संदर्भ
अंतर-सरकारी वार्ता (IGN) फ्रेमवर्क के लागू होने के बावजूद सयुंक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और शांति के मुद्दे पर प्रभावी ढंग से कार्य करने में विफल रही है।
प्रमुख बिंदु
- सयुंक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टी.एस. तिरुमूर्ती ने कहा है कि अंतर-सरकारी वार्ता (IGN) फ्रेमवर्क को लागू हुए लगभग 13 वर्ष हो चुके हैं, परंतु इसके बाद भी यू.एन.एस.सी. अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा एवं शांति के मुद्दों को प्रभावी ढंग से हल नहीं कर पा रही है।
- यू.एन.एस.सी. द्वारा प्रभावी ढंग से कार्य न कर पाने का मुख्य कारण इसमें समावेशिता की कमी का होना है।
अंतर-सरकारी वार्ता (Intergovernmental Negotiations-IGN) फ्रेमवर्क
- अंतर-सरकारी वार्ता फ्रेमवर्क सयुंक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिये सयुंक्त राष्ट्र के अंतर्गत कार्य करने वाले राष्ट्रों का समूह है।
- यह यू.एन.एस.सी. में सुधार के विभिन्न पहलुओं पर विचार विमर्श करती है, जिसमें इस परिषद की सदस्यता की श्रेणियाँ, वीटो का मुद्दा, विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व, परिषद का आकार इत्यादि शामिल हैं।
- इसका निर्माण अलग-अलग अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से मिलकर हुआ है, जिसमें शामिल हैं-
- G-4 राष्ट्र (भारत, ब्राजील, जापान और जर्मनी, ये देश यू.एन.एस.सी. में स्थाई सीट के लिये एक- दूसरे का समर्थन करते हैं
- अफ्रीकी संघ
- द यूनाइटिंग फॉर कांसेंसस ग्रुप (The Uniting for Consensus Group -UFC) इसे कॉफ़ी क्लब के नाम से भी जाना जाता है।
- L-69 विकासशील देशों का समूह
- अरब लीग
- कैरेबियन समुदाय
- इसके अंतर्गत प्रत्येक समूह यू.एन.एस.सी. में सुधारों के लिये अलग-अलग सेट का प्रतिनिधित्व करता है।
- वर्ष 2016 में यू.एन.एस.सी. द्वारा एक मौखिक निर्णय अपनाया गया था, जिसे ‘समाभिरूपता के तत्त्वों’ (Elements of Convergence) के रूप में जाना जाता है, जो उस समय अंतर-सरकारी वार्ता फ्रेमवर्क के सदस्यों की आम सहमति को दर्शाता है।