प्रारंभिक परीक्षा- इंटरकनेक्टेड डिजास्टर रिस्क रिपोर्ट मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन पेपर-3
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संदर्भ-
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ने यह चेतावनी दी है कि भारत तेजी से भू-जल की कमी के चरम बिंदु की ओर बढ़ रहा है। कुछ इलाके पहले से ही इस चरम बिंदु को पार कर चुके हैं। इसका असर वर्ष 2025 तक दिखना भी शुरू हो जाएगा।
प्रमुख बिंदु-
- संयुक्त राष्ट्र यूनिवर्सिटी- इंस्टीट्यूट फार एनवायरनमेंट एंड ह्यूमन सिक्योरिटी के द्वारा ‘इंटरकनेक्टेड डिजास्टर रिस्क रिपोर्ट 2023’ तैयार की गई है।
- रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सिंधु-गंगा के मैदान के कुछ क्षेत्र पहले ही भू-जल की कमी के खतरनाक बिंदु को पार कर चुके हैं।
- भारत के पूरे उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में अगले दो साल में भू-जल की उपलब्धता का गंभीर संकट सामने आने की आशंका है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में छह पर्यावरणीय प्रणालियां चरम बिंदु पर पहुंच रही हैं-
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- इसमें तेजी से जीव विलुप्त होंगे
- भू-जल का स्तर तेजी से गिरेगा
- ग्लेशियर तेजी से पिघलेंगे
- अंतरिक्ष में कचरे की समस्या पैदा होगी
- असहनीय गर्मी पड़ेगी
- भविष्य को लेकर चिंताएं और बढ़ेंगी
पर्यावरणीय चरम बिंदु-
- ये महत्वपूर्ण सीमाएं हैं, जिनके लांघने पर तेजी से विनाशकारी बदलाव होते हैं।
- इसका पारिस्थितिक तंत्र, जलवायु पैटर्न और समग्र पर्यावरण पर गहरा असर पड़ता है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि सऊदी अरब में पहले से ही भू-जल चरम बिंदु से नीचे पहुंच गया है।
- भारत भी उन देशों में शामिल है, जो जल्द ही चरम बिंदु को पार कर जाएगा।
समाधान-
- परस्पर जुड़े जोखिमों के लिए समन्वित समाधानों की आवश्यकता होती है।
- हस्तक्षेप, समस्या की बहुमुखी और जटिल प्रकृति को संशोधित करने में सक्षम होना चाहिए।
- जोखिम से बचने के लिए, हमें अभूतपूर्व तरीकों से सभी क्षेत्रों में कार्यों को एकीकृत करने की आवश्यकता होगी।
- यह समाधानों की प्रभावशीलता को वर्गीकृत करने और चर्चा करने के लिए एक नई रूपरेखा प्रस्तावित करती है, जो हमें जोखिम से निपटने में मदद कर सकती है। परिणामी रूपरेखा में चार श्रेणियां हैं-
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- टालना-विलंब करना (Avoid-Delay)
- टालना परिवर्तन करना (Avoid-Transform)
- अनुकूलन-विलंब करना (Adapt-Delay)
- अनुकूलन-परिवर्तन करना (Adapt-Transform)
यह समझने के लिए कि समाधान चार श्रेणियों में से किस श्रेणी में आता है और यह आकलन करने में मदद मिलती है कि किस प्रकार के प्रयास परिणाम उत्पन्न कर सकते हैं।
भारत में भू-जल का इस्तेमाल-
- वैश्विक दृष्टि से भारत में सबसे ज्यादा भू-जल का इस्तेमाल किया जाता है और यह अमेरिका और चीन दोनों के कुल इस्तेमाल से भी ज्यादा है।
- भारत में 70 प्रतिशत भू-जल का इस्तेमाल खेती के कामों में किया जाता है।
खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से भारत-
- भारत वैश्विक खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिहाज से अहम है।
- भारत का उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र देश की बढ़ती आबादी के लिए रोटी की टोकरी के रूप में कार्य करता है।
- पानी की कमी से खाद्य उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होगा। इससे दुनिया भर में भी खाद्य संकट गहरा जाएगा।
प्रश्न- इंटरकनेक्टेड डिजास्टर रिस्क रिपोर्ट, निम्नलिखित में से किस संस्था द्वारा जारी की जाती है?
(a) इंस्टीट्यूट फार एनवायरनमेंट एंड ह्यूमन सिक्योरिटी
(b) येल और कोलंबिया विश्वविद्यालय
(c) डाउन टू अर्थ
(d) सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट
उत्तर- (a)
मुख्य परीक्षा प्रश्न- भारत तेजी से भू-जल कमी के चरम बिंदु की ओर बढ़ रहा है। इससे दुनिया भर में खाद्य उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित होगा। विश्लेषण कीजिए।
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