प्रारंभिक परीक्षा – अंतरिम बजट Interim budget) मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-3, बजट |
संदर्भ
इस वर्ष लोकसभा चुनाव के कारण पूर्ण बजट के स्थान पर अंतरिम बजट पेशकिया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- यह बजट सामान्य पूर्ण बजट से अलग होगा।
- भारत में चुनावी वर्ष के दौरान सरकार एक अंतरिम बजट पेश करती है, जो नई सरकार के कार्यभार संभालने तक आवश्यक व्यय को कवर करने के लिए एक अनंतिम वित्तीय योजना के रूप में कार्य करता है।
- अंतरिम बजट की प्रस्तुति संसद के संयुक्त सत्र में होगी।
- चुनाव के बाद नई सरकार के गठन के बाद पूर्ण बजट को पेश किया जाएगा।अंतरिम बजट की विशेषताओं में से एक संसद द्वारा लेखानुदान पारित करना है।
- यह केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन और चल रही सरकारी परियोजनाओं के वित्तपोषण जैसे महत्वपूर्ण खर्चों को संबोधित करता है।
- यह आम तौर पर दो महीने के लिए वैध होता है, यदि आवश्यक समझा जाए तो लेखानुदान को बढ़ाया जा सकता है।
अंतरिम बजट और पूर्ण बजट के बीच अंतर
- अंतरिम बजट और पूर्ण बजट के बीच प्रमुख असमानताएं भी होती हैं।
- अंतरिम बजट एक अस्थायी वित्तीय योजना के रूप में कार्य करता है, जो नई सरकार के कार्यभार संभालने तक संक्रमणकालीन अवधि के दौरान सरकारी व्यय को पूरा करता है।
- पूर्ण बजट एक व्यापक वित्तीय खाका है जिसमें सरकार की आय, व्यय, आवंटन और नीति घोषणाओं के सभी पहलू शामिल होते हैं।
- पूर्ण बजट पूरे वित्तीय वर्ष के लिए देश की आर्थिक की रूपरेखा प्रस्तुत करता है, तो अंतरिम बजट संक्रमणकालीन अवधि के लिए वित्तीय विवरण प्रदान करता है।
बजट
- बजट (Budget) सरकार की एक वित्त वर्ष के दौरान होने वाली आय और व्यय का ब्यौरा होता है।
- ‘बजट’ शब्द अंग्रेजी के शब्द "bowgette" से लिया गया है, जिसकी उत्पत्ति फ्रेंच शब्द ‘bougette’ से हुई है।
- ‘bougette’ शब्द भी ‘Bouge’ से बना है जिसका अर्थ चमड़े का बैग होता है।
- बजट एक निश्चित अवधि में सरकार की आय और व्यय का लेखा-जोखा होता है।
बजट के कार्य :
- अग्रिम वित्तवर्ष में देश के विभिन्न क्षेत्रों (जैसे- उद्योग, विनिर्माण, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन आदि) में किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के विकास कार्यों में होने वाले खर्चों का अनुमान लगाना ।
- अग्रिम वित्तवर्ष के लिए अनुमानित खर्चों को पूरा करने के लिए धन (Funds) की व्यवस्था करने के लिए सम्यक उपाय करना।
- इन उपायों में नए Tax लगाने या बढ़ाने अथवा किसी वस्तु या सेवा पर पहले से दी जा रही सब्सिडी (Subsidy) को कम या खत्म करना आदि शामिल है।
बजट के प्रकार (Types of Budget)
- बजट मुख्यतः पांच प्रकार के होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:
- आम बजट (Aam Budget):
- आम बजट का प्रारंभिक स्वरूप “पारम्परिक बजट (Traditional Budget) कहलाता है।
- आम बजट का मुख्य उद्देश्य ‘विधयिका’ और ‘कार्यपालिका’ पर “वित्तीय नियंत्रण” स्थापित करना है।
- इस बजट में सरकार की आय और व्यय का लेखा-जोखा होता है।
- इस बजट में सरकार अगले वित्त वर्ष में किस क्षेत्र में कितना धन खर्च करेगी, उसका उल्लेख तो करती है, लेकिन इस खर्च से क्या-क्या परिणाम होंगे उनका ब्यौरा नहीं दिया जाता है।
- इस प्रकार के बजट का उद्देश्य सरकारी खर्चों पर नियंत्रण करना तथा विकास कार्यों को लागू करना है।
- पारम्परिक बजट की अवधारणा स्वतंत्र भारत की समस्याओं को सुलझाने तथा विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने में असफल रही।
- परिणामस्वरूप भारत में ‘निष्पादन बजट (Performance Budget)’ की आवश्यकता को स्वीकार किया गया। इसे पारम्परिक बजट के “पूरक” के रूप में पेश किया जाता है।
- निष्पादन बजट (Performance Budget):
- किसी कार्य के परिणामों को आधार मानकर बनाये जाने वाले बजट को “निष्पादन बजट (Performance Budget)” कहते हैं।
- विश्व में सर्वप्रथम ‘निष्पादन बजट’ की शुरूआत संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई थी।
- अमेरिका में वर्ष 1949 में प्रशासनिक सुधारों के लिए “हूपर आयोग” का गठन किया गया था। इस आयोग की सिफारिश के आधार पर अमेरिका में ‘निष्पादन बजट’ की शुरूआत हुई थी।
- ‘निष्पादन बजट’ में सरकार जनता की भलाई के लिए क्या कर रही है? कितना कर रही है? और किस कीमत पर कर रही है?, जैसी सभी बातों को शामिल किया जाता है।
- भारत में ‘निष्पादन बजट’ को उपलब्धि बजट या कार्यपूर्ति बजट भी कहा जाता है।
- भारत में ‘निष्पादन बजट’ सर्वप्रथम पंजाब राज्य ने अपनाया।
- वर्ष 1978-79 तक प्रायः सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों ने इसे अपना लिया।
- शून्य आधारित बजट (Zero Based Budget):
- शून्य आधारित बजट में पिछले वित्त वर्षों में किए गए व्ययों पर विचार नहीं किया जाता है और न ही पिछले वित्त वर्षों के व्यय को आगामी वर्षों के लिए उपयोग किया जाता है।
- इस बजट में व्यय में वृद्धि या कमी के बजाय व्यय किया जाए या नहीं इस पर विचार किया जाता है।
- शून्य आधारित बजट में प्रत्येक कार्य का निर्धारण “शून्य आधार” पर किया जाता है।
- पुराने व्यय के आधार पर नए व्यय का निर्धारण नहीं किया जाता है
- बल्कि प्रत्येक कार्य के लिए नए सिरे से नीति-निर्धारण किया जाता है।
- इस बजट को ‘सूर्य अस्त बजट (sun set budget)’ भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले प्रत्येक विभाग को शून्य आधारित बजट पेश करना पड़ता है, जिसमें विभाग के प्रत्येक क्रियाकलाप का लेखा-जोखा रहता है।
- शून्य आधारित बजट का जन्मदाता ‘पीटर ए पायर’ को माना जाता है, जिन्होंने वर्ष 1970 में इसका प्रतिपादन किया था।
- इस प्रणाली का सर्वप्रथम प्रयोग वर्ष 1973 में अमेरिका के जार्जिया प्रान्त के बजट में तत्कालीन गवर्नर “जिमी कार्टर” द्वारा किया गया था।
- वर्ष 1979 में अमेरिका के राष्ट्रीय बजट में भी इस प्रणाली को अपनाया गया।
- भारत में शून्य आधारित बजट की शुरूआत ‘वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद्’(Council of Scientific and Industrial Research) द्वारा की गई थी।
- केन्द्र सरकार ने वर्ष 1987-88 के बजट में इस प्रणाली को अपनाया था।
- भारत में इस बजट को अपनाने के दो प्रमुख कारण है:
(i) देश के बजट में लगातार होने वाला घाटा।
(ii) निष्पादन बजट प्रणाली का सफल क्रियान्वयन न हो पाना।
- परिणामोन्मुखी बजट (Outcome Budget):
- इस बजट में सभी मंत्रालयों, विभागों के कार्य एवं प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाता है
- जिससे सेवा, निर्माण प्रक्रिया, कार्यक्रमों के मूल्यांकन एवं परिणामों को और बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
- इन कमियों को दूर करने के लिए 2005 में भारत में पहली बार ‘परिणामोन्मुखी बजट (Outcome Budget)’ पेश किया गया था, जिसके अंतर्गत आम बजट में आवंटित धनराशि का विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों ने किस प्रकार उपयोग किया उसका ब्यौरा देना आवश्यक था।
5. लैंगिक बजट (Gender Budget):
- किसी बजट में योजनाओं और कार्यक्रमों पर किया गया खर्च, जिनका संबंध महिला तथा शिशु कल्याण से होता है, उसका उल्लेख लैंगिक बजट (Gender Budget) माना जाता है।
- लैंगिक बजट के माध्यम से सरकार महिलाओं के विकास, कल्याण और सशक्तिकरण से संबंधित योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए प्रतिवर्ष एक निर्धारित राशि की व्यवस्था सुनिश्चित करने का प्रावधान करती है।
प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- अंतरिम बजट एक अस्थायी वित्तीय योजना के रूप में कार्य करता है, जो नई सरकार के कार्यभार संभालने तक संक्रमणकालीन अवधि के दौरान सरकारी व्यय को पूरा करता है।
- शून्य आधारित बजट का जन्मदाता ‘पीटर ए पायर’ को माना जाता है, जिन्होंने 1970 में इसका प्रतिपादन किया था।
- भारत में शून्य आधारित बजट की शुरूआत ‘वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद्’ द्वारा की गई थी।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) सभी तीनों
(d) कोई भी नहीं
उत्तर: (c)
मुख्य परीक्षा प्रश्न : अंतरिम बजट क्या होता है? बजट के प्रकार एवं प्रक्रिया का उल्लेख कीजिए।
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