकती है। 

नहीं

नहीं

एकमुश्त भुगतान

नहीं

नहीं

प्रत्येक पूर्ण 6 माह की सेवा के लिए सेवानिवृत्ति की तिथि को मासिक परिलब्धियों (मूल+ महंगाई भत्ते) का 1/10वां भाग

स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति 

स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की तिथि पर पेंशन के लिए पात्र

कर्मचारी को कम्यूटेड कॉर्पस का केवल 20% मिलेगा और शेष 80% पेंशन प्राप्त करने के लिए वार्षिकी में निवेश किया जाएगा

वास्तविक सेवानिवृत्ति की तिथि के बाद ही पेंशन के लिए पात्र हो सकते हैं

न्यूनतम पेंशन राशि

9000+ महंगाई भत्ता 

नहीं

सेवानिवृत्ति के बाद (न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा के बाद) 10000 +महंगाई भत्ता  

सेवा के दौरान मृत्यु की स्थिति में पारिवारिक पेंशन

10 वर्ष की अवधि के लिए अंतिम वेतन का 50% तत्पश्चात पारिवारिक पेंशन का भुगतान अंतिम वेतन के 30% की दर से किया जाएगा।

पारिवारिक पेंशन सेवानिवृत्ति के समय संचित धनराशि और वार्षिकी योजनाओं पर निर्भर

कर्मचारी की मृत्यु पर उसकी पेंशन का 60%।

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